Shelly Gupta

Inspirational

5.0  

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आखिर सिया ने अपने निशान बना ही लिये

आखिर सिया ने अपने निशान बना ही लिये

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"मम्मा, आदेश नहीं चाहते कि मैं किसी को भी कुछ पलट कर बोलूं। उन्हें लगता है कि बस सिर झुकाए चुपचाप सबकी सुनती रहूं और बग़ैर गलती करे भी सॉरी बोल दिया करूं। ना वो मेरी साइड लेते हैं ना ही कोई और घर में। कितना भी काम कर लूँ कभी कोई खुश नहीं होता। सब बस ग़लती निकालने को तैयार रहते हैं।" रो पड़ी सिया अपनी माँ निर्मला जी को फोन पर ये सब बताते हुए।

उधर फोन के दूसरी तरफ निर्मला जी को ऐसा लगा जैसे किसी ने उनका दिल मुट्ठी में भींच दिया हो। अभी साल भर ही तो हुए है सिया की शादी को और ये फोन। कितने अरमानों से उन्होंने अपनी बेटी की शादी करी थी। सिया उनकी इकलौती बेटी, उनकी लाडली। बहुत बनती है माँ और बेटी में। कैसे उसे विदा किया था ये तो उनका दिल ही जानता है। लेकिन हर बेटी की माँ को ये करना पड़ता है लेकिन अब, अब क्या करें वो, उन्हें समझ भी आ रहा था।


सिया की शादी के चंद महीनों में ही उन्हें लगने लगा गया था कि सिया परेशान है, पर सिया से पूछा तो उसने कुछ नहीं बताया और आपका वहम है कहकर टाल दिया। बड़ी हिम्मतवाली है उनकी सिया, इतनी जल्दी अपने माता पिता को तंग नहीं करेगी ये निर्मला जी जानती हैं। कुछ तो ज़रूर हुआ होगा जो वो आज रो पड़ी नहीं तो उनकी सिया तो चुलबुली चिड़िया है, खुद भी चहकती है और अपने आस पास वालों को भी चहकाये रखती है।

निर्मला जी दुविधा में पड़ गई कि इतनी दूर बैठी अपनी रोती हुई बेटी को कैसे चुप कराए और कैसे उसकी प्रॉब्लम सॉल्व करें। उन्होंने बड़े प्यार से सिया को चुप होने को कहा।

"चुप हो जा सिया, तुझे पता है ना कि तू मेरी जान है। तेरे आँसू मुझसे बर्दाश्त नहीं होते। चुप हो जा बेटी, मुझे पूरी बात बता। चल हम दोनों मिल कर कोई रास्ता ढूंढेंगे।" ये बोलकर बड़ी मुश्किल से सिया को उन्होंने चुप करवाया।


सिया बोलने लगी कि," मम्मा जो देखता है मुझे कुछ बोल कर चला जाता है। ऐसे लगता है कि काम वाली चाहिए थी उन्हें बहू नहीं। बताया तो था आपने की मुझे घर का खास काम नहीं आता, तब तो उन लोगों ने बोला था कि वो सीखा देंगे। कोई नहीं सिखाता मम्मा, बस कमी निकालकर, ताने देकर निकल जाते हैं। इतना काम कर के थक जाती हूं लेकिन कोई ये नहीं देखता। बस मेरे बैठते ही सब बुरा मान जाते हैं और आदेश उन्हें तो कई बार समझ भी आता है कि मैं ठीक हूं, मेरी ग़लती नहीं है लेकिन साथ वो अपने परिवार का ही देते हैं। अब मैं थक गई मम्मा ये सब सहते सहते", ये कह सिया फिर रोने लगी।


निर्मला जी ने फिर से उसे प्यार से चुप करवाया और पूछा," एक बात बता, क्या आदेश जी तुझे प्यार नहीं करते?"

सिया बोली," करते हैं मम्मा पर अपने घरवालों को ज़्यादा प्यार करते हैं। उन्हें ये भी नहीं दिखता कि मैं उनके लिए अपना सब कुछ छोड़ कर आई हूं।"

निर्मला जी ने पूछा, "क्या तुम प्यार करती हो आदेश जी से?"

सिया थोड़ा झेंप गई। बड़ी फ्रैंक थी अपनी मम्मा से वो पर ऐसी बातें नहीं करती थी। उसने कहा, " हाँ मम्मा, मैं करती हूं उनसे प्यार।"

निर्मला जी ने पूछा,"कितना?"

सिया बोली," कितना मतलब क्या? करती हूं प्यार बहुत करती हूं।"

निर्मला जी ने पूछा," कितना प्यार करती हो तुम - उनके लिए लड़ कर हमेशा उनके साथ रहने जितना या तंग होकर उन्हें छोड़ आने जितना? अगर तुम उनके बिना खुशी से अपनी ज़िन्दगी गुज़ार सकती है तो यहां वापिस आ जाओ और अगर उनके बिना नहीं रह सकती तो वहीं रह कर अपनी जगह बनाओ।"

सिया बोली, " पर कैसे मम्मा?"

निर्मला जी बोली, " याद है, बचपन में एक दोहा तुम्हारा फेवरेट हुआ करता था।

करत-करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान। रसरी आवत-जात के, सिल पर परत निशान ।।


जिस प्रकार बार-बार रस्सी के आने जाने से पत्थरों पर निशान पड़ जाता है, बस तुम्हे वहीं रस्सी बनना है। खुद की जगह बनानी है तुम्हें। मैं मानती हूं कि इतना आसान नहीं ये, पर प्यार के लिए इतना मुश्किल भी नहीं है। अभी तुम नई हो और वो सब पुराने, अभी उनके निशान बने हुए हैं। बस तुम्हें अपनी मेहनत और प्यार से अपने निशान बनाने हैं। और मैं तो हूं ही तुम्हारे साथ। जब कोई दिक्कत आए, मुझे बताना। हम माँ बेटी मिलकर सब ठीक कर देंगी। लेकिन फिर भी अगर हिम्मत हारो तो सीधा माँ की गोद में आना, इधर उधर मत जाना।"


सिया बोली, " मम्मा,आपकी बातों से फिर से हौसला मिला है। बस अब आप आशीर्वाद दो की मैं सफल होऊं। "

निर्मला जी ने आशीर्वाद देकर फोन रख दिया। उसके बाद फिर कभी निर्मला जी और सिया में ऐसी बात नहीं हुई। कई बार जब सिया मायके आई तो उन्हें बहुत थकी हुई लगी पर पूछने पर हमेशा यही कहती की मम्मा अपने निशान बनाने में थकावट तो होती ही है। अब आपके पास आ गई तो फ्रेश होकर वापिस जाऊंगी।

आज सिया की शादी की पांचवीं वर्षगांठ है। सिया अब एक दो साल की बेटी की माँ बन चुकी है। जब निर्मला जी सिया के घर पहुंची तो सिया चहक कर उनके गले लग गई और कान में बोली, " मम्मा, मैंने अपने निशान बना लिए" और एक बड़ी सी किस अपनी मम्मा के गाल पर कर दी।



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