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Indu Kothari

Tragedy Others

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Indu Kothari

Tragedy Others

अनजानी राहें

अनजानी राहें

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राघव के घर में आज बड़ी चहल-पहल थी। हो भी क्यों न, आज उसकी लाडली बेटी अनुष्का की शादी जो है। मेहमानों के स्वागत के लिए वह खुद बड़ा उत्सुक था। वह सभी की आवभगत में लगा था। कि इसी बीच भीड़ में उसे अपने सबसे प्रिय मित्र अनुराग का जाना पहचाना स्वर सुनाई दिया, बधाई हो बहुत बहुत। उसने पीछे मुड़कर देखा, तो खुशी से झूम उठा। कसकर उसे गले लगाकर पीठ थपथपाते हुए बोला कैसे हो? चलो अन्दर इत्मीनान से बैठें। दोनों ठहाका लगाकर हंसे, लेकिन अगले ही पल अनुराग के चेहरे पर उदासी पसर गई। वह राघव से अपनी उदासी छिपाने का असफल प्रयास कर रहा था। राघव उससे कुछ पूछता कि तभी अनुष्का के मामा मामी भी पहुंच गये। मैं आता हूं ,कहकर राघव मेहमानों की खातिरदारी में लग गया। थोड़ी ही देर में बारात भी आ पहुंची, अनुष्का सज ध़ज कर जब वरमाला के लिए निकली तो उसे देख अनुराग की आंखों की कोर से आंसुओं की बूंदें छलक पड़ीं। वह सोच रहा था कि आज मेरी लाडली तन्नू भी इतनी ही बड़ी हो गई होगी। उसके सामने पच्चीस साल पहले की घटना किसी चलचित्र की भांति घूमने लगी । कभी उसका भी एक प्यारा सा परिवार हुआ करता था। बेटा कौस्तुभ, बेटी तन्नू ,हंसमुख पत्नी और मां, जब तन्नू का जन्म हुआ तो वह बहुत खुश था। घर आना चाहता था, लेकिन फौज की नौकरी में छुट्टियां मुश्किल से मिलती थी। धीरे-धीरे बच्चे बड़े होने लगे। वह उनके भविष्य के लिए चिंतित था। उसने अपनी सारी जमा पूंजी लगा कुछ लोन की व्यवस्था कर दिल्ली में एक अच्छा सा घर खरीद लिया। और परिवार को वहीं ले आया। उसकी साली सरला भी दिल्ली में ही रहती थी, तो उसने सोचा कि अपना कोई आसपास हो तो सहारा रहेगा। कुछ दिन छुट्टी बिताने के बाद वह चला गया। इस समय उसकी पोस्टिंग असम में थी। 


अगली बार जब वह दो महीने की छुट्टी आया तो पत्नी के तेवर बदले -बदले नजर आये। वह पहले वाली सीधी सादी भोली सुरेखा नहीं थी। वह काफी बदल चुकी थी। वह पति से बात बात पर उलझ पड़ती। धीरे-धीरे घर में क्लेश होने लगा और दोनों पति-पत्नी में तू-तू-मैं-मैं होने लगी थी। धीरे-धीरे झगड़ा बढ़ता ही गया और नौबत तलाक तक पहुंच गई। सरला और उसके पति का उनके घर पर आना जाना लगा रहता था। और धीरे-धीरे उसका झुकाव अनुराग की पत्नी सुरेखा की तरफ बढ़ने लगा। क्योंकि उसकी नजर उनके आलीशान बंगले पर थी। अनुराग की पत्नी सुरेखा उसके झूठे दिखावे को प्यार समझ कर उसे दिल दे बैठी। वह अनुराग की पत्नी और घर दोनों पर अपना कब्जा करना चाहता था । सुरेखा ने अनुराग से साफ शब्दों में कह दिया कि वह अब उसके साथ नहीं रह सकती, उसे सिर्फ और सिर्फ तलाक चाहिए। अनुराग का घर पत्नी के नाम रजिस्टर्ड था। और इसीलिए सरला और उसका पति सुरेखा को बहला फुसलाकर तलाक लेने के लिए उकसा रहे थे। अनुराग बहुत दुखी था। उसने सुरेखा को बहुत समझाया लेकिन उसने उसकी एक न सुनी। और आखिर उनके मन की मुराद पूरी हो गई। और उन दोनों के बीच तलाक हो ही गया। अनुराग ने यह बात अपने सबसे अजीज दोस्त को बताई। कि पत्नी ही नहीं बल्कि अब तो घर भी मेरे हाथ से निकल गया। और फूट-फूट कर रोने लगा। उसने दोस्त को सारा किस्सा सुनाया। दोस्त ने कहा कि जब बैंक लोन की किस्त आपके एकाउंट से कट रही है तो घर पर आपका ही अधिकार है। अपना दावा पेश करो।

सभी साक्ष्य जुटाए गए बैंक डिटेल खंगाली गई। और फिर सत्य उजागर होते ही घर अनुराग को वापस मिल गया। सरला का पति यह सदमा बर्दाश्त नहीं कर पाया और दिल का दौरा पड़ने के कारण उस लालची इंसान का देहांत हो गया। अब सरला ने सुरेखा को भी घर से निकाल दिया। वह रोती बिलखती रही लेकिन सरला का मन पत्थर का बना हुआ था। उसके लिए वापसी का रास्ता बंद हो चुका था। अनुराग के उसी दोस्त की एक पढ़ी-लिखी जवान विधवा बहिन थी जो डाक विभाग में नौकरी करती थी। कुछ समय पश्चात उसने दोनों के सामने शादी का प्रस्ताव रखा कि यदि आप दोनों की रजामंदी हो तो मैं आपसे एक बात कहना चाहता हूं कि तुम दोनों शादी कर लो क्योंकि कि अकेलापन इंसान को अंदर से खोखला कर देता है। कुछ दिन बाद वे दोनों शादी के बंधन में बंध गए। और फिर एक प्यारी सी गुड़िया उनके घर संसार में कदम रखा । वह यादों में खोया था कि तभी उसे हल्का सा धक्का लगा और उसकी तंद्रा टूट गयी ।उसे ऐसा लगा ,कि जैसे कोई अपना ही यहां से गुजरा हो।



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