अपना हाथ जगन्नाथ
अपना हाथ जगन्नाथ
सुनोजी, अब घर के सारे काम मुझसे अकेले न होते, कोई चाहिए मदद के लिए। एक कामवाली बाई से बात की है, कल से ही वह काम पे आ जाएगी।
ठीक है भाग्यवान जो तुम्हे उचित लगे,पति का जवाब आया।
दूसरे दिन सुबह 9 बजे बाई आ गई। आते ही मैंने पूछा चाय पियोगी ?
नहीं मेमसाब में चाय नहीं कॉफी पीती हूँ।
लेकिन मेरे घर में तो कॉफी नहीं है।
लेकिन मेरे लिए रखने का।
मैंने पति को भेजकर उसके लिए कॉफी मंगवाई।
कॉफी पीकर वह बर्तन धोने गई। वीम बार को देख कर नाक भौं सिकोड़ी।कहा इससे बर्तन न धोऊँगी,हाथ खराब होते,वीम लिक्विड मंगाने का।
मैंने कहा ठीक है कल मँगवा दूँगी।चल अब नाश्ता कर ले।
ये क्या नाश्ते में ब्रेड ?
मेमसाब मुझे गर्म नाश्ता, साथ में फल और जूस भी चाहिए।
मैंने उसके लिए गर्म पराठें बनाए,साथ में कुछ फल दिए।
अब आई घर सफाई की बारी। उसने कहा वैक्यूम क्लीनर चाहिए घर साफ करने के लिए। साधारण बाल्टी से पोछा नहीं लगाऊँगी,मॉपिंग बकेट चाहिए। साथ में खुशबू वाला लाइजॉल, मतलब अब मेरे घर का बजट चरमराने वाला था। ऊपर से उसके नखरे सहो वो अलग।
1 बजने को आए थे,न तो घर साफ हुआ था न ही बर्तन।मैं तो 12 बजे ही सारे काम निपटा कर फ्री हो जाती थी लेकिन आज तो उसकी ही सेवा में लगी हूँ।
हे भगवान ! ये कैसी मुसीबत मैंने मोल ले ली।आ बैल मुझे मार।मुझे एक ही दिन में नानी याद आ गई। तुरंत उसे चलता किया। मन ही मन वह सूत्र दोहराया...अपना हाथ जगन्नाथ।