MITHILESH NAG

Drama Romance

5.0  

MITHILESH NAG

Drama Romance

अनकहे रिश्ते

अनकहे रिश्ते

6 mins
403


  “तुम इतनी रात को क्या कर रही हो?” कुछ बोलोगी की बस ऐसे रोती ही रहोगी। (बगल में रिया की दोस्त प्रिया बैठी है।)

“कितनी बार बोली हूँ,... उस लड़के से दूर रहा कर,लेकिन तुझे तो जैसे हमेशा धोखा खाने का भूत सवार रहता है।”

अच्छा..... अब चुप हो जाओ। (उसके हाथ मे रुमाल देती है)

कुछ देर ऐसे ही प्रिया रिया को चुप कराती रहती है।और उसको समझ मे आ जाता है,की जरूरी नहीं है..की अनकहे रिश्ते भी सही हो।

“ अब जा कर सही बोली” चलो अब रूम में चलते है।


6 महीने पहले.....

प्रिया पहले से ही यही कोई 2 साल से सिविल की तैयारी कर रही थी।और रिया 2साल बाद इलाहाबाद तैयारी के लिए आती है। दोनों साथ ही नैनी में ही रहती है। 

रिया को इलाहाबाद के तौर तरीके कुछ नहीं पता था,की यहां कैसे पढ़ना चाहिए।,कैसे कुछ बातों को अनदेखा करना चाहिए।कुछ भी नहीं पता था। बस ये जानती है कि कोई बहुत बड़ा शहर है जहाँ लाखो लोग हर कोई सिविल की तैयारी के लिए आते है।

रिया सुबह 6 बजे कोचिंग जाती है,जब कि प्रिया की कोचिंग खत्म हो चुकी थी।अब तो सेल्फ तैयारी करनी रहती है।

“देख रिया तू सुबह सुबह तैयार हो कर कोचिंग के लिए निकल जाया कर,मैं सब काम कर दूँगी” वैसे भी तेरा अभी नया नया कोचिंग चल रहा है इसलिए जल्दी जाना होगा।

“ठीक है,लेकिन... मुझे अच्छा नहीं लगेगा कि तुम अकेले ही सब कुछ करोगी और मैं बस.... (प्रिया उसका हाथ पकड़ कर)

मैं सब कर लूँगी... तू जा।

कोचिंग में ....

आज पहला दिन रहने की वजह से रिया को कुछ समझ मे नहीं आ रहा है कि क्या करे?लेकिन फिर क्लास रूम में जा कर एक एक कुर्सी पर बैठती है। और चारो और लड़के लड़कियाँ भी है।

अब क्लास चल रह है।आज सर हिंदी के बारे में नए सिरे से बता रहे है। ऐसे ही 3 घण्टे बीत गए कुछ पता ही नहीं चला।

कुछ दिन ऐसे ही रोज चलता रहा।उसका मन नहीं लग रहा था।पता नहीं किस बात को लेकर वो बहुत परेशान थी।

एक दिन अचानक से रास्ते मे एक कागज का टुकड़ा गिरा पड़ा रहता है। पहले तो उसको वो वही देखते आगे बढ़ गयी।लेकिन फिर वापस आ कर उस पेपर के टुकड़े को उठा लेती है। फिर शाम को जब रूम पर प्रिया किसी काम से मार्केट गयी थी।तो उस पेपर को खोलती है। उस पर श्याद कुछ लिखा था.....

“ रिया... मैं जानता हूँ, तुम मुझसे बहुत प्यार करती हो और ये भी मुझे पता है कि तुम्हरी शादी मुझसे नहीं होगी।क्यो की तुम्हरी शादी मुझसे नहीं किसी और से होगी है। 

आज जब मुझे तुम्हरी जरूरत है तो तुम कही खो गयी हो। क्या यही प्यार है। आज भी मुझे याद है जब तुम पहली बार मुझे मिली थी तो कितना घबरा गई थी।वो तो मैं तुम को समझने के बाद तुम शांत हुई।”

“पता नहीं मैं कितने दिन रहूँगा खुद को नहीं पता... । आज तो नहीं लेकिन मेरे ना रहने के बाद श्याद तुमको मेरी याद आएगी”

जो धड़कन धड़क रहा है दिल मे वो मेरा ही धड़क रहा है। जब एक्सीडेंट...... तभी अचानक से दरवाजे की खटकने की आवाज आयी।

“क्या हुआ ऐसे क्यो चौक रही हो”।(उसके मुँह को देख कर)

कुछ नहीं यार... ऐसे ही तुम भी ना बात बात पर शक करती रहती हो।” 

अच्छा... एक बात बोलू? मुझे ऐसा क्यों लगता है जैसे मेरी लाइफ कुछ अधूरी अधूरी सी लगती है।लेकिन कुछ पता नहीं चलता है।

( मुँह को देखती रहती है,और प्रिया को भी समझ मे नहीं आया कि बोल क्या रही है)

“पागल हो गयी है क्या.. कुछ भी सोचती रहती है। (उसकी बातों को अनदेखा करती है,ऐसे जैसे उसे पहले से कुछ पता हो)

“अच्छा अब सो जाओ”...

कुछ दिन बाद....

एक दिन रिया अपने सीट पर बैठी थी कि एक लड़का पास में बैठ गया। पहले तो रिया को समझ मे नहीं आया कि क्या करूँ,लेकिन फिर नार्मल हो।

“रिया नाम है आप का ?” (अपना सिर धीरे से उसके मुँह की तरफ कर के)

“हाँ..... क्यो और मेरा नाम कैसे जानते हो तुम?”

