अब तो ज़िंदगी शुरु हुई है
अब तो ज़िंदगी शुरु हुई है
"ये क्या कर रही है बहू, ये सब की क्या जरूरत है। मैं ऐसे ही ठीक हूं, अब मेरी उम्र है क्या ये ब्यूटीपार्लर, किट्टी सब जाने की! मैं नहीं जाती पार्लर" गीता जी ने अपनी बहू परी को प्यार से डांटते हुए कहा।
गीता जी एक सुलझी हुई महिला हैं। जब गीता जी सोलह वर्ष की थी तभी उनकी शादी हो गई थी। फिर एक साल में बेटा नवीन गोद में आ गया। भरा पूरा परिवार सारी जिम्मेदारी पूरी करते हुए अपने लिए गीता जी जीना ही भूल गई, सारे शोख कब ख़तम हो गए पता ही नहीं चला।
अभी एक महीने पहले ही बहू परी, बेटे नवीन की दुल्हन बनकर आयी है, और परी ने भी अपनी सास को अपनी मां से बढ़ कर माना। दोनों सहेलियां है पक्की वाली, लगता ही नहीं ये साथ सिर्फ एक महीने पुराना हैं।
"मम्मी जी कैसी बातें कर रही हैं, आप की उम्र ही क्या है सिर्फ चालीस। कल ही मेरी सहेली बोल रही थी तेरी सास तो तेरी बहन लगती हैं, आज देखना आपको सब किट्टी में देखते ही रह जाएंगे। वैसे भी मम्मी जी आपने पूरी जिदंगी आपने अपने परिवार के लिए जिया है, अब आप सब चिंताओं से मुक्त हो कर अपनी जिंदगी खुल कर जियो। सारी जिममेदारियां मुझे दे दीजिए, हां आपका मार्गदर्शन जरूर चाहिए मुझे। जा गीता जा जी ले अपनी ज़िंदगी" परी ने अपने सास को छेड़ते हुए कहा।
जब गीता जी अपनी दोस्तों की किट्टी में पहुंची, सभी गीता जी के बदले रूप को देख कर चौंक पड़ी। खुले बाल, आंखो में चश्मा, हल्का मेकअप, कुर्ता जीन्स। सभी ने गीता जी की खूब तारीफ की, गीता जी ने सारा श्रेय अपनी परी को दिया। गीता जी भी बहुत खुश थी, ये पहला कदम था अपनी जिंदगी को खुल के जीने के लिए।
दोस्तों, आपको क्या लगता है एक महिला की अपने लिए जीने की उम्र क्या है। अगर एक बहू अपनी सास को और सास अपनी बहू को खुलकर ज़िंदगी जीने का मौका दे तो शायद परिवार में कोई समस्या ही नहीं रहे।
