Akshat Garhwal

Action Fantasy Thriller

4.5  

Akshat Garhwal

Action Fantasy Thriller

अध्याय 13

अध्याय 13

14 mins
150


वो कोई फिल्म नहीं थी, न ही कोई सपना था ! आनंद और रूबी की आंखे जो देख रही थी वो सब असल में उनके सामने ही हो रहा था। सृजल और उस असैसिन् जिसने अपने नाम ओबर बताया था दोनों एक ही पैमाने पर एक दूसरे पर मुक्कों की बरसात कर रहे थे और दोनों ही एक दूसरे के हमलों को रोक पा रहे थे पर ओबर जो कि 6 फुट 5 इंच का हट्टा कट्टा शरीर लिए हुए था उसकी ताकत सृजल से ज्यादा थी, पर उसकी रफ़्तार अपनी जितनी देख कर तो सृजल भी हैरान था...............आनंद और रूबी उन दोनों की लड़ाई से थोड़ी दूरी पर उस कचरे के कंटेनर के पास खड़े हो गए और क्योंकि वो सृजल के बिना वहां से भाग नहीं सकते थे

“सालों बाद कोई ऐसा मिला है जो मेरा मुकाबला कर सके...पर अफसोस ! तुम्हे रास्ते से हटाना बहुत जरूरी है” ओबर पीछे को हटता हुआ कूदा, कुछ कदम की दूरी से अपना सर किसी सांड की तरह झुकाया और गोली की तरह पहले से भी तेज रफ्तार से जाकर सृजल से टकराया। सृजलने अपने हाथों से समय रहते मर्म स्थलों को सुरक्षित कर लिया था पर ओबर के प्रहार से काफी दूर जा गिरा था रेत में।

आनंद और रूबी के पास ये सब देखने और सृजल पर भरोसा करने के अलावा और कोई भी रास्ता नहीं था। सृजल को भी लड़ने में काफी परेशानी होने लगी थीं, ओबर की टक्कर ने सृजल का पूरा शरीर इस कदर हिला दिया था कि सृजल का सेंस ऑफ बैलेंस(Sense of Balance) बुरी तरह से हिल गया था। सृजल किसी तरह खड़ा जरूर हो गए था पर उसे अभी भी चक्कर से आ रहे थे और ओबर अब सृजल के काफी करीब आ गया था

“सोचा नहीं था कि ये सब इतनी जल्दी खत्म हो जाएगा” ओबर ने अपना हाथोड़े जैसा हाथ की उंगलियां सीधी की,किसी धारदार चाकू की तरह और निशाना साधा सीधे गर्दन की ओर !

“सृजलsssssss !” आनंद ने ओबर के हमले को भांप लिया पर डर के मारे सिर्फ सृजल का नाम ही निकला, रूबी का तो शरीर कांप गया एक जाना पहचाना से डर उसके जहन में आ गया

“ट्रेडिशनल जु-जुत्सु; हेड ओवर थ्रो ! (Traditional Ju-Jutsu; Head over throw !)”

सृजल को भले ही सब हिलता हुआ दिख रहा था पर उसके दादा जी ने उसे इस तरह ट्रेन किया था कि अगर वो आंख बंद भी किये हुए है तब भी उसके हाथ बराबर फासले के अंदर किया हुआ कोई भी हमला उसे महसूस हो जाता था। तभी जैसे ही ओबर का हाथ तलवार की तरह हवा चीरते हुए सृजल के एक हाथ की सीमा में आया उसने तुरंत ही घूमते हुए अपनी पीठ ओबर की तरफ की थोड़ा झुकते हुए जैसे ही ओबर का हाथ सृजल के कान के पास से निकला; सृजल ने बांये हाथ से उसकी कलाई पकड़ी और दांये हाथ से उसके कंधे से थोड़े पास हाथ पकड़ा और उबेर की रफ्तार को उसी के खिलाफ इस्तेमाल करते हुए उसे हवा में उठा उसका सर नीचे जमीन में दे मारा