“तुम्हरी बुक पर लिखा है”, बुक की तरफ दिखाते हुए।

ओह! तो ये बात है, “मुझे लगा तुम को मेरा नाम कैसे पता।”

लेकिन...मुझे तुम्हरा नाम तो नहीं पता है। ( हँसते हुए)

“मिथलेश”.... 

“अच्छा नाम है”

“तो रख लो इस नाम को अपने दिल मे”....

“मैं... लेकिन किस लिए”

“ऐसे ही कभी मेरे इस नाम को याद करोगी जब भूल जाओगी”

 अच्छा....

“क्योकि कभी कभी अनचाहे रिश्ते को भी ना चाहते हुए भी हमे याद रखना पड़ता है”।

 ऐसे ही अब रोज रिया मिथलेश से मिलने लगी।अब उसको लगने लगा कि शायद कुछ इस लड़के में कोई बात है ना चाहते हुए भी इसकी ओर खिंची आ रही हूँ।


एक दिन......

मिथलेश ने रिया से वादा किया था,की जब हमारा कोचिंग खत्म हो जाएगा तो हम अपने घर तुम को लेकर चलेंगे।

और फिर रिया प्रिया से मिलाने के लिए भी बोली थी।लेकिन उस दिन मिथलेश कोचिंग में भी नहीं आया। बहुत देर तक इंतजार करते करते वो बिना कुछ बोले क्लास से निकल कर बाहर आ गयी। फिर पूरा दिन वो इधर उधर घूमती रही इस उम्मीद में की श्याद मिथलेश कही मिल जाये।

“मिथलेश तुम कहाँ चले गए”.. ऐसा क्यों लग रहा है कि तुम मेरे पास हो कर भी दूर हो। कही दिख भी नहीं रहे हो।

फिर रात को.....

रिया रोते हुए रूम में आती है।

“क्या हुआ? और तुम हर रोज बाहर उस छोटे से पेड़ के नीचे क्यो बैठी रहती हो।”

अचानक रिया को भी ये बात नहीं समझ मे आया कि हाँ.. 

“पता नहीं क्यो ? लेकिन ऐसा लगता है जैसे कोई मुझे सहारा दे रहा हो वो भी इस दुख की घड़ी में”... जब कि मेरे घर पर भी नीम का पेड़ है। जैसे वो यहां आ गया हो ।

लेकिन तुम रो क्यो रही थी ?

तब रिया रोते हुए पूरी बात बताने लगी।

इतना सुनते ही प्रिया बोली“ ये नहीं हो सकता”

”क्या नहीं हो सकता?”

फिर प्रिया जल्दी जल्दी अपनी डायरी से कुछ खोजने लगी।

कहाँ.... गया वो लेटर?

कही ये तो नहीं है। ( उसने वो लेटर देते हुए)

हाँ...हाँ.. “ लेकिन तुम को कहाँ मिला”

“बाहर सड़क पर”।

प्रिया पहले रिया को अपने पास बैठाती है,और फिर उसकी आँखों मे देखते हुए....

,“जिस मिथलेश की बात कर रही हो उसे मारे हुए 4 साल हो गए है, 4 साल पहले जब कोचिंग तुम्हरी ख़त्म हो गयी थी तो तुम,मैं और मिथलेश तीनो घर जाने के लिए सड़क पर खड़े थे।लेकिन मुझे कुछ काम याद आया तो मैं फिर से रूम में आ गयी, लेकिन कुछ ही देर में बाहर लोगो की आवाज़ आ रही थी। जब मैं बाहर देखी..... तो तुम दोनों को एक कार ने टक्कर मार कर भाग गया था।

फिर दोनों को हॉस्पिटल ले कर आये,डॉक्टर ने देखा तो मिथलेश को देखते ही बोला कि “इसको बचाना मुश्किल है,औरे लड़की की हार्ट को बदलने से लड़की बच जाएगी”। क्यो तुम्हरी हार्ट डैमेज हो चुकी थी।


मिथलेश ने बोला“ मेरी चिन्ता मत करो,और डॉक्टर से बोलता है कि जल्दी से मेरा दिल रिया को लगा दो”।

और प्रिया....“ मुझे पता है कि इसके परिवार वाले नहीं मानेगे और मुझे ये जान से ज्यादा चाहती है” इसलिए इसे कभी नहीं पता चलना चाहिए कि क्या हुआ था।

उसने उसको एक लेटर दिया कि ये जब कभी उसको मेरा एहसास होगा तो उसको ये लेटर दे देना ताकि वो मुझे भूल जाये” और एक नीम का बीज देता है कि इसको घर पर लगा देना जिससे मैं हमेशा इसको देखता रहूं।”

इतना कह कर वो मर जाता है... रिया को मिथलेश का दिल लगा रहता है। ठीक तो हो जाती है,लेकिन 4 साल तुम कोमा में थी ।

इसलिए तुम को जो कुछ याद है,या कोचिंग में जो कुछ हुआ वो सब तुम्हरा वैहम है।

पूरी बात सुनने के बाद रिया को समझ मे आ गया कि आखिर क्यों उसको एक अपना सा लगता था वो पेड़ । और उसके दिल मे एक अजब सी हलचल होती रहती थी ।


“ श्याद उसको भी ये महसूस हुआ कि प्यार कभी मरता नहीं बस उसको एक नए अहसास से जाना जाता है”

जिसको हम “ अनकहे रिश्ते” कहते है।



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