Avinash Agnihotri

Drama Classics Inspirational

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Avinash Agnihotri

Drama Classics Inspirational

अदृश्य रंग

अदृश्य रंग

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अपने इंग्लिश मीडियम स्कूल में पढ़ने वाले बेटे अभीर को वह, छुट्टी वाले दिन अपने साथ मंदिर ले जाना कभी नहीं भूलती। ताकि वह आधुनिक शिक्षा के साथ अपने धर्म से भी गहराई से जुड़ सके।

फिर आज मंदिर में स्वेत वस्त्रधारी वहां के सेवकों को भगवान की सेवा करते देख। अभीर ने जिज्ञासावश अपनी माँ से पूछा।"माँ यहां ये सब सफेद कपड़े ही क्यो पहने है"।

तब माँ उसे समझाने के उद्देश्य से बोली, "बेटा ये स्वेतरंग निर्विकारी होता है।" और विकाररहित व्यक्ति ही ईश्वर के सबसे करीब होते है।

माँ की बात सुन कुछ पल अपनी माँ की ओर निहारते हुए वह बोला," माँ तब तो हम ईश्वर से बहुत दूर होंगे, क्योकि हम तो हमेशा रंगीन कपड़े ही पहनते है। "

उसकी बात सुन एक पल तो माँ मुस्काई, पर अगले ही पल यह विचार उसके मन मे कौंध गया। कि हम माने या ना माने, पर वाकई भिन्न भिन्न अदृश्य रंगों में हम सभी अंतर तक डूबे हुए तो है।


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