‘भसsssss !’ उसका सर रेत में जा घुसा, ओबर ने भी इस तरह के अंजाम की कल्पना भी नहीं कि होगी। तभी अचानक सृजल को ऐंसा लगा जैसे उसकी ताकत कमज़ोर पड़ गयी हो,शरीर भारी हो गया हो। वो जमीन पर घुटनों पर आ गया और उसके दिमाग और मुंह से सिर्फ एक ही बात निकली

“आनंद ! रूबी ! जल्दी से बोट में जाकर बैठो” सृजल की बात सुनकर आनंद ने तुरंत रूबी का हाथ पकड़ा और उसे लेकर बोट की ओर दौड़ पड़ा। जितनी देर में आनंद और रूबी बोट में जाकर बैठ गए, सृजल भी किसी तरह लड़खड़ाता हुआ बोट की तरफ आने लगा। उसे अब जाकर अहसास हो रहा था कि ओबर के खादी जैसे जैकेट के कंधों पर लगे छोटे-छोटे धातु के कांटे फैशन नहीं बल्कि हथियार ही थे। जब ओबर ने सृजल को टक्कर मारी थी और जब सृजल ने उसे अभी उठा कर सर के बल पटक दिया तब वो कहते सृजल के हाथ और हथेली में चुभ चुके थे.......................जिस कारण सृजल; के शरीर में काफी कमजोरी लगनी शुरू हो गयी थी

“सृजल ! जल्दी कर भाई !.....” आनंद घबराहट भरे स्वर में चीखा, सृजल को सुनाई भी दिया इसलिए वो किसी तरह लड़खड़ाता हुआ ही सही बोट के पास आने लगा

पर इतनी ही देर में ओबर उठ खड़ा हुआ....उसके चेहरे से शैतानियत टपक रही थी। उसने अपनी गर्दन को अपने हाथ से चटखाया, पानी जैकेट एक ही हाथ से पकड़ कर फाड़ दी.....उसका भारी से और बना-पूरा बदन सबके सामने था।

चौड़ा सीना, पेट की मांसपेशियां और फेंफड़े के पंजर भी साफ दिख रहे थे और उसके भी ऊपर उसके सीने पर किसी तरह का टैटू था...आनंद ने उस पर गौर किया तो पाया कि वो एक गहरे लाल रंग के ऑक्टोपस का टैटू था जैसा न ही आनंद और न ही रूबी ने कभी देखा था। उसे उठाकर खड़ा होता देख आनंद औऱ रूबी को कुछ खास हैरानी नहीं हुई क्योंकि उस इलाके में रेत ही रेत थी, अगर नीचे फर्श होता या ठोस जमीन होती तो ओबरा काफी देर तक या काफी दिनों तक नही उठ पाता क्योंकि उसकी गर्दन में अच्छी-खासी चोट लग जाती....पर आज किस्मत भी उनका साथ कम ही दे रही थी

सृजल अब बोट से ज्यादा दूरी पर नहीं था और.......ओबर से भी, ओबर ने सृजल की ओर दौड़ लगा दी और सृजल कि पीठ पर एक जोरदार लात मारी

‘धाड़ !’ बेसुध सा सृजल जाकर बोट के नीचे हिस्से से टकरा कर गिर गया। उबेर ने सृजल को बालों से पकड़ कर खड़ा किया, बोट से टिकाया

“ये ‘पफर’ फिश का जहर है, थोड़ा धीमा पर घातक !......पर अब तुम्हे मैं अपने ही हाथों से मारूंगा’ ओबर ने सृजल की गर्दन को दोनों हाथों से दबाना शुरू कर दिया। सांस कम होते ही सृजल झटपट कर ओबर के हाथ पकड़ते हुए छूटने की कोशिश करने लगा पर जहर ने उसे धीमा दिया था। सांस न आने से सृजल की आंखें बंद होने लगी, उसकी झटपटाहत भी कम हो गई। ओबर के चेहरे की मुस्कान चौड़ी होती जा रही थी

