अनोखा आशीर्वाद
अनोखा आशीर्वाद
आज हम सब घर के सदस्य ख़ास कर "महिला मंडली" घर के सब काम निपटाकर आपस में हंसी -मज़ाक़ कर रहे थे। हमारी सबसे छोटी देवरानी अलका कुछ ज़्यादा ही चंचल हैं और मुँहफट भी हम बड़े तो अपनी दादी सासुमां का बहुत आदर करते हैं।
वो डॉक्टर है तो अक्सर दादी माँ की सेहत का ख़्याल रखने की ज़िम्मेदारी हमारे ससुर जी ने, अलका को दे रखी है। वो उनको कभी प्यार से तो कभी अपनी डॉक्टर होने का रोब दिखा कर उनके सारे चेकअप करवा लेती है। अलका के सामने दादी मां का तीखे तेवर धार शाही होते देखें हैं हमने, एक दिन वो दादी सासु मां से बातें बना रही थी।
इतने में अलका को क्या सुझा की दादी मां से पुरानी बातों सुन रही थी, दादी मां का फिर वही हमारी सासुमां और सासुजी की शादी का किस्सा सुनाने लगी।वही पुराना राग हमारी सासुमां का नाम "सुधा"है तो उनको कहने लगी इसके मायके वालों ने मेरे नवीन को कुछ भी दान दहेज नहीं दिया अरे सुधा तुझे ख़ाली हाथ बिदा कर दिया...
बस इतना सुनना था कि अलका अपनी रो में बोलने लगी अरे दादी माँ दहेज लेने। संयुक्त परिवार में रहते हैं। दो-तीन देवरानियों में बड़ी बहू हूँ। हमारी सास और दादी सास भी हैं। हमारी सास बहुत सीधी-सादी है, हमारी दादी सास बड़ी तेज़-तर्राट है, हम पोता बहुओं के सामने अब भी हमारी सास को उनके मायके लिए ताने मार देना ।उनकी रोज़ाना की दिनचर्याआज हम सब घर के सदस्य ख़ास कर "महिला मंडली" घर के काम में अलका को क्या सुझा की दादी मां से पुरानी बातों सुन रही थी, दादी मां का फिर वही हमारी सासुमां और सासुजी की शादी का किस्सा सुनाने लगी।वही पुराना राग हमारी सासुमां का नाम "सुधा"है तो उनको कहने लगी इसके मायके वालों ने मेरे नवीन को कुछ भी दान दहेज नहीं दिया, अरे सुधा तुझे ख़ाली हाथ बिदा कर दिया...
तब ही हमारी सासु मां ने अलका की बात सुन ली उन्होंने अलका को मना किया तुम कोई भी अम्माजी से ऐसी बाते मत किया करो मुझे उनके साथ रहते हुए 45 साल हो गए हैं, उनकी किसी भी बातों को मैं बुरा नहीं मानती मेरे लिए उनका प्यार और उनका आर्शीवाद है वो जितनी कठोर तुमलोग को लगती हैं वैसी नही है जैसे नरियल होता उपर से कठोर अंदर से मुलायम ...
आजकल के ज़माने की बहुएं नहीं समझोगी हमारा ये प्यारा रिश्ता....।