अजय

अजय

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हाँ मेरा नाम अजय ही तो है ,अपने माँ बाप का इकलौता चिराग,जो भी जरूरतेx सब माँ बाप ने पूरी की कैसे की इससे हमारा कोई सरोकार नहीं।

एक मजेदार बात बताऊँ, हर समय टोका टाकी यह ना करो वह ना करो सुनते सुनते कान पक गये, मन होता है सब छोड़कर भाग जाऊँ। हर समय यह कहना कि दूध पीलो खाना खा लो कान पक जाते हैं।

मन होता है सब छोड़कर कहीं चला जाऊँ सोच ही रहा था कि माँ की आवाज आयी कि बेटा सोये नहीं सो जाओ फिर सवेरे कॉलेज भी जाना है। सुन कर ही दिमाग गरम हो गया अरे यार मेरी जिंदगी जैसे चाहे जीओ हर समय।

अंगुली करना पता नहीं कब सुधरेंगे, कब सोचते सोचते सो गया पता ही ना चला रात में।

पिताजी कंबल ढके तो मैं आँख बंद कर पड़ा रहा, अब माँ पापा की धीरे बात करती हुई आवाज से आँख खुल गयी दोनों धीरे धीरे बात कर रहे थे। वह भी हमारे बारे की बड़ा चिड़चिड़ा हो गया है, खाना वाना ठीक से नहीं देती हो।

लग रहा है, यह सुनकर माँ रोने लगी वह तो हमारी बात सुनता ही नहीं, पिताजी बोले कल आफिस से एडवांस लेकर इसको Hostel भेज देते हैं। फिर देखा जायेगा। हम लोग कैसे रहते है बस इसका जीवन बन जाये और हम लोगो चाहिये ही क्या मकान बेच देंगे।

हम तुम किराये कमरे में रह लेंगे। यह कह कर पिताजी भी रो पड़े। मैं इतना शर्मसार हुआ कि यह मेरे माँ बाप है जो हर हाल में हमको खुश देखना चाहते हैं पर मैं कितना बुरा हूँ यह आखिर मेरे माँ बाप है मेरा कभी बुरा नही सोचेंगे और अपने आप से हमने वादा किया कि मैं इनकी आशा का दी बुझने नहीं दूंगा।

मेरा नाम अजय है, वह साबित करके रहूँगा।


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