“आsssssss ह........ssssssss !” तभी बोट से सीधे ओबर पर आनंद कूदा और बाटन को चालू करके उसके माथे पर दे मारा। वो इतनी तेज चीखा जैसे उसके प्राण निकल गए हो और कुछ ही पलों में बेसुध हो कर अब जमीन पर पड़ा हुआ था। आनंद का बस चलता तो ओबर के ऊपर ही बैठ कर अभ्जी तांडव कर रहा होता पर उसने ओबर के बेहोश होते ही सृजल को उठा कर बोट में डाला और निकल पड़ा किनारे की ओर क्योंकि डोर से ही आनंद को पुलिस की पेट्रोलिंग करती बोट दिख गयी थी जो कि शायद इसी ओर आ रही थी। आनंद ने पूरी रफ्तार में बोट चला दी और रूबी फार्मसूइटिकल के सबसे पास वाले किनारे पर ले आया। सृजल के दोनों हाथ कंधों पर डाल कर आनंद और रूबी उसे जल्दी से मेडिकल वार्ड की तरफ ले जाने लगे। सृजल कि सांसे अब और भी धीमी होने लगी थी इसलिए आनंद और रूबी की हालत बहुत खराब हो चुकी थी। अगर सृजल को कुछ हो गया तो वो दोनों खुद को कभी भी9 माफ नहीं कर पाएंगे।

मेडिकल वार्ड के बाहर रूबी और आनंद बैठे हुए थे आते ही से डॉक्टर रमन रॉय ने सृजल को ऐसी हालत में देख कर उसे तुरंत ही भर्ती किया आनंद ने डॉक्टर रॉय को बताया था कि सृजल को पफर फिश का जहर दिया गया है। इतना सुनते ही नर्स अलका ने एन्टी टॉक्सिन्स का इंजेक्शन दिया ताकि जहर का असर कुछ देर के लिए धीमा किया जा सके। सृजल को अंदर ले जाने के बाद अभी मात्र 10 मिनट ही हुए होंगे कि डॉक्टर रॉय मेडिकल रूम से बाहर आ गए उनके चेहरे पर अब भी मास्क लटक रहा था, उनके चेहरे पर अजीब सा भाव था जिसे देख कर सिर्फ इतना ही बताया जा सकता था कि वो कुछ परेशान से है

“डॉक्टर रॉय ! सृजल ठीक तो है ना ?” रूबी जल्दी से उनके पास जाकर पूछी, आनंद भी उसके साथ गया

“अब वो ठीक है तो हम जाकर मिल लेते है उससे !” आनंद रूम की तरफ जाने लगा तो डॉक्टर रॉय ने उसे कंधे से पकड़ कर रोक लिया, उनका चेहरा लटका हुआ था, उन्होंने गहरी सांस ली और छोड़ी जैसे निराशा का गहन बदल छाया हो

“आप इतने निराश क्यों है ?” रूबी चीख पड़ी “ बोलिये ना क्या हुआ उसे” रूबी के अब बस आंसू आने ही वाले थे और आनंद की तो फटी सी हालात हो गयी थी

“ये पागल है क्या ? कितना चिल्लाती है ?” आनंद की तरफ देख कर रूबी के बारे में कहते हुए डॉक्टर रॉय बोले “सृजल को कुछ नहीं हुआ, वो ठीक है। यहां तक कि तुम अगर उसे यहां नहीं भी लाते तब भी उसे कुछ नहीं होता पर.......मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है” सृजल को कुछ नहीं हुआ सुनते डॉक्टर की बाकी की बात अनसुनी कर दी, उन दोनों के चेहरे पर अब आराम तो था ही बल्कि मुस्कान खिल पड़ी थी

“तो ऐसा पहले ही बताना चाहिए था ना ! तुम्हारा चेहरा ऐसा था जैसे सृजल के प्राण निकल गए हों” आनंद ने थोड़ा भड़कते हुए कहा, अब जाकर उनकी जान में जान आयी थी

“मैं तो बस ये सोच कर परेशान था कि उसे जहर के एन्टी-डॉट की जरूरत थी ही नहीं, पर इस कैसे हो सकता है ?” अपनी ही बात पर सवाल करते हुए वे कुछ सोचने लगे

“पर ऐसा कैसे हो सकता है ?”

