अधूरे प्यार की पूरी कहानी
अधूरे प्यार की पूरी कहानी
अरे ! आशू क्या कर रहा है, लटआई को थोड़ा ढील दे थोड़ा और अरे ! संभाल कर यार, इस बार फिर पतंग कट गयी तो बहुत बेइज्जती होगी, थोड़ा मांझा लपेट, चार सालों से यार पतंगबाजी में हार रहे हैं हम इस लड़की से, कहीं आज फिर हमारी पतंग न कट जाए।
तेरी पतंग तो गयी काम से, ढील दे दे दे रे भैया..... दूसरे छत पर लड़कियों ने ताली बजा कर हुडदंग मचाना शुरू कर दिया था और पृथ्वी पतंग कट जाने पर तमतमाते हुए छत से नीचे चला गया।
लो मम्मी ने तिलकुट और लाई के लड्डू भेजे हैं तुम्हारे लिए, तुम्हें बहुत पसंद हैं न !
क्यों ये मेरे घर नहीं बनते क्या जो मुँह उठाए चली आयी यहाँ, मुझे नहीं खाना।
ओह ! तो जनाब को पतंग कटने का गुस्सा अभी तक हैं।
मत खाओ, बाल झटकते हुए आसमाँ, आंटी को पुकारते हुए किचेन में चली गयी और पृथ्वी के होठों पर मुस्कुराहट तैर गयी। काट लो जितनी पतंग काटनी है एक दिन तुम्हारी डोर तो मेरे ही हाथों में होनी है।
"दिमाग खराब हो गया है तेरा, हँसी-मजाक, खेल-दोस्ती तक ठीक है पर आसमाँ से शादी करने का भूत तेरे सिर पर कैसे सवार हो गया, जानता है न वर्मा दम्पति ने उसे गोद लिया है, न कुल का पता न जात का, ऐसे कैसे बना लेंगे किसी को अपने घर की बहू।"
"जैसे वर्मा अंकल ने उसे अपनी बेटी बना लिया, हर चीज में अव्वल है माँ, खूबसूरत है, गुणी है बस उसके असली माँ -बाप का पता नहीं, बस इतनी सी बात उसके हर गुण पर भारी पड़ गयी, बोलो ?"
"आंटी, मम्मी ने ये आपके बर्तन भिजवाए थे।" पृथ्वी और उसकी माँ दोनों चौंक पड़े।
अरे ! आसमा तुम कब आयी ? रूंधे गले से धीरे से कहा, बस अभी ही आयी आंटी,
सुनो आसमाँ मेरी बात तो सुनो...
"पृथ्वी मेरे मन में तो तुम्हें लेकर ऐसी कोई बात ही नहीं फिर मुझे बुरा क्यों लगेगा, और हाँ बहुत जल्दी मेरी सगाई होने वाली है आना जरूर।"
"आसमाँ मेरी बात तो सुनो.... "
हे हुररे ! अंकल मैंने फिर आपकी पतंग काट दी, अंकल मेरी मम्मी भी आपकी पतंग हमेशा काटा करती थीं न, हाँ बेटा, तेरी मम्मी भी हमेशा मेरी पतंग काट दिया करती थी उसके बाद तिलकुट ले मुझे मनाने आती थीं|
मेघा परसों तेरे मम्मी-पापा की बरसी है। मैं भी तिल के लड्डू ले उसे मनाने जाऊँगा, मेरी जिन्दगी से तो रूठ कर चली गई पर इस दुनिया से क्यों नाराज हो गयी इतनी जल्दी आसमाँ...
एक कार एक्सिडेंट में अपने माता-पिता और पति के साथ हमेशा के लिए विदा हो गयी आसमाँ हमसे। गलती मेरी थी पर सजा उसने हम सबको दे दी। काश ! मैंने उस समय उसकी मासूमियत देखी होती, न कि उसका अनाथ होना तो आज वो मेरी बहू बन हम सबके बीच होती, पर शायद ईश्वर को मुझे प्रायश्चित का एक मौका देना था इसलिए उस दिन वो मेघा को हमारे घर छोड़ कर गए थे। ईश्वर को तेरे अधूरे प्यार की कहानी शायद मेघा की परवरिश के जरिए ही पूरी करवानी थी, भरी आँखों से पृथ्वी की माँ ने पृथ्वी को समझाते हुए कहा।
दादी मैं भी अनाथ हूँ न। मुझसे भी कोई शादी नहीं करेगा न ? नहीं मेघा अनाथ तो हम थे, इस घर में किलकारियों के बिना, तू तो हमारे घर की खुशियाँ है, तू ही इस घर की वारिस है बेटा, तेरी मम्मी को तो मैंने अपनी नादानी में खो दिया पर तुझे नहीं खोऊँगी मेरी जान, रोते हुए दादी ने मेघा को अपने से चिपका लिया कभी अलग न करने के लिए।