हरि शंकर गोयल

Comedy Fantasy Others

3  

हरि शंकर गोयल

Comedy Fantasy Others

आम से राजा बनने की कहानी

आम से राजा बनने की कहानी

6 mins
199


गर्मी बड़ी परेशान थी। धूप से सारा बदन झुलस रहा था उसका। सिर से पैर तक वह पसीने से नहाई हुई थी। जो मेकअप किया था उसने वह सब पसीने से पुछ गया था। जब मेकअप पसीने से पुछ जाता है तो चेहरा बहुत वीभत्स सा नजर आने लगता है। उस चेहरे को देखकर सामने वाले को उबकाई सी आने लगती है। गरमी ने अपना चेहरा आईने में देखा तो उसे देखकर वह खुद ही डर गई। मगर गर्मी कर भी क्या सकती थी। वह तो खुद अपने "जेठ" से ही परेशान थी। ये जो उसकी हालत बनी हुई थी, यह "जेठ" की बदौलत ही तो थी। उसने "जेठ" से बहुत अनुनय विनय की कि इतना रौद्र रूप भी ना दिखाओ कि उसके नाम से ही डर लगने लग जाये। मगर जेठ तो जेठ है। शायद सभी "जेठ" ऐसे ही होते हैं। रौबीले, खड़ूस, पर पीड़क, गुस्सैल। इसीलिए तो छोटी बच्ची "छाया" जेठ को देखकर किसी पेड़ के पीछे छिप जाया करती है। मगर इससे जेठ को कोई फर्क नहीं पड़ता है। वह अपने दोस्त "सूरज" को कहता है कि वह और तेज चमके जिससे धरती पर रहने वाले सभी जीव जंतु , वनस्पति सब परेशान हों। किसी आदमी की प्रवृत्ति ऐसी होती है कि वह औरों को दुखी देखकर बहुत सुखी होता है। "जेठ" भी उन्हीं में से एक है। उसे बड़ा आनंद आता है इसमें।

तो गर्मी अपने जेठ से ही दुखी थी। यद्यपि देवर बैशाख भी कम नहीं था। मगर वह "जेठ" जितना गुस्सैल और बददिमाग नहीं था। कभी कभी बैशाख अपनी भाभी "गर्मी" से "मस्ती" भी कर लेता था तो गरमी को "फील गुड" भी हो जाया करता था। मगर जेठ का क्या करे वह ? 

मगर गर्मी इस परेशानी की शिकायत भगवान से कर भी नहीं सकती थी। क्योंकि जब गर्मी की शादी "मौसम" से हो रही थी तो भगवान ने तीनों बहनों गर्मी, सर्दी और बरसात को बहुत समझाया कि तीनों बहन "मौसम" को ही क्यों पति बनाना चाहती हैं ? लेकिन तीनों बहन तो मौसम के आशिकाना मिजाज , अलबेलापन , दिलकश अंदाज , दिलफेंक अदाओं और मस्तमौलापन पर इस कदर रीझ गईं थीं कि तीनों की तीनों बहन हठ कर बैठीं कि उन्हें तो बस "मौसम" ही चाहिए। भगवान ने उन्हें खूब समझाने की कोशिश भी की कि तीनों बहन आपस में सौत बन जाओगी और सौत तो "चून" की भी बुरी होती है। फिर मौसम का बड़ा भाई जेठ और पौष बहुत खतरनाक हैं। एक बहुत गर्म तो दूसरा बिल्कुल ठंडा। तीसरा बड़ा भाई भादों भी कुछ कम नहीं है। वह भी भीगता रहता है हरदम। मगर तीनों बहनें तो मौसम के "प्यार" में इस कदर पागल थीं कि उन्होंने भगवान की भी एक नहीं सुनी और भगवान को उन तीनों बहनों का ब्याह मौसम से करना पड़ा। जब किसी ने मरने की ठान ही ली है तो उसे कौन बचा सकता है ? तीनों ऋतुओं की शादी मौसम से हो गई।

मौसम को गर्मी ने भी चुना था इसलिए वह शिकायत करने की हकदार ही नहीं थी। पर,उसे मौसम से कोई शिकायत भी नहीं थी। और होती भी कैसे ? वह तो मौसम की हर अदा पे फिदा थी। जिनसे प्यार होता है उनकी हर अदा भी खास लगती है। जैसे शेरनी अपने प्यार की खातिर शेर के लिये खुद शिकार कर लाती है। उसी तरह गर्मी को भी अपने प्यार मौसम के लिए "जेठ" की जलती धूप भी सहन करनी पड़ेगी। 