“तुमने उसे यहां लेन से पहले कुछ इलाज दिया था क्या ?” डॉक्टर रॉय ने पूछा

“नहीं डॉक्टर ! हमारी तो खुद जान पर इस तरह बनी हुई थी कि हम सृजल को यहां लाने के अलावा और कोई भी रास्ता हमें मालूम नहीं पड़ा” आनंद ने उन्हें बताया

“देखो सृजल को अभी होश नहीं आया है पर जब हमने उसके ब्लड का टेस्ट किया तो उसके शरीर में जहर की एन्टी-बॉडीज पहले से ही मौजूद थी, और अब तक तो उसका पूरा जहर उतर चुका होगा। बस यहीं बात समझ नहीं आ रही कि आख़िर उसके शरीर में एन्टी-बॉडीज आयी कहाँ से ?” डॉक्टर रॉय की बातों ने एक पल के लिए उन दोनों को भी सोचने के लिए मजबूर कर दिया था फिर वो खुद ही इस बात पर अपने तथ्य बताने लगे

“या तो सृजल कई बार इस जहर के कांटेक्ट में आया हुआ है जिससे इसकी बॉडी में पफर फिश के जहर की एन्टी बॉडीज पहले से ही मौजूद थी या फिर.........सृजल का इम्यून सिस्टम इतना मजबूत है कि किसी भी तरह की बीमारियों से लड़ने में सक्षम है और अगर ऐसा है तो ये तो मेडिकल वर्ल्ड में एक नई खोज साबित हो सकती है” डॉक्टर रॉय की आंखें खुशी और उत्साह से चमकने लगी थी इतनी की वो ये भूल ही गए कि वहाँ पर अभी भी आनंद और रूबी खड़े हुए थे।

“डॉक्टर रॉय !” आनंद ने उन्हें कंधे पकड़ कर हिलाते हुए कहा पर उन्हें तो जैसे अलग ही नाश चढ़ा हुआ था, खुली आँखों से किसी सपने में खोय हुए थे। उन्हें इसी तरह छोड़ते हुए वो दोनों मेडिकल रूम में दाखिल हुए जहां सामने एक अकेले बिस्तर पर सृजल बेहोश था और नर्स अलका दाई ओर रखी अलमारी से कुछ दवाइयां निकाल रहीं थी। अलका ने उन दोनों को आते हुए देखा पर कुछ नहीं कहा बल्कि अपना काम करती रही।

सृजल का शरीर बेसुध सा पड़ा हुआ था.........नीचे वहीं नीला पेंट पहना हुआ था पर पूरे शरीर में घाव देखने के लिए उसके ऊपर के कपड़े उतार दिए थे। वैसे सृजल की बॉडी थी शोरूम(Showroom) में रखवाने लायक ! जब वो इस तरह आराम से पड़ा हुआ था तब भी उसका 46 इंच का सीना किसी ढाल के समान शक्तिशाली दिख रहा था ऊपर से हल्का-हल्का पसीना जो उसके पूरे शरीर पर आ रहा था, उसके शरीर को चमक दे रहा था। उसकी बाजुएँ ऐसी दिख रहीं थी मानों भारी धातु की मोटी तारों से बनी हुई हो जिससे उसकी मांसल संरचनाये साफ दिख रही थी। सृजल के 6 पैक-एब्स थे जरूर पर अभी सिर्फ उनकी हल्की सी झलक दिख रही थी जैसे मानों किसी ने उसके एकदम बाहर निकले हुए 6 पैक-एब्स पर कपड़ा डाल दिया हो और उसके ऊपर से ही जो कुछ भी है, नजर के सामने है। कंधे के पास दाई ओर और बाई कलाई से थोड़े ऊपर पट्टियां बंधी हुई थी साथ ही उसके शरीर पर की जगह पर लाल निशान थे जो कि ओबर की मार से आये थे....खासकर गर्दन पर !

