vijay laxmi Bhatt Sharma

Drama

5.0  

vijay laxmi Bhatt Sharma

Drama

आखिरी खत

आखिरी खत

2 mins
474


आज वो बहुत व्यथित था, आंसू थम नहीं रहे थे परन्तु अब पश्चाताप का वक़्त नहीं था वक़्त निकल चुका था। लोग उसे ऐसी नज़र से देख रहे थे जैसे उसने कोई बड़ा गुनाह किया हो। सच भी है ये गुनाह ही तो है। आज पंद्रह साल बाद इस जगह लौटा था वो।

यदा कदा कभी फुर्सत होती तो फोन पर बात कर लेता तो यहां से एक ही रट होती घर कब आयेगा। अब अकेलेपन से डर लगता है पर उसने कभी इन बातों को गौर से सुना ही नहीं पैसे कमाने की धुन ने उसे इतना व्यस्त कर दिया की उस खामोशी का दर्द उसके कानों तक तो पहुंचा पर दिल तक पहुंच नहीं पाया और वो सिर्फ इस से संतुष्ट हो गई की आऊंगा जरूर आज आया है तो वो बात भी नहीं कर सकती ना अकेलापन बांट सकती है इस सबसे दूर जा चुकी है।

सभी अंतिम क्रिया कर अब वो भी खाली बैठा था। पत्नी और बच्चे आज भी साथ नहीं आए थे कोई लगाव नहीं था उन्हें जब मै ही नहीं आया तो फिर उन्हें क्या। . मुझे तो जन्म दिया था उन्होंने पाला पोसा इस लायक बनाया।

पिता तो बचपन में ही छोड़ गए थे और मै भी उन्हें सहारा नहीं दे पाया। तभी नजर सामने राखी टेबल पर गई एक कागज रखा था टेबल की ड्रॉअर खोली तो पंद्रह खत मिले मेरे हर जन्मदिन पर एक खत मैंने एक एक कर सारे खत पड़ डाले आंसुओं से मेरा कुर्ता गीला हो गया था आज अपने आप को खुद ही मारने का मन कर रहा था।

ये को आखिरी खत जो हफ्ते पहले मेरे जन्मदिन पर उन्होंने लिखा था जिसमें फोन का भी जिक्र था जो मैं उठा नहीं पाया था और जिक्र था की ये उनका आखिरी खत है। जो वो मिलकर कहना चाहती थीं वो सब बातें खत में लिखी थीं शायद उन्होंने पोस्ट किए होते तो या तो मुझे मिलते नहीं या फिर मै पड़ता है नहीं। शायद मां अपने बच्चों को खूब जानती है इसलिए खत लिखे जरूर पर भेजे नहीं।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Drama