आश्रम
आश्रम
दोस्तों आश्रम वेब सीरीज में हमने देखा बाबा निराला भक्ति की आड़ में भक्तों के साथ खिलवाड़ करता हैं। वह आश्रम के अंदर सभी गैर कानूनी प्रवृत्ति करता हैं। इसी वेबसाइट सीरीज के माध्यम से ढोंगी बाबा का असली चेहरा भी लोगों के सामने आया है। इसमें आस्था, अपराध और राजनीति तीनों को दर्शाया गया है। लेकिन मेरी कहानी जरा हट के हैं!
बाबा निराला सत्ती को कमांडर का दर्जा देकर वहां से भेज देता हैं। जब सत्ती दूसरे गांव में आता है ,तो उसकी मुलाकात बांके से होती है। जिसकी शक्ल हूबहू बाबा निराला से मिलती है। पहली नजर में तो सत्ती भी धोखा खा जाता है। लेकिन बांके इतना सख्त मिजाज का बन्दा होता है, कि वह उससे ज्यादा बात नहीं कर पाता है और बांके उसे अपने काम से काम रखने को बोलता है।
सत्ती यह बात अपनी बहन पम्मी को बताता है। पम्मी ताबड़तोड़ उससे मिलने आ जाती है। पम्मी अपनी बहादुरी का जलवा दिखाती है, और उसे कुश्ती के लिए चैलेंज करती है। उसे नहीं पता होता है कि पम्मी एक रसलर है। वह उसकी चुनौती स्वीकार कर लेता है। पम्मी उसे हरा देती है। लेकिन बांके को उससे प्यार हो जाता है।
पम्मी बांके को बाबा निराला की काली करतूतों के बारे में बताती है। वह बाँके से कहती है कि वह भी उससे प्यार करती है। लेकिन वह चाहती है कि बाबा निराला को हम सब मिलकर बेनकाब करें। वे तीनों शहर लौट आते हैं। वे इंस्पेक्टर उजागर सिंह और रिपोर्टर अक्की के साथ मिलकर प्लान बनाते हैं। इस काम में डॉक्टर नताशा भी उनका साथ देती हैं।
पम्मी एक दिन बाबा निराला के सामने डांस करती है और शराब में ज़हर डालकर उसे पिला देती है। इससे बाबा निराला की मौत हो जाती है अब उनके रास्ते का सबसे बड़ा कांटा हट गया होता है। लेकिन उसकी लाश को ठिकाने लगाना अभी बाकी होता है। वह बांके को बाबा निराला बनाकर आश्रम में ले आती है और वे लोग बाबा निराला की लाश को लेकर उसी जंगल में दफना देते है, जहां से नर कंकाल मिला होता है!
फिर वो लोग झूठ मुठ का एक्सीडेंट करवाते हैं ताकि यह साबित कर सके कि बाबा निराला की यादाश्त जा चुकी है। भोपा सिंह बाबा निराला को अकेले में कहता है मोंटी तुझे इतनी दारू पीकर गाड़ी चलाने की जरूरत क्या थी ? मुझे बोलना चाहिए था, मैं तेरे साथ चलता। लेकिन बांके उससे कहता है कि मुझे तेरे दो टके की एडवाइज की कोई जरूरत नहीं है।आगे से अपने काम से काम रखना और मुझे ज्ञान देने की कोशिश मत करना।
बाँके धीरे-धीरे यह दर्शाता जाता है कि उसकी यादाश्त वापस आ रही है और इसी जरिए वह उनके सारे राज जानता रहता है। सारे खुफिया ठिकाने उसे पता चल जाते हैं। एक-एक करके उजागर सिंह को सब बताता रहता है और छापे लगवाता रहता है।
एक दिन वह उजागर सिंह को सारे सबूत दे देता है। जिससे यह साबित हो जाता है की भोपा सिंह ही उस लड़की का कातिल हैं और माइकल भी इस काम में बराबर का हिस्सेदार है। दोनों को उजागर सिंह अरेस्ट कर लेते हैं।
बांके धीरे-धीरे सब अच्छे काम करता रहता है और आश्रम के सारे गैर कानूनी काम बंद करवा देता है। जितनी भी संपत्ति उसके पास होती है वह गरीबों के लिए इस्तेमाल करता है। जगह-जगह उनके लिए अस्पताल और अनाथ आश्रम बनवाता है। इतना ही नहीं आश्रम की सारी संपत्ति को नेक काम में लगा देता है। लोग यह सब देख कर हैरान हो जाते हैं कि बाबा निराला अचानक से इतना अच्छा कैसे हो गया।
अंत में बुराई की हार होती और अच्छाई की जीत होती है और सारे मुजरिम पकड़े जाते हैं और आश्रम से अपराध हमेशा हमेशा के लिए समाप्त हो जाता है और बांके काशीपुर वाले बाबा निराला से फिर से बांके बन जाता है और पम्मी से शादी कर लेता है।