“सृजल को अभी तक होश क्यों नहीँ आया ?.......भगवान से यहीं प्रार्थना है कि ये जल्दी ठीक हो जाये” आनंद के साथ सृजल के पास स्टूल पर बैठते हुए रूबी ने कहा

“वैसे सृजल को होश कब तक आ आयेगा ?” अलका को एक स्टील की ट्रे में दवाइंया लाते हुए देख आनंद ने पूछा, अलका ने पास की टेबल पर पहले दवाइयां रखीं औऱ फिर वही पास के स्टूल पर बैठते हुए कहा

“वैसे वो पूरी तरह से ठीक है, पर उसके बेहोश होने का कोई पक्का कारण नहीं पता। शायद बॉडी को जहर और मार की वजह से शॉक(Shock) लगने के कारण वो कुछ समय के लिए बेहोश ही रहेगा” अलका ने पानी एक टांग ऊपर दूसरी टांग रखी।

“क्या सृजल को कोई भी एन्टी-वेनम देने की जरूरत नहीं है ?.......” आनंद का पूछा गया ये सवाल अलका ने सुनकर कुछ देर की चुप्पी रख ली। पर उसकी बेचैन आंखों को देख कर रूबी और आनंद ने उसके जवाब का इंतज़ार किया

“देखो ये जो डॉक्टर रॉय का सृजल को लेकर ‘सुपर-इम्युनिटी’ का जो ख्याल है,.......मुझे उस पर भरोसा नहीं है। हो सकता है सृजल को कई बार टेटरोडोक्सिन(Tetrodocxin) का शिकार होना पड़ा हो जिसके कारण इलाज से उसके अंदर टेटरोडोसीक्सिन की एंटीबाडीज बन गयी.......हां पर ये बात तभी साबित हो सकती है जब सृजल होश में आये...वैसे भी सृजल को सी-फ़ूड का बहुत शौक है, सही कहा ना ?”

इस बात में कोई शक नहीं था कि अलका सृजल के बारे में काफी कुछ जानती है क्योंकि कई बार सृजल का इलाज यहां हुआ है जब उसे रातः-रातः भर्र यहीं रुकना पड़ा है। और उसका तर्क भी सही है कि सृजल के अंदर पहले से ही एन्टी बॉडीज मौजूद थी। ख़ैर फिलहाल वो इसी बात से खुश थे कि सृजल को कुछ भी नहीं हुआ है और वो जल्दी ही पूरी तरह से ठीक हो जाएगा। सब कुछ काफी शांत था, अलका डॉक्टर रॉय को ढूंढने चली गयी थी और आनंद के साथ रूबी वहीं बैठी हुई थी। आनंद ने तभी कुछ सोचते हुए अपना स्मार्ट-फ़ोन निकाला और सृजल कि घूम-घूम कर तस्वीरें लेने लगा.....

“अब ये क्या कर रहा है तू ?” रूबी आंखों को सिकोड़ते हुए बोली

“बस कुछ यादें संभाल कर रखने की कोशिश कर रहा हूँ। याद है जब हम तीनों स्कूल में थे तो कितने अलग दिखते थे” आनंद वापस रूबी के पास बैठ गया, अपने फ़ोन में स्कूल की पुरानी तस्वीरें दिखाने लगा जिनमें से एक में उसका हाथ रुक गया। उस तस्वीर में पेड़ के नीचे 3 बच्चें दिख रहे थे जिसमें एक दुबला-पतला सा लड़का अपने दोनों पैर सामने करके पेड़ से टिका हुआ था और उसके एक-एक पैर के ऊपर सर रखकर एक हमउम्र गोल-मटोल सी लड़की और दूसरे पर एक जाना पहचाना सा चेहरा सर रखकर लेटा हुआ था, बाईं तरफ एक चौड़े पात की नदी सी बह रही थी जिसका पानी शाम के सूरज की रोशनी में चमक रहा था और दाईं तरफ एक सड़क थी जो कि उस जगह से थोड़ी ऊंचाई पर थी

