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Nalini Mishra dwivedi

Inspirational

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Nalini Mishra dwivedi

Inspirational

आत्मनिर्भर होना सुकून देता है

आत्मनिर्भर होना सुकून देता है

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"सुनिऐ जी मुझे दो हजार रुपये देना ?"

"दो हजार क्यूं ?"

"वो मुझे दूध वाले को पैसे देने है।"

"पर अभी तो पहली तारीख नहींं आई है ?"

अगले महीने पांच को उसकी बेटी की शादी है ना तो दस दिन पहले मांगा है।

"अच्छा अच्छा ये लो दो हजार रुपये।"

भावेश पहली तारीख को महीने भर के राशन का पैसा भावना को दे देता। पैसे भी इतने हिसाब से मिलते कि मुश्किल से चार पांच सौ ही बचा पाती।

इस बीच अगर भावना को पैसे की जरुरत पड़ती तो पति को हिसाब देना पड़ता। क्यूं चाहिए क्या करना वैगेरा ,वैगेरा।

कभी कालोनी की औरतो के साथ बाजार जाती तो कुछ पसंद भी आता भावना को तो वह मन मार कर रह जाती।

आज फिर कालोनी की औरतों ने प्लान बनाया साड़ियो का सेल लगा था। महिने की 28तारीख थी। भावना के पास बस दो सौ रुपये थे। ना पति ने पैसे मांगते बन रहा था और ना ही कालोनी की औरतो को मना करते बन रहा था। आखिर सब मिला जुला कर सिर्फ तीन सौ रुपये लेकर गई ।

वहा पहुँचने पर देखा मीना जी ने दो हजार की साड़ी ली, ममता ने भी हजार के लिये, पर भावना को लगा महिमा साड़ी नहीं लेगी क्येकि वह भी उसके जैसी थी। पर उसने तो सबसे ज्यादा साड़िया खरीदी। जितना वो जानती थी कि उसे भी उसके पति से पैसे जल्दी नहीं मिलते थे।

"अरे भावना तुम्हे नहीं लेनी साड़ी" ? ? "मीना ने कहा"

(साड़ी तो पसंद आई थी भावना को पर बजट नहीं था।)

"नहीं नहीं अभी मेरे पास बहुत है"

अच्छा चल कोई "कोइ गल नहीं"। "महिमा ने कहा"

पर भावना ये सोच रही थी कि जो महिमा एक रुपये का समान लेने मे सोच रही थी, आज उसने तीन हजार की शॉपिंग कर ली है कैसे ?

"तू यही सोच रही है भावना कि आज मैने इतनी शॉपिंग कैसे कर ली है।"

"भावना ने हैरानी से देखा"

काफी समय से मिलना नहीं हुआ तो मैं बता ना पाई। दरअसल मैंने योगा की क्लास शुरू कर दी है। आप सब को तो पहले से पता है कि मुझे योग सिखाना कितना अच्छा लगता है बस वही से मैंने अपने सपनों की शुरुआत की। पिछले महिने पाँच लोग थे पर इस महीने बढ़कर दस हो गए है मेरी क्लास मे।

तभी मैं कहूँ आप सुबह सुबह कहा जाते हो। "ममता ने कहा।"

सच कहूँ यार तो ये आत्मनिर्भर होना बहुत सुकून देता है। अब पतिदेव के बटुए का मुंह नहीं ताकना पड़ता ।

सुनकर महिमा की बाते आज भावना को भी कुछ करने की दिशा मिली अब उसने भी सोच लिया था कि वह भी आत्मनिर्भर बनकर रहेगी और अपनी ख्वाहिशों को मरने ना देगी..... ।


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