किस्सा 2000 का
किस्सा 2000 का
पापा पापा - "2000 सुनो तो ....मम्मी....2000... (हांफते हुए)
"क्या ? क्या कहा तुमने ?? 2000। .?????.. मम्मी ने ये बात मुझसे छुपाई ...हां ... पापा ! मम्मी को भी दोपहर में पता चला..."
"तुम्हारी मम्मी से कितनी बार कहा मैंने.... कि बता दो अब भी...पर नहीं... अरे सुनती हो ?? कहां हो?????"
"हां !! हां !!! अच्छे से सुन रही हूं और अब तुम्हें सुनाने आई हूं..."
"क्या मतलब ... गलती तुम करो और सुनूं मैं...तुम दो हज़ार की बात अब भी छिपाकर रख रही हो और..और क्या ???"
"और क्या... मतलब तुम्हें कोई पछतावा नहीं हैं ?"
"नहीं, बिलकुल नहीं , बल्कि मुझे तो खुशी हैं कि आज हमारे शब्द सिंधु परिवार में 2000 सदस्य हो गए हैं ।"
"क्या...क्या कहा तुमने,..शब्द सिंधु.....2000 मतलब"
"मतलब में जो समझ रहा था वैसा नहीं हैं।"
"क्या समझ रहे थे तुम..."
"मैं समझा बबलू कह रहा हैं कि मम्मी के पास 2000 का नोट हैं और वो ये बात छिपा रहीं हैं ।"
"अरे, पापा ! मैं तो ये कह रहा था कि मम्मी के किटी ग्रुप में 2000 सदस्य हो गए हैं और यह बात मम्मी को दोपहर में ही पता चली , यही बात मम्मी ने आपसे छिपाकर रखी थी ।"
"हे भगवान !!! तो ये 2000 दुःखी करने वाला नहीं बल्कि खुश करने वाला था।"
