अनूठी मिसाल
अनूठी मिसाल
भारतीय वायुसेना के गरूण कमांडो ज्योति प्रकाश निराला पूरे एक साल बाद एक महीने की छुट्टी पर घर आए थे। माता-पिता की खुशी का ठिकाना नहीं था और बहनें तो भाई के आगे-पीछे घूम रही थीं, चार बहनों का एक अकेला भाई परिवार का कर्ता-धर्ता.. माता-पिता के बुढ़ापे की लाठी, सेवाभावी स्वभाव से मृदुल, सबका ध्यान रखने वाला, देशभक्ति से लबरेज बेटे के आने से मानों परिवार में खुशियां बरस पड़ी थी। इन खुशियों में चार चांद तब लग गए, जब छोटी बहन का रिश्ता तय हुआ।
विवाह तय होते ही परिवार में विवाह की तैयारियों को लेकर चर्चा शुरू हो गई। ज्योति कहता, देखना पिताजी कैसे धूमधाम से करता हूं सरला की शादी। दीदी की शादी में मैं छोटा था लेकिन अब मैं जिम्मेदार हूं और ऐसी शादी करूंगा सरला की, सारा गांव देखता रह जाएगा।
देखते-देखते एक महीना बीत गया था। छुट्टियां खत्म हो रही थीं। दिन पंख लगा कर उड़ गए थे। विवाह में तीन माह शेष थे, फिर जल्दी आने की बात कह कर ज्योति ड्यूटी पर जम्मू -कश्मीर चला गया। वह वायुसेना के द्वारा संचालित आपरेशन रक्षक का अहम सदस्य था।
१८ नबंबर २०१७ को आतंकवादियों से चंद्रगढ़ गांव मुठभेड़ हुई।ज्योति ने वीरता दिखाई..खुद के दो गोली लग जाने के बाद भी दो आतंकवादियों को मार गिराया,
लेकिन..खुद बुरी तरह से घायल हो चुका था..उसके साथियों ने उसे संभाला ! उसकी टूटती सांसों के बीच बस कुछ ही शब्द उसके साथियों ने सुने..माफ़ करना बहन ! तेरा भाई तेरी शादी नहीं कर पाया ! सांसें साथ छोड़कर जा चुकी थीं। साथियों की आंखें नम थीं। उन्हें गर्व था अपने साथी की वीरता पर।
ज्योति के घर पर विवाह की तैयारियां जोर-शोर से चल रही थीं अचानक फोन घनघना उठा। उस एक फोन से घर में मातम पसर गया। बहनों का रो-रोकर बुरा हाल था। माता-पिता पत्थर बन गए थे। जिसने सुना उसकी ही आंखें नम हो उठीं।
तिरंगें में लिपटा ज्योति का शव आ चुका था। उसकी वीरता के चर्चे हर ओर हो रहे थे। पूरा गांव उसके दर्शन को उमड़ आया था जय-जयकार हो रही थी..उसका परिवार स्तब्ध था। पुत्र के शहीद होने पर माता-पिता गर्व महसूस कर रहे थे तो उसके कभी न लौट के आने का ग़म उनका सीना चीर
रहा था। बहनें बेसुध थी। सरला होश में आते ही चीखती, भाई ! तूने धोखा दिया। मुझसे पहले ही विदा हो गया तू तो। मेरी डोली को कांधा देने वाला था !
सरला की स्थिति दयनीय थी..उसके दारूण दुख को देखकर ज्योति के सभी कमांडो साथियों की आंखें भीग गई। ज्योति का अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान से हो चुका था..वह अपनी विजय की कहानी लिखकर सदा-सदा के लिए जा चुका था !
समय बीत रहा था.. जहां विवाह का उल्लास होना था.. वहां ग़म का बसेरा था..उदासी थी। विवाह निश्चित तिथि को ही होना था..सरला के हाथों में मेंहदी लग रही थी.. आंखें भाई को याद करके बरस रहीं थीं..कैसी विडम्बना है कि जीवन का प्रवाह किसी के लिए नहीं रूकता !
आज सरला की बारात आने वाली है।खुशी कम ग़म ज्यादा है।बस औपचारिकता ! ज्योति के पिता टूटे हुए से व्यवस्था करने में लगें हैं। अचानक कई गाड़ियां दरवाजे पर आकर रूकीं। लगभग सौ के करीब जवान उन गाड़ियों से उतरे। कुछ समझ न आया !
सब हक्के-बक्के थे। पता चला ये गरूण कमांडो हैं और ज्योति के अधूरे कार्य को करने आए हैं। आते ही उन्होंने सारी व्यवस्था अपने हाथों में ले ली.. बढ़िया से बढ़िया
तैयारियां की। सभी आश्चर्य चकित होकर देख रहे थे..ऐसी शादी किसी ने नहीं देखी थी..सरला भी चुप थी।
विवाह धूमधाम से संपन्न हुआ। विदाई की घड़ी आ गई थी। सरला ने देखा सारे जवानों ने अपनी हथेलियों को जमीन पर बिछा दिया,
बोले बहन ! तेरे भाई को लौटा तो नहीं सकते लेकिन तू हम सबकी बहन है ..तू फूलों पर नहीं हमारी हथेलियों पर पैर रखकर ससुराल जाएगी, आ बहन !
अपने भाई का सपना पूरा कर..माहौल ज्योति की याद में गमगीन हो चुका था लेकिन इन जवानों की कर्त्तव्य-परायणता, निष्ठा देख सारा गांव जय-जयकार कर रहा था। इन भाइयों ने अपनी दोस्ती..अपना कर्त्तव्य पूरी निष्ठा से निभाया था।अनूठी मिसाल कायम की थी।
सरला धीरे-धीरे कदम बढ़ा रही थी..उसके चेहरे पर मुस्कुराहट आ चुकी थी। आज उसके सौ भाई थे। ऐसे भाइयों को पाकर कौनसी ऐसी बहन होगी जो खुश न होती ! उसके भाई का सपना सच हुआ था..ऐसा विवाह किसी ने पहले नहीं देखा था।
ज्योति का सपना पूरा हुआ था..उसके पिता के चेहरे पर अपने बेटे को लेकर ग़म की नहीं । देशभक्ति की चमक स्पष्ट दिखाई दे रही थी, जिस देश में ऐसे वीर सपूत हो, उसका कौन बाल बांका कर सकता है।
