आत्मनिर्भर
आत्मनिर्भर
राजन कुछ दिनों से शालिनी का बदला हुआ व्यवहार नोटिस कर रहा था। नौकरी के लिए जब से राजन अपना भरा पूरा घर छोड़कर बैंगलोर शिफ्ट हुआ था तभी से वह अपनी पत्नी शालिनी के व्यवहार में परिवर्तन महसूस कर रहा था। शालिनी अपने नौ महीने के बेटे और घर के साथ ताल- मेल नहीं बैठा पा रही थी। मांँ का चिड़चिड़ापन और गुस्सा कहीं ना कहीं नौ महीने के बच्चे पर उतर रहा था।
एक दिन ऑफिस से आते ही राजन ने शालिनी से कहा
"तुम्हे थोड़ा सा समय निकाल कर अपने शौक को पूरा करना चाहिए। तुम पूरे दिन सिर्फ बच्चे और घर- परिवार में लगी रहती हो।"
"इतने छोटे बच्चे को छोड़कर मुझे कौन से शौक पूरे करने है?" शालिनी ने तुनकते हुए कहा
कुछ सालों में शायद तुम भूल गई हो कि शादी से पहले तुम खुद एक क्लासिकल डाँसर थी, और ऐज़ ए डांसर तुमने कितने अवॉर्ड अपने नाम किए थे लेकिन शादी के बाद कंबाइन फ़ैमिली की वजह से तुमने डांस करना बंद कर दिया लेकिन अब समय आ गया है कि तुम एक बार फिर से नई शुरुआत करो और सच्चे मन से नए जेनरेशन के बच्चों को क्लासिकल डांस सिखाओ।" राजन ने शालिनी को समझाते हुए कहा
बच्चे को गोद में उठाते हुए शालिनी बोली
"तुम सही हो राजन, लेकिन इतने छोटे बच्चे के साथ यह मुमकिन नहीं है।"
"जब दिल से ठान लो तो सब मुमकिन है तुमने झाँसी की रानी का नाम नहीं सुना कि कैसे उन्होंने अपने छोटे से बच्चे को अपनी पीठ पर बाँध कर अंग्रेज़ों के दाँत खट्टे किए थे। जब दृढ़ निश्चय होता है तो रास्तों की मुश्किलें नहीं देखी जाती सिर्फ मंज़िल देखी जाती है। जहाँ तक सवाल रहा मेरे बेटे का तो तुम उसकी चिंता ना करो मैं ऑफ़िस से थोड़ा जल्दी आकर अपने लाडले को देख लूँगा और तुम अपना डांस क्लास देख लेना।" राजन ने मुस्कुराते हुए कहा
"तुम ही मेरे बेस्ट सोलमेट हो"
यह कहते हुए शालिनी ने आलमारी से घुंघरू निकाल कर अपने पैरो में बाँध लिया।