“देखा ! कल का सुकड़ा बम्बू आज का पीपल हो गया है, ऐसा लग रहा है मानों किसी ने सृजल को जबरदस्त तरीके से ठोंक पीट कर इस तरह सांचे से ढाल दिया हो” आनंद ने मुस्कुराते हुए कहा और उसकी बात पर रूबी भी अपनी हंसी नहीं रोक पाई

“वैसे इस तस्वीर में और आज की ‘तस्वीर’ में एक चीज अब भी सैम(Same) है” रूबी ने आनंद की आंखों में आंखे डाल कर कहा

“और वो क्या है ?” आनंद ने उसकी नजरों से बचते हुए पूछा

“सृजल और में तो काफी बदल गए पर तुम !..........आज भी वैसे ही हो जैसे सालों पहले हुआ करते थे। यहां तक कि इस तस्वीर में सिर्फ तुम ही हो जो अब भी ‘आज’ जैसे ही दिखते हो” रूबी ने उसका हाथ पकड़ कर आराम से

दबाया........आनंद से इस बार नजरें नहीं बचाईं

“शायद मुझे बदलने का मौका ही नहीं मिला या

फिर...........मैं इसलिए नहीं बदला ताकि जब वापस हमारी मुलाकात हो तो हम अनजान नहीं लगे। आखिर कोई तो हो जो हम तीनों में से आसानी से पहचाना जाए !” हमेशा मजाक के मूड में रहने वाला आनंद पहली बार दिल से कुछ कह रहा था, शायद आज की घटना ने उसे ये सब कहने को मजबूर किया हो पर......आखिर उसके दिल की आवाज सही जगह पहुंच ही गयी। आनंद और रूबी दोनों हमेशा से ही लड़ते झगड़ते रहते थे पर वो एक दूसरे से कितना प्यार करते थे ये कभी भी दोनों ने एक दूसरे से नहीं कहा था। ऐसे ही एक दूसरे की आँखों में खोय हुए उन दोनों के दरमियान दूरी कैसे कम हो गयी पता ही नहीं चला, गहरी रात में इतनी शांति और सुकून था न कि ऐसा लग रहा था जैसे ये गुजरती हवाएं कोई धुन लेकर आई हो जिसकी मदहोशी आनंद और रूबी को एक दूसरे के इतने करीब ले आयी थी। अब दोनों के चेहरे इंच मात्र की दूरी पर थे, रूबी के गालों पर हल्की सी लाली छा गयी। उसने अपनी पलके झुकाई और आंखें बंद हो गयी, आनंद भी उसके और करीब आ गया उनके होंट आपस में छुए ही थे कि दोनों के शरीर में कंपकपी आ गयी। बस कुछ ही पल में वो एक-दूसरे से एक हो जाते..................

“हाssssssss आ... हsssssss.......... !” पता नहीं क्या हुआ और सृजल झटके से उठ कर आनंद और रूबी के पीछे उस अलमारी तक भन भानते हुए पहुंच गया। सब कुछ इतनी तेज हुआ कि आनंद और रूबी तो घबराहट से हिल गए....वो दोनों जल्दी से भागते हुए सृजल के पास आये और उसे थोड़ा सा सहारा दिया

“क्या हुआ सृजल ?.... कोई बुरा सपना देखा क्या ?” रूबी ने आनंद के साथ उसे बिस्तर पर बिठाते हुए कहा

“मुझे जाना होगा ! वो मुसीबत में है.........” सृजल के चेहरे पर हल्का सा डर था पर बात में किसी के लिए चिंता झलक रही थी।


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