अधिकारों की समझ
अधिकारों की समझ
बच्चों की परीक्षा शुरू हो गई थी। दीपा अपने दोनों बच्चों की पढ़ाई में मदद करती और समय समय पर खाने पीने की और दूसरी जरूरतें पूरी करती ताकि बच्चे आराम से पढ़ाई कर सकें।
कहते हैं ना बच्चे जैसा देखते हैं वैसा ही करने का प्रयास करते हैं। जिस दिन बेटी का पेपर होता उसके पहले बेटा अपनी बहन का पूरा ध्यान रखता और जिस दिन बेटे का एग्जाम होता उसके पहले बेटी अपने भाई का पूरा ध्यान रखती। भाई को जूस का गिलास देना , बीच बीच में पानी लेकर आना ,फल काट कर दे देना... बिलकुल दोनों भाई बहन उम्र में भले ही दस और बारह साल के हो पर दोनों एक दूसरे का ध्यान रखते।
माला अपने बच्चों को ऐसा करते देखकर मन ही मन खुश होती कि उसके बच्चों में अभी से एक दूसरे के अधिकारों के साथ साथ कर्त्तव्य के भाव भी हैं।