अब नहीं रहेगा अंधेरा
अब नहीं रहेगा अंधेरा
" विद्या, ये क्या कर रही हो तुम! इन अनपढ़, गंवार लोगों के बीच क्यों अपना दिमाग खपा रही हो , इनका कुछ नहीं होने वाला, ये लोग बस जन्म लेते हैं और दूसरों के यहां गुलामी करते हैं इन्हें क्या करना पढ़ लिखकर। इससे तो अच्छा तू कोई कोचिंग सेंटर ज्वाइन कर लें। थोड़ी आमदनी भी ही जायेगी और तेरा सम्मान भी बना रहेगा ।" पड़ोस में रहने वाली कमला काकी ने विद्या से कहा।
" आपने एकदम सही कहा काकी ! ये लोग बस जन्म लेते हैं और दूसरों के यहां गुलामी करते हैं मगर ये अपनी इच्छा से गुलाम नहीं बनते ...अगर ये भी पढ़ लिख जाए तो इन्हें भी अच्छा रोजगार मिल सकता है और ये भी हमारी तरह अच्छे से रह सकते हैं। इनके पास दो वक्त की रोटी के ही लाले पड़े रहते हैं तो ये पढ़ने लिखने की बात तो सपने में भी नहीं सोच सकते। बस खाली समय में मैं अपना ज्ञान इन मासूम लोगों में बांट रही हूं ताकि इनके जीवन से अंधेरा दूर हो जाएं। फिर ये गुलाम नहीं रहेंगे और सोच समझ कर ही कोई निर्णय लेंगे।"
" बिटिया ! एकदम सही कह रही है तू, तेरी इस कोशिश में मैं भी अब तेरा साथ दूंगी ।" यह कहकर काकी भी वहीं विद्या की मदद करने बैठ गई।
