Rathtronix Rath

Abstract

4  

Rathtronix Rath

Abstract

आसमान का तारा

आसमान का तारा

6 mins
271



मध्याबित परिवार गांव मे रेहता था। भाई , बहन और भाभी रहते थे। बहन एक कंपनी मे नोकरी करती थी।कंपनी के एक लडका (प्रदीप)को प्यार करती थी, वो अपने भाभी को बताया। भाभी ने भाई को बताया पर भाई राजी नही था। भाई अपने बहन को डाँटने लगा और बहन बात मानी नही ।भाभी को लडके के बारे मे समझाती रही उसमे वो नाकाम रही। भाई ने कहा अगर उस लडके से शादी करोगी तो तुम इस घर मे आ नही सकती। बहन ने भाग के शादी कर ली। शादी के कुछ दिन के बाद अपर्णा आपना पति के साथ भाई से मिलने आई।


अपर्णा :- (एक दिन भाई के पास आई,भाबी को देखी) नमस्ते भाबि,दादा कान्हा है।

निलेश :- तूने अपने मर्जी से शादी की इसलिए तुझे इस घर मे जगह नही। आगे कभी मेरे सामने मत आना , तेरे लिए तेरा भाई मर चूका है।

अपर्णा :- प्यार करना कोई गुनाह तो नही ना 

निलेश :- तुम इस घर से निकल जा वरना धक्का मारके निकाल दूंगा।

अपर्णा :- चली गई अपने पती के साथ

        (एक साल के बाद बेटा पैदा हुवा तब से अपर्णा बीमार हो गई। फिर पती जगह जगह इलाज करने गया लेकिन कुछ असर नही पडा ,फिर अपर्णा का निधन हो गया)  

प्रदीप :- (अपर्णा की पति)बच्चे को लेके अपनी पत्नी के भाई (साला ) पास चला गया लेकिन साला घर छोड़कर दूसरे शहर चला गया था। बाद मे निराश होके चला आया। बाद मे कारोबार नुकसान मे चला गया और अपने बच्चे के परवरिश के लिए रिश्तेदार के पास जाने लगा , लेकिन सब रिश्तेदार ने इन्कार कर दिए। एक दिन शहर छोडके दूसरे शहर चला गया और अपने बच्चे को लेके पार्क मे बैठा था। अपने बच्चे को पार्क मे सुलाके चुपके से वहासे रोते रोते चला आया। 


कुछ वक़्त के बाद बच्चे ने रोना चालू किया तभी बच्चे के आसपास कोई दिखाई नहीं दे रहा था। उसी समय एक पति पत्नी पार्क मे आयेथे, उन्होंने देखा बच्चा रो रहा है, उसके आस पास कोई नहीं। फिर उन्होंने बच्चे को चोरी छुपे उठाया और वहा से चले गए। 


२० साल बाद प्रदीप की स्थिति बदल गयी। जब स्थित बदलगाया तब अपने साले के पास मिलने के लिए गया लेकिन उधर पता चला उसका साला शहर छोड के दूसरे शहर चला गया था। प्रदीप अपने गलती को मेहसूस करके अपने बच्चे को ढूंढ़ने के लिए निकल पड़ा जो शहर मे छोडा था। उस शहर मे जाके बच्चे को ढूंढ़ने लगा। ढूंढ़ते ढूंढ़ते पार्क मे बैठे बच्चे के बारे मे सोचने लगा। तब वहा कुछ टपोरी लड़को उससे उसके पैसे छीनने की कोशिश कर रहे थे। तभी आदित्य ने देखा कुछ लडके एक आदमी को मार पिट कर रहे थे।

आदित्य :- (पार्क मे आया , टपोरी करने वाले लडके से पूछा )तुम उनसे क्यों झगड़ रहे हो ?

टपोरी लड़के-तू तेरा काम कर चल जा।

आदित्य:- तुम क्यों झगड़ा करते।

 (उस वक़्त एक लडके ने आदित्य पर हाथ उठाया ,फिर आदित्य ने उन लड़को के साथ हाथापाई की और चारो जन वहा से भाग निकले।) (फिर आदित्य ने उनको पूछा )

"बाबा वो लोग आपसे क्यों झगडा कर रहे थे। "

प्रदीप :- "वो मुझसे पैसे छीनने का कोशिश कर रहे थे।"

आदित्य :-! बाबा आप किधर रहते हो ?क्या करते हो ? यहाँ क्यों आये थे ?!

प्रदीप :- "बेटा ये बड़ी कहानी है मेरा दिल कहेता है मेरा बेटा मुझे मिल जायेगा" 


आदित्य :- "आप अपने बेटे को कैसे पहचानोगे ?'

प्रदीप :-" हाँ मैं पहचालूँगा " 

आदित्य :-" कैसे "

प्रदीप :- "उसके माँ ने दाहिने हाथ के बाही पे तारा की निशानी लगाई थी। और कहा था मेरा बेटा कभी गुम नही होगा ।"

आदित्य :- (सुनते ही चमक उठा और वो वहा से घर पे चला गया )

आदित्य :- (माँ से पूछा)" मेरे पिताजी कौन हैं " 

वंदना :- (आदित्य की मा)-"ये कौनसा बेहूदा सवाल है  "

आदित्य :-"मैं पूछता हु मेरे पिताजी कौन हैं  "

वंदना :- तेरा पिताजी कौन है, तुझे मालूम नही है। तु मेरे चरित्र पे शक कर रहा है। तू तेरे पिताजी से पूछ लेना तेरा पिताजी कौन है। 

निलेश :- (बाबा का आगमन और आदित्य गया अपने रूम मे)

निलेश :- क्या हुवा इतना परेशान क्यों हो। 

वंदना :- (थोडी देर बाद जवाब दिया) आपने बेटे को पूछो। 

निलेश :- (वंदना को समजाते हुवे) बेटा कुछ गलत किया तो इतना गुस्सा क्यों कर रहे हो। 

वंदना :- (अत्यधिक उत्तेजित हो के) अपने बेटे का सवाल ऐसा है। 

निलेश :- ऐसा आदित्य ने क्या किया 

वंदना :-(घुसेमे ही) वो बात आदित्य को पूछो 

निलेश :- तुम तो पहले बताओ , मैं तो उसे पूछ ही लूंगा

वंदना :- तुम्हारे बेटेने मुझे पूछा मेरे पिताजी कौन है ?

