आज का सच पैसा............ मनोभाव
आज का सच पैसा............ मनोभाव
आज का सच पैसा हम सभी जानते हैं और जीवन में हम सभी काम और मेहनत केवल और केवल पैसे रुपये के लिए हम सभी करते है। और सही भी तो है।
रीना बस के इंतज़ार में दिल्ली के कनाट प्लेस के साथ लगे बस स्टाँप के साथ खड़ी थी और वह घर जा रही थी। बस आती है और वह बस में चढ़ जाती है बस भरी हुई थी रीना को भी भीड़ के साथ खड़ा होना पड़ता है और कभी झटके के साथ आगे पीछे भी लोगों में टकराव हो जाता है।
रीना एक 23 24 वर्ष की नवयुवती के साथ साथ सुंदर शरीर की आधुनिक सोच और चंचलता के साथ शारीरिक मांसल देह किसी को भी अपनी ओर आकर्षित कर ले। कुछ देर में एक सीट खाली हो ती है रीना बैठ जाती है तब ही एक 40 45 वर्ष का आदमी भी उसकी सीट पर सब कर बैठ जाता है।
रीना की आर्थिक स्थिति कमजोर थी और वह अनाथ आश्रम में पलकर बड़ी हुई थी और बनारस की रहने वाली थी। बनारस रेलवे स्टेशन के ठीक सामने सुबह से शाम तक शारीरिक संबंध के सौदा करने वाली महिलाओं का सच था। और रीना भी एक नौकरी का साक्षात्कार देने जा रही थी। और जो आदमी रीना के संग सीट पर सफर कर रहा था। वो कष्ट पुष्ट कद काठी का आदमी था। और रीना का फैशन भी उस आदमी को चंचलता का निमंत्रण दे रहा था।
उस आदमी की कोहनी रीना के स्तन को छू छू कर रीना और उस आदमी को आनंद की अनुभूति दे रही थी। बस रीना का स्टाँप आता है और वह उतरकर चली जाती है। और वो आदमी भी उसी के साथ उतरकर चला जाता है। और रीना अपना नौकरी के साक्षात्कार स्थल पर पहुँच जाती है।
शेखर और रीना बीयर से शुरू होकर जिंदगी के सफर में शारीरिक चंचलता के साथ वासना के समुंदर में तृप्ति का अनुसरण करते है और रीना के हाथों में नोट कि गड्डी चुके स्वप्निल जीवन को सच लग रही थी।
अब रीना और शेखर का रोजाना का वासना और आकर्षण के साथ आनंद कुछ महीने चला और शेखर कंपनी बंद कर चला गया। और रीना आज भी कनाट प्लेस पर अपने धंधे का नया ग्राहक आज भी ढुढ़ रही है। सच तो यही है आज का सच पैसा है। और हम चुपचाप जीवन को जीते चल रहे है।
जब उसके साक्षात्कार का नंबर आता है और वह जब केबिन में दाखिल होती है तब वह बस वाला आदमी और रीना दोनों एक दूसरे को पहचान लेते है और आदमी उस कंपनी का मालिक कार रास्ते में खराब होने के कारण कार ड्राइवर को छोड़ बस से सफर मजबूरी था।
शेखर बस वाले आदमी का नाम था। और रीना से कहता है आप बैठे और अपने वारे में बताए। रीना के साक्षात्कार के बाद शेखर उसे एक शारीरिक संबंध का खुला आमंत्रण देता है और रीना उसे चुपचाप नौकरी की रिश्वत समझकर स्वीकार कर लेती है और शेखर के इशारे से वह केबिन के अन्दर बाथरुम में चली जाती है तब वह बाथरूम देखकर चौंक जाती है वहाँ बाथरूम कम बेड रुम था। और उसकी बस की अनुभूति और शेखर की वासना का प्रेम दोनों सहयोगी बनकर महीनों तक शारीरिक संबंध और रिश्ते निभाते रहे।
एक सुबह शेखर अपनी कंपनी को ताला लगाकर गायब हो जाता है और रीना कनाट प्लेस पर आज भी ग्राहकों का इंतज़ार कर रही है।