STORYMIRROR

GOPAL RAM DANSENA

Tragedy

4  

GOPAL RAM DANSENA

Tragedy

आंसूओ के बादल

आंसूओ के बादल

4 mins
250

आज दिन भर रह रहकर बारिश हो रही थी। हवा के सर्द स्पर्श से शरीर कांपे जा रहा था। लोग ठंड से बचने के लिए रजाई और कम्बल में दुबके हुए मौसम के बदलने का इंतजार कर रहे थे पर मौसम था कि अपना रुख बदलने का नाम नहीं ले रहा था। बीच बीच मे बिजली की चमक और बादल की गड़गड़ाहट से तन मन कांप उठता ।

इस बेरुखी मौसम में गांव के एक कच्चे मकान के बाहरी बरामदा पर भीख मांगने आये एक वृद्धा अपने पाँच छह साल के बच्चे को लेकर रुकी थी। गांव मे अक्सर भीख मांगने वाले या घुमंतू जन जातीय लोग समय समय पर आते रहते हैं जिनके पास जीवन यापन के सामान एक पोटली में ही सीमित रहता है,जबकि कुछ जाती के लोग गांव के बाहर डेरा डालते हैं जो प्रायः टोली मे रहते हैं जो परिवार का समूह होता है इन समूह के जीवन यापन के सीमित सामान होते हैं जो तंबू बनाकर कई दिनों तक रहते हैं आस पास के गांव को भी मांग कर अपना डेरा उखाड़ते हैं ।एक हमारा समाज जिनके जीवन यापन का सामान को गिनना खुद मालिक के याद से बाहर होता है।

हाँ तो मै बात कर रहा था उस वृद्धा के बारे में जो इस बेरुखी मौसम मे गांव पर रुकी थी, वृद्धा बच्चे को सीने से लपेटे बैठी थी,तन पर फटी साड़ी के अलावा कुछ न था।बच्चा सिमट कर मां को बार-बार पूछ रहा था-

"मां आज पानी क्यों गिर रहा है,मुझे भूख लगी है मांगने कब जायेगें।"

वृद्धा के पास बच्चे को खिलाने के लिए कुछ न था वह हर रोज सुबह बच्चे को लेकर भीख मांगने निकल जाया करती और जहां खाना मिलने की आश नजर आता बच्चे के लिए देने की याचना करती , कोई न कोई खाना दे दिया करते हैं जैसे वह वर्तन में रखते जाती और कहीं पानी की सुविधा देख खा लिया करते।

वृद्धा माँ बार बार बच्चे को ढाढस देती और कहती" जायेंगे बेटा पानी को छोड़ने दो"

बच्चा ने फिर पूछा-"पर मां हमारा घर क्यों नहीं है,हम मांग कर ही क्यों खाते हैं। मेरे पिता और बाकी लोग कहां हैं।"

बच्चा ये सवाल अक्सर करता और मां के पास कभी जवाब नही होता ,क्या बताती छोटे से बच्चे को जीसने कभी परिवार रिश्ते नाते ही नही देखा ,उसके लिए अपना पिछले जिंदगी के पन्ने खोलना सहज काम न था।

मां आसमान की ओर ताकती है मानो आसमान मे कहीं उनका घर हो और वह पहचान कर बता सके की -वो रहा अपना घर।वृद्ध मां के पास गड़गड़ाते मौसम के साथ यादों के बादलों ने अचानक दौड़ लगा दी और वह अंदर से कांप गई ।आंखों से आँसू के धार बहने लगे,हां ऐसै ही मौसम था जब वो अपने घर से अपने प्यार के लिए घर छोड़कर भागी थी चंद कपड़ो को लेकर अपने प्रेमी के साथ ,अपनो से बहुत दूर हर रिश्ते नाते को छोड़कर, जहां तक उनकी नजर भी न पहुंच पाए । क्योंकि वह एक नीचे जाति के लड़के से प्रेम जो करती थी और घर वाले इस रिश्ते को स्वीकार न कर रहे थे।गांव और समाज उन्हे देख ताने कसते । कई बैठकें हुए कि लड़की बदचलन हो गई है , घर में नजरों के पहरे लग गये।

और वह किसी तरह अपने प्रेमी से संपर्क कर भाग खड़ी हुई उस कैद से बहुत दूर। काम कर खाते कहीं भी रह लेते जहा आसरा मिलता ।पर समय को भी ये मंजूर न हुआ।चार वर्ष के बाद प्रेमी रूपी पति की तबियत अचानक खराब हुआ और वह एक साल के बच्चे को और दुनियां के मझधार मे छोड़कर आँसू के सैलाब के साथ उसे छोड़कर अंतिम सांस ले चला गया। आसपास के लोगों ने सहयोग कर दाह संस्कार संपन्न कराया।

वह कई दिन रोती रही बच्चे को पडोसी मजदूर खिला दिया करते, फिर एक मां जो थी ममता के खातिर जीने का फैसला किया काम पर जाती पर बच्चे को कहां रखे ,कोई काम न देता मजबूर हो भीख मांगना शूरू कर दी।

वह आज भी उस दुनियां से दूर है बहुत दूर जहां उसे कोई नही जानता।वह बच्चे के सिर पर हाथ रख खो जाती है उन सपनो में जिसको वह संजोए हुए थी,उसके जन्म पर , और वो सपने इन बादलों के समान दूर उड़ते हुए नजर आते हैं और बरसते हैं आंसू बनकर।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Tragedy