अपना पराया
अपना पराया
अपना कौन पराया कौन ये कैसे पहचानें? एसकी पहचान करना बहुत मुश्किल । कभी कभी अपने पराये बनकर मोह मोड़ लेते हैं और कभी कभी पराये मुसीबत के समय हमारा हाथ थाम लेते हैं और अपनो से भी ज्यादा लगने लगते हैं। आजकल कौन अपना हैं कौन पराया ये समय तय करता हैं।अगर आपका समय अच्छा हैं और अगर आपकी परिस्तिथि अच्छी हैं तो अपने अपने ही रहते हैं और पराये तो अपने बन ही जाते हैं। लेकिन जब इसके विपरीत परिस्थिति होती हैं तो अपने क्या पराये क्या लोग ऐसे गायब हो जाते है जैसे" गघे के ऊपर से सींग"। लेकिन वक़्त अपने पराये में अन्तर करना खुद ही सिखा देता हैं। ये किसी किताब से पड़ कर नहीं सीखा जा सकता। इसलिये मेरा मानना हैं कि बस अपने ही हो बाकि तुम्हारा कोई नहीं। आज कल की दुनिया मे कोई किसी का नहीं है मतलब की दुनिया है।