अनोखा प्रपोजल
अनोखा प्रपोजल
दिखने में शांत और पहनावे से सौम्य शालिनी ने कम उम्र में ही काफी कुछ झेल लिया था। शादी के पांच साल बाद पता चला कि उसके पति हिमांशु को एड्स है। बमुश्किल अपनी कोख में पल रही आशा की एक किरण को बचाया पर उसके पिता को ना बचा सकी और इस बेदर्द दुनिया में एक नन्हीं सी जान के साथ एकदम तन्हा हो गई।
किसी के ऊपर बोझ बनना उसे स्वीकार ना था सो रमेश की स्टार्टअप जॉइन कर ली।
देखते देखते पांच वर्ष बीत गए। शालिनी, प्रेरणा को मां बाप दोनों का प्रेम दे उसे हर परिस्थिति के लिये अभी से मज़बूत बना रही है। यही मज़बूती आगे चलकर प्रेरणा को इस दुनिया में कामयाबी जो दिलाएगी।
यूँ तो रमेश ने बहुत छोटी सी धनराशि से अपना व्यवसाय शुरू किया था पर जब से शालिनी ने अकाउंटेंट के रूप में उसकी फर्म जॉइन करी, तब से जैसे मुनाफा सातवें असामान पर था। शालिनी की मेहनत और रमेश के बिज़नेस दिमाग ने थोड़े समय में ही कमाल कर दिया था। इसका श्रेय रमेश अक्सर शालिनी को दिया करता था।
आज किसी निजी काम से शालिनी देर से ऑफिस आयी और किसी फ़ाइल पर काम करने के लिये सीधा रमेश के केबिन में चली गई।
"क्या हुआ शालिनी परेशान लग रही हो, सब ठीक तो है ?"
"क्या बताऊँ रमेश, एक अकेली औरत का इज़्ज़त से जीना बड़ा मुश्किल है अपने समाज में। अभी आते आते कुछ मनचले पीछे पड़ गए और यहां तक छोड़ कर ही गए। बेटी के साथ भी कभी कभी ऐसा जब होता है तो दिल बहुत दुखता है। काश कि हिमांशु जीवित होते तो मुझे ये सब नहीं झेलना पड़ता।" शालिनी ने बेबसी और दुख से कहा।
“ शालिनी, यदि तुम बुरा ना मानो तो एक बात कहना चाहता हूँ ? देखो मुझे गलत मत समझना, तुम मेरी सहकर्मी ही नहीं बल्कि एक अच्छी दोस्त भी हो, तुम्हारी इस बात से बहुत दुख हुआ। मैं तुमसे शादी करना चाहता हूँ, मुझे अपने सफर में हमसफ़र बना लो। ये मत समझना कि मैं तुम पर कोई उपकार कर रहा हूँ, बिल्कुल नहीं शालिनी बल्कि मैं तुमसे प्रेम करता हूँ तभी से, जब से तुमने यहाँ काम करना शुरू किया है। प्रेरणा की पूरी जिम्मेदारी भी मेरी और तुम्हें हर ख़ुशी देने की भी।" शालिनी की आँखे ऐसे अनोखे प्रस्ताव से नम हो गयीं और उसे विश्वास हो गया कि इस समाज में कुछ अच्छे लोग भी हैं, जिनके भरोसे दुनिया टिकी हुई है।