ऐसा नहीं है कि मौसम को गर्मी की इस हालत से कोई तकलीफ नहीं होती है ? बहुत होती है। मगर वह कर भी क्या सकता है ? जेठ किसी की सुनता ही नहीं है। अपनी पूरी मनमानी करता है। एक दो बार गरमी ने मौसम से भी शिकायत की थी "जेठ जी" की। मगर मौसम की भी हिम्मत नहीं हुई कुछ कहने की उसको। आखिर बड़ा भाई जो था। और हमारे देश में बड़े भाई का सम्मान करना छोटे भाई का कर्तव्य है। इसलिए मौसम ने भी अब कुछ कहना सुनना बंद कर दिया था। उसने गर्मी से साफ साफ कह दिया "जेठ मेरा बड़ा भाई है। वह थोड़ा अक्खड़ है मगर दिल का बड़ा साफ है। इसलिए उसकी थोड़ी "खिदमत" कर दिया करो। बड़े आदमी को क्या चाहिए ? थोड़ा सा आदर सम्मान ही ना ? दे दिया करो। सम्मान देने में अपना क्या जाता है ? वो भी खुश और हम भी खुश। फिर जेठ को "घाट की राबड़ी" भी बहुत पसंद है। जो कोई भी आदमी घाट की राबड़ी छाछ के साथ सुबह खाता है , जेठ उसका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। तो बना दिया करो रोज घाट की राबड़ी और खिला दिया करो जेठ को। 

दिन बीतते जा रहे थे। गरमी के बेटे पे बेटे हुए जा रहे थे। गर्मी को "आम" बहुत पसंद थे इसलिए गर्मी ने अपने बेटों के नाम आम के नामों के आधार पर ही रखे। गरमी का पहला बेटा बड़ा जहीन , गंभीर और खुशमिजाज था। इसलिए उसका नाम रखा गया "हापुस"। फिर गरमी के दूसरा बेटा हुआ। उसकी नाक बहुत बढ़िया थी। एकदम तोते जैसी। वैसे और तो कोई गुण थे नहीं उसमें , बस नाम के आधार पर उसका नामकरण "तोतापुरी" किया गया। 

तीसरा बेटा जब हुआ तो वह एकदम रसगुल्ले जैसा मीठा मीठा था। सबको बहुत पसंद था वह। उसका नाम रखा गया "दशहरी"। दशहरी तो इतना लोकप्रिय हो गया था कि वह दोनों बड़े भाइयों को पीछे छोड़कर आस पड़ोस क्या पूरे गांव में मशहूर हो गया। दशहरी सबका चहेता बन गया था। 

फिर चौथा बेटा हो गया। पर यह क्या ? यह तो लंगड़ा रहा था। शायद गरमी ने उसे पोलियो की दवा नहीं पिलाई थी। कभी कभी मां बाप की लापरवाही का खामियाजा संतानों को उठाना पड़ जाता है। "लंगड़ा" इसकी जीती जागती मिसाल बन गया। गरमी के थोड़े से आलस ने उसे जीवन भर के लिए "लंगड़ा" बना दिया। सब लोग उसे "लंगड़ा" कहकर चिढाने लगे और उसका नाम भी "लंगड़ा" ही पड़ गया। लंगड़े को खाने का बड़ा शौक था। हरदम कुछ न कुछ "चरता" ही रहता था वह। लंगड़ा होने के कारण भाग दौड़ भी नहीं कर सकता था वह। इसलिए वह मोटा होता चला गया। एकदम गोलूमोलू। मसखरी गजब की करता था वह। उसके स्वभाव में खटमीठापन था। इसलिए वह भी बहुत लोकप्रिय था। 

गरमी अब चाहती थी कि उसके कोई बेटी हो जाये। मगर चाहने से कुछ होता थोड़ी ना है। "लिंग परीक्षण" बैन था इसलिए पांचवां भी बेटा ही हुआ। गरमी भी अपने बेटों से तब तक तंग आ गयी थी। तो उसने उस पर कोई ध्यान नहीं दिया। मगर वह था ही इतना सुंदर और स्वस्थ कि पूरे गांव का लाडला बन गया। उसे अपना अंगूठा चूसने का गजब का शौक था। इससे उसका नाम "चौसा" पड़ गया। पांचों भाई खूब धमाचौकड़ी मचाते थे। बेचारी गरमी भी उनसे तंग आ जाती थी कभी कभी। मगर ये कहां मानने वाले थे। 

गर्मी ने एक बार और रिस्क लेने की सोची। अबकी बार एक प्यारी सी गुड़िया ने जन्म लिया। उसके गाल गुलाबी गुलाबी और आंखें शराबी शराबी थीं। कितना मीठा बोलती थी वह ? बिल्कुल शहद की तरह से। उसके इन्हीं गुणों के कारण उसका नाम "लीची" रख दिया। पांच भाइयों के बीच अकेली बहन की "कीमत" क्या होती है यह "लीची" से पूछो। 

लीची के "भाव" बहुत थे। वह किसी को गांठती ही नहीं थी। चूंकि सबकी लाडली थी वह इसलिए वह इतराती भी बहुत थी। पर जैसा होता आया है , घर का उत्तराधिकारी तो बेटा ही बनेगा। इसलिए "युवराज" के रूम में "आम" को ही पसंद किया मौसम ने। इस तरह से युवराज बनने के बाद "आम" राजा बन गया। बेचारी लीची सुंदर, मीठी और रसीली होने के बावजूद "राजकुमारी" नहीं बन पाई। पर नारी का हृदय तो विशाल होता है न। वह इन छोटी छोटी बातों में नहीं पड़ती है। और, आम तो उसका ही भाई है। अतः उसने भी "आम" को राजा स्वीकार कर लिया। इस प्रकार तब से आम राजा बना हुआ है। 



Rate this content
Log in

Similar hindi story from Comedy