MITHILESH NAG

Inspirational

5.0  

MITHILESH NAG

Inspirational

अबॉर्शन

अबॉर्शन

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अबॉर्शन एक अभिशाप होता है, किसी हत्या करने के बराबर होता है। कभी कभी ऐसा करने के बाद जीवन में पछताने के सिवा कुछ नहीं रह जाता है।

रागनी 25 साल की एक खूबसूरत लड़की जिसकी शादी भी 6 महीने ही हुए है,लेकिन उसको हमेंशा अकेले ही रहना पसंद है। उसको लगता है कि अगर ज़िन्दगी को जीना है तो 3 से 4 साल तक ऐसे ही रहो।

“आखिरकार हमारी शादी हो ही गयी विवेक” ( विवेक के गले में हाथ डाल कर) 

“है, वैसे भी कितने दिन तक हम ऐसे अकेले चोरी चोरी मिलते थे”।

“अब तो बस तुम्हारी बाहों में खो जाने के सिवा कुछ नहीं दिखता है”

“तो फिर पुरानी यादों को अभी के लिए ऐसे ही रहने दो और आओ पास में”

पूरी रात दोनों एक दूसरे की बाहों में लिपटे है। रात कब कहाँ से कहाँ चली गयी कुछ पता नहीं चला, बस यही पता है कि रात लम्बी हो।

सुबह

रागनी सुबह सुबह जल्दी उठ कर चाय बना कर विवेक के पास रख देती है और उसके सर पर अपने हाथ फेर कर माथे पर किस्स करती है। मूड कर जैसे ही जाती है विवेक उसके हाथ पकड़ लेता है।

“क्या बात है, रात का नाशा उतरा नहीं क्या तुम्हारा” (उसके पास बैठ कर)

“क्या करूँ तुम्हारी आदत जो लग गयी है”।

ऐसे ही दोनों की ज़िंदगी अच्छे से कट रही थी कि अचानक एक दिन कुछ ऐसा हुआ कि दोनों को समझ में नहीं आ रहा था कि अब क्या और कैसे करे ?

“विवेक मुझे अभी माँ नहीं बनना है, अभी कितनी उम्र ही है”।

“लेकिन रागनी, ये भी तो आज नहीं तो कल होना ही तो है, तो फिर ऐसा क्यों सोचती हो” 

“ नहीं, मुझे अभी बच्चे वच्चे नहीं चाहिए”।

“ऐसा ना हो बाद में पछताने के सिवा कुछ ना रह जाये” ( समझते हुए)

लेकिन रागनी नहीं मानी और बहुत जिद्दी पन की वजह से विवेक को उसकी बात माननी पड़ गयी

“यही हमारे समाज की दुविधा है कि आज की पीढ़ी शादी तो कर लेती है और हर तरह से समझदार भी होते है लेकिन भगवान के बनाये हुए रूल को मानने से इनकार कर देते है।

जिस बच्चे को नया जीवन मिलना चाहिए उसको दुनिया में आने से पहले ही मार दिया जाता है,ये कह कर की अभी तो मेंरी उम्र ही नहीं हुई है तो बच्चे को कैसे संभालेगे। लेकिन ये बात कोई नहीं सोचता है कि अगर बच्चे होते है तो उसको मारने से क्या फायदा बड़े किस्मत से कोई माँ बनती है लेकिन कैसे कौन समझयेगा ये तो वक़्त ही बताएगा।

हॉस्पिटल में

डॉक्टर ने पहले तो चेकअप किया रागनी का फिर

“फिर से सोच लो, माँ बनना हर लड़की का सपना होता है तो ऐसा न करो कि दोनों को आगे चल कर ये सुख न मिले”

“नहीं डॉक्टर ऐसा कुछ नहीं होगा अभी तो कोई उम्र भी नहीं है, और फिर बाद में भी बच्चे पैदा कर लेंगे”।

लेकिन दोनों डॉक्टर की बात नहीं सुने और डॉक्टर ने रागनी का अबॉर्शन कर दिया।दोनों तो बहुत खुश होए की अब इस नौबत से कुछ दिन फ्री रहेंगे।

3 साल बाद

उसी डॉक्टर के पास जहाँ दोनों अबॉर्शन के लिए गए थे।

“बोलिये अब किसी जान लेने के लिए आई है” ( गुस्से से)

“डॉक्टर 3 साल हो गए है लेकिन माँ नहीं बनी “

“वो तो मैं पहले ही बोल रही थी, मत करवाओ लेकिन तुम लोगो ने एक बच्चे की हत्या कर दी”।

बहुत बिनती करने के बाद डॉक्टर ने रागनी का चेकअप किया और

“रागनी तुम ने बहुत देर कर दी तुम माँ नहीं बन सकती हो और फिर भी 50 % है भी है ना भी है”

ये बात सुन कर रागनी रोने लगी और अपने आप को कोसने लगी।

“अब मैं कुछ नहीं कर सकती हूँ, ज्यादा से ज्यादा कुछ ऐसी दवा दे देती हूँ जिससे कुछ दिन में हो सकता है तुम फिर से माँ बन सकती हो या नहीं भी।”

कुछ देर बाद

“रागनी उठो, जल्दी करो आज हॉस्पिटल भी तो चलना है” ( विवेक जागते हुए)

लेकिन अचानक से नहीं की आवाज़ करके चिल्लाने लगती है। सामने विवेक को देख कर उसके गले लिपट कर रोने लगती है।

“मैं इस बच्चे को जन्म दूँगी”। मैं अबॉर्शन नहीं करने जा रही हूँ”।

इतनी बात सुन कर विवेक भी खुश हो गया और फिर वही 9 महीने का इंतज़ार।


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