निलेश :- (हस्ते हुए) (माँ को कहा) वो क्या तुम्हारा बेटा नही है। ठीक है ऐसे ही , बता देना की उसका पिताजी कौन है। 

वंदना :- (घुसेमे) मे कुछ नही बताउंगी जो बताना है आप बताओ। 

निलेश :- (आदित्य को आवाज़ दिया ) बेटा बाहर आओ (आदित्य आया) मे तुम्हारा पिताजी हूँ ,इसे कोई शक है.


आदित्य :- (निशानी देखकर बोला,) ये क्या है, उसका अर्थ क्या है।

निलेश :"- (एकदम शांत और सीरियसली बोलने लगा ) (माँ भी उसी जगह है) आज से बीस साल पहले हम तूझे पार्क से चोरी करके लेकर आ गए थे।"

आदित्य :-" लेकिन क्यों "

निलेश :-" बच्चे के लिए हर जगह कोशिश करने के बाद भी हर डॉक्टर ने बोला की तुम्हे बच्चा नहीं हो सकता। तब हम बहुत निराश हो चुके थे। एक दिन पार्क मे गये थे और देखा तो तुम्हे पार्क मे सुलाया था और तुम्हारे आस पास कोई नही था। तभी हम तुम्हे चुराके लेके आये। "

आदित्य :- (माँ से पूछा)" ये सब मुझे क्यों नहीं बताया। "

वंदना :-" हमे अपने मन मे डर था कि तुम अपने माता पिताजी को ढूंढ़ने चले जाओगे। सचाई ये है की तुम्हारे माता पिताजी कौन है हमे भी पता नही। "

आदित्य :- (माँ सोच रही है बेटा चला जायेगा)" माँ मे तुझे छोडकर नही जाउंगा "

वंदना :- मेरी कसम खाके बोल की तू हमे छोडके नही जाएगा।

आदित्य :मैं कसम खाके कह रहाहूँ मैं कभी छोडके नहीं जाउँगा। 

आदित्य :- "पिताजी का पता मुझे चला है।" 

वंदना/निलेश :- वो कैसे (दोनो एक साथ पूछते है शॉक होके)

आदित्य :- (पार्क की पूरी कहानी बता रहा है)

पार्क मे पैसे के लिए कुछ लडके झगडा कर रहे थे एक आदमी के साथ और मे उनके पास पहुँचा और वो आदमी ने मुझे सारी बात बतायी।)

 मैने उनसे पूछा की तुम अपने बेटे को कैसे पहेचानो गे ? उन्होने बताया तरे बारे में।मुझे लगाकि मेरे पिताजी कौन है इसलिए मैंने तुम से पूछा

निलेश :- "ठीक है हम उनके पास जायेंगे "


आदित्य :- उनको साथ मे लेके गए उनके घर पे {प्रदीप और निलेश आमने सामने आने के बाद एक दुसरे को पेहचाना)

प्रदीप :- निलेश ।(देखते आश्चर्य हो कर)

निलेश :- (आश्चर्यचकित होके) प्रदीप तू

निलेश :- "अपर्णा कहां है। "

प्रदीप :- "(रोते हुए) , बेटा पैदा के बाद अपर्णा बीमार पड गयी। हर जगह इलाज किया लेकिन कुछ असर नहीं पडा (दुःख करके)और कुछ दिनों के बाद वो गुजर गयी। "

नीलेश :-" इतना सब हुवा हमे कुछ भी पता नहीं चला। "

प्रदीप :- "अपर्णा के जाने के बाद मे तुम्हारे घर गया था। बाद मे पता चला तुम वहाँसे घर छोडके दूसरे शहर को चले गये थे। "

निलेश :- बेटा कहाँ है। 

प्रदीप :- अपर्णा जाने के बाद बेटा की परवरिश करने के लिए सभी रिश्तेदार के पास गया लेकिन सभी ने इन्कार कर दिया। मेरी इतनी हैसियत नही थी की मे बच्चे की परवरिश कर सकू

(प्रदीप शांत रहा)

निलेश :- फिर क्या हुआ 

प्रदीप :- (रोते हुए) "मैने उसको नाना नानी पार्क मे सुलाकर वहा से चला आया।" 

आदित्य :- (निलेश को बोला) "पिताजी इन्होने मेरे हाथ के तारो के निशाने के बारे मे बताये थे "

आदित्य :- (हाथ दिखाके) "तुम्हारे बेटे के हाथ मे ऐसाही तारे का निशान था। "

प्रदीप :- (आश्चर्य होक)"हाँ मेरे बेटे के हाथ पे उसकी माँ ने ऐसाही निशाना बनाया था।" 

निलेश /वंदना :- ( दोनो एकसाथ रोते हुए)

"ये ही तुम्हारा बेटा है। हमने उसे बीस साल पहले पार्क से चोरी करके लेके आये थे "



Rate this content
Log in

Similar hindi story from Abstract