आत्मग्लानि भाग-5
आत्मग्लानि भाग-5
"नहीं नहीं ..... मुझे माफ़ कर दो .... मुझे माफ़ कर दो"
बड़बड़ाते हुए अनिता चौंक कर उठ बैठी, पसीने से लथपथ भयभीत और डरी हुई ...
पवन ने झिंझोड़ कर पूछा "क्या हुआ .... क्या हुआ"
"वो वो ....माँ जी .....माँजी, खून ... खून "
"अरे अनिता कुछ बताओगी भी या यूं ही बड़बड़ाती रहोगी, आखिर हुआ क्या है ?
कोई बुरा सपना देख लिया क्या ?"
"कुछ नहीं .... कुछ नहीं , बोल कर अनिता अपने ही विचारों में खो गई .....!!
अब अनिता अपने पति को कैसे बताये कि ये सपना नहीं डरावना सच है जो दिन रात उसकी आत्मा को कचोट रहा है !
अपनी सास की मृत्यु के बाद से ही अक्सर इस तरह के स्वप्न उसे रोज परेशान करते हैं। हर दिन उसे अपनी सास का डरावना और रौद्र रूप नजर आता है ....मानों पूछ रहा है
बताओं तो मेरा कुसूर क्या है ?"
अभी कोई तीन बरस पहले ही तो अनिता का पवन से विवाह हुआ था। अनिता के माता पिता ने ये सोच कर पवन से उसका विवाह किया था कि बहुत छोटा सा परिवार है पवन का, पवन और बस उसकी मां और कोई नहीं, तो उनको बेटी राज करेगी। पवन एक बड़ी कंपनी में इंजीनियर था पैकेज भी बहुत अच्छा था।
शुरू शुरू में सब ठीक चलता रहा लेकिन कुछ दिन बाद ही हुए एक हादसे ने परिवार की दशा ही बदल दी। पवन की वृद्ध माँ नहाते समय 'बाथरूम' में फिसल गई और रीढ़ की हड्डी में गंभीर चोट खा बेटी। पहले तो अनिता ने सास की बहुत सेवा की लेकिन जल्दी ही सेवा का जज़्बा खत्म होने लगा और उसके स्थान पर ताड़ना प्रताड़ना और उपेक्षा ने ले ली। पवन के ऑफिस जाने के बाद तो अनिता अपनी सास के साथ दुर्व्यवहार की सारी हदें पार करने लगी, उनको न खाने को देती न पीने को देती उल्टे मार पीट भी करने लगी। एक बार माँ ने हिम्मत करके पवन को सारी बातें बताई लेकिन अनिता ने बड़ी सफाई से अपनी सास को ही अवसाद ग्रस्त मानसिक संतुलन बिगड़ी हुई अबला नारी घोषित कर दिया, और उसके बाद तो सास पर मानों कहर टूट पड़ा। अनिता ने अमानवीयता की सारी हदें पार कर दी।
रोज रोज की मार पीट और दुर्व्यवहार से तंग आ कर एक दिन अनिता की सास ने अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली, उन्होंने अपनी सभी दवाइयों को एक साथ निगल लिया और रोज रोज होने वाली मौत का दुःखद अंत कर डाला।
सास की मृत्यु को आत्महत्या प्रकट करने हेतु अनिता ने बड़ी कुशलता और योजनाबद्ध ढंग से 'प्लान' किया लेकिन जैसा कहते हैं कि अपने कर्मों का प्रायश्चित इंसान को यहीं करना पड़ता है। अपने द्वारा किये गए पाप और अत्याचारों का बोझ अनिता ज्यादा दिन नहीं उठा सकी और अब रात दिन उसे आत्मग्लानि होने लगी। उसे अपने हाथ खून से रंगे नजर आने लगे हैं और सास की आत्मा चीख चीख कर अपनी मौत के लिए अनिता को दोषी बताने लगी। आज अनिता अपने द्वारा किये गए बेहद अमानवीय व्यवहार की पीड़ा लेकर जीने को अभिशप्त है।
