आलम आरा यादों का पिटारा
आलम आरा यादों का पिटारा
आज आशी ने सोच रखा था कि आज टी. वी. में अपना इंटरव्यू किसी को देखने नहीं देगी ख़ासकर के तो सासु मां को वरना वो समझेगी आशी ने जान बूझकर उनके ऊपर कटाक्ष किया है। यही सोचकर चैनल बदलने की कोशिश कर रही थी। हुआ यह कि पिछले दिनों क्लब में सब आए थे और जोश जोश में प्रियंकाजी जो पहले दूरदर्शन में कार्यकर्ता थी सास बहू के कार्यक्रम के तहत कोई शरारत से पूछ बैठा कि शादी के बाद हममें क्या बदलाव आया और सासु मां से क्या सीख मिली। उस वीडियो को मैं अपने आज तक के सबसे अच्छा वीडियो मानती हूँ क्योंकि इसे सब पसंद करते है। उनके सवाल पर बिना किसी नखरे के मैंने कह दिया कि मुझे अपनी सास और उनकी आदतें नहीं पसंद और यह भी कि मेरी सास हमेशा अपनी बात सबसे ऊपर क्यूँ रखती हैं । बहरहाल...उस कॉम्पीटिशन के अंत में सास बहू साथ बैठते हैं, गले मिलते हैं पर...मेरी सास मुझसे गले नहीं मिलेगी मैं जानती थी।
मैंने उस इंटरव्यू में सास की बहुत बुराई की थी और मैं नहीं चाहती थी कि मेरे उस इंटरव्यू को सास ससुर या घर में कोई भी देखे। जब यह कार्यक्रम आ रहा था तब घर के सारे लोग खाना खा रहे थे और टी. वी. चल रहा था कि अचानक वो कार्यक्रम शुरु हो गया। मैं एकदम नहीं चाह रही थी कि कोई सुने। रिमोट दबाकर चैनल बदलने की लाख कोशिश की पर इस मुए बैटरी को भी आज ही खत्म होना था। उधर टी. वी. पर मेरा इंटरव्यू चल रहा था। मुझे काटो तो खून नहीं। रिमोट को उस दिन नहीं चलना था नहीं चला और सबने वह कार्यक्रम देखा। सासु मां अपनी बुराई सुनकर आग बबूला हो गई। वो कोई फिल्मी या सीरियल वाली सास थोड़ी थीं कि अंत में मुझसे माफ़ी माँगते हुए मुझे गले से लगा लेती। बाद में सासु मां से काफ़ी दिनों तक अबोला रहा था। फिर एक दिन सास की बेरुखी मुझसे सही नहीं गई तो मैंने उनसे माफ़ी मांगी। उन्होंने मुझे माफ कर दिया तब कहीं जाकर घर का माहौल सामान्य हो पाया। फिर एक दिन मैंने उनको मैसेज किया, "मुझे माफ कर दीजिए... बेटी समझकर, बहू समझकर नहीं!" बस मेरी प्यारी सास पिघल गईं और हमारा रिश्ता काफ़ी हद तक सामान्य हो गया। उस आखिरी 'सॉरी' वाले मैसेज ने कमाल कर दिया था। उसके बाद मैंने उनका दिल नहीं दिखाया और सॉरी बोलने की ज़रूरत भी नहीं पड़ी। उस आखिरी सॉरी वाले मैसेज के बाद से अब मेरी सासू माँ और मेरी दोस्ती हो गई है पक्कीवाली।