Priyanka Saxena

Drama Inspirational Children

4.5  

Priyanka Saxena

Drama Inspirational Children

ऐसे घरवालों की ज़रूरत नहीं

ऐसे घरवालों की ज़रूरत नहीं

3 mins
247


राकेश ने फोन पर अपनी भाभी को उलाहना दिया," अक्षय की शादी तय कर दी आपने और हमें बताया भी नहीं, भाभी।"

"भैया, सब जल्दी जल्दी में हो गया। आपको आज फोन करने ही वाली थी।" सीमा ने बेचारगी से कहा

" बस बस भाभी। बातें नहीं बनाओ। वो तो अक्षय का दोस्त सुधांशु मिल गया आज बाज़ार में। उसने बताया तो घरवालों को पता भी चल गया। वरना तो भैया की मृत्यु के बाद से आपने हमें पराया ही कर दिया।" राकेश तुनक कर बोला

मोबाइल उसने अपनी पत्नी रानी को पकड़ा दिया। उसने भी उसी लहज़े में सीमा से बात की। बात तो क्या , शिकायत की।

सीमा ने बहुत समझाया , माफ़ी तक मांगी। तब जाकर वे बोले कि कोई काम हों तो बताना।

फोन रखकर सीमा यादों में खो गई। उसे वो दिन याद आ गए। दस वर्ष पहले उसने बत्तीस साल में ही अपने पति रमेश को खो दिया। रमेश को एक रात अस्थमा का पैनिक अटैक आया और अस्पताल ले जाते जाते उनके प्राण निकल गए। तब देवर देवरानी सभी घर में मौजूद थे। संयुक्त परिवार में रहते थे। सास-ससुर के साथ सब रहते थे। कितना दरवाजा पीटा, देवर का पर वे बाहर नहीं आए। अंदर से ही कह दिया, बाम लगा लो सीने पर आराम आ जाएगा। सास-ससुर बुजुर्ग थे। अकेले ही एंबुलेंस में अस्पताल लाई थी, सीमा। परंतु पति को नहीं बचा पाई।

रमेश की मृत्यु के थोड़े दिनों बाद ही देवर-देवरानी ने सास-ससुर को न जाने क्या पटृटी पढ़ाई कि उन्होंने सीमा को दो बच्चों के साथ घर से निकाल दिया। पंद्रह साल के अक्षय और छह साल की अक्षरा के साथ सीमा ने बहुत मुश्किल से एक घर किराए पर लिया। रमेश सरकार में अच्छी पोस्ट पर थे। उनकी मृत्यु के बाद सीमा को अनुकंपा नियुक्ति क्लर्क की दी गई थी। कैसे दो बच्चों को पाला और समाज से बचते हुए पढ़ाया, वही जानती है। अक्षरा ग्यारहवीं में पढ़ रही है। अक्षय इंजीनियरिंग कर एक मल्टीनेशनल में काम कर रहा है। उसके साथ की कुलीग सौम्या से उसने माॅ॑ से मिलवाया। सीमा को भी सौम्या अच्छी लगी। अपने जैसे घर की स्नेहमयी लड़की है, सौम्या। इस तरह से अक्षय की शादी तय हो गई।

एक ही शहर में दस साल से रहते हुए जिन देवर- देवरानी ने कभी हाल नहीं पूछा। वे आज सगे संबंधी और घरवाले बनकर अपना हक जताने आ गए। सास ससुर एक एक कर दो साल में ही काल कवलित हो गए। सीमा तब गई थी परन्तु देवर देवरानी ने उसे घर में पांव तक नहीं रखने दिया। उन्हें डर था कि सीमा पुश्तैनी मकान में अपना हिस्सा न मांग लें। सीमा तो दस साल पहले ही सब मोह माया त्याग कर उस घर से आई थी।

सीमा की समझ में नहीं आ रहा था कि देवर देवरानी आज अचानक से सगे कैसे बन गए? बच्चों से बात की तो उन्होंने चाचा-चाची को बुलाने से साफ मना कर दिया। सीमा ने भी आज पहली बार अपने को इन फालतू के बंधनों से मुक्त पाया।

दोस्तों, बताइए सीमा ने सही किया या नहीं ? आपकी प्रतिक्रिया का इंतजार रहेगा।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Drama