मेरा भाग्य
मेरा भाग्य
आज हमारे जीवन में बहुत कुछ अचानक हो जाता है और जो जीवन में अचानक होता है वही तो मेरा भाग्यकुदरत भी भी घट सकती है किसी के साथ कुछ भी हो सकता है परंतु हम सभी को जीवन में मानवता और समझदारी से जीवन को जीना चाहिए। सच तो हमारे जीवन में हम खुद यह हमारा बहुत प्रेमी जानता है। क्योंकि आजकल कहावत तो हमने सुनी है की दूध का जला छाछ को फूंक फूंक कर पीता है और हम सभी जानते हैं बड़े बुजुर्गों की कहावतें झूठ नहीं हुआ करती ऐसे ही आज की कहानी का एक उद्देश्य है की एक मां पैदा करने वाली और एक मां पालने वाली वैसे तो कहावत हम सभी जानते हैं परंतु आज हम कहानी में राजन का किरदार एक दिन ब्याही मां रजनी का कहना हैं।
रजनी अस्पताल में अपनी बिस्तर पर लेटी हुई अपनी तुरंत होने वाली बच्ची का मुंह देख रही थी और मन ही मन सोच रही थी पता नहीं अब इसका क्या होगा और इसको कौन संभालेगा मेरा भाग्य और कुदरत के रंग एक सच होता है हम सभी यही सोचते हैं कि जीवन घर परिवार मेरे वजूद से चल रहा है परंतु मुझे भूल जाते हैं की इंसान और कुदरत का एक बहुत पुराना रिश्ता है जो कि हमेशा सच और सच के साथ ही न्याय और व्यवस्था करता है ऐसे ही रजनी अपनी यादों में खोई हुई।
और रजनी अपनी यादों में अस्पताल के पलंग पर लेटी हुई कभी अपनी बेटी को देख लेती जो जिसने जन्म अभी लिया था और कभी अपने आप यादों में खो जाती। और गांव की वादियों में पहुंच जाती है। कुंदन देखने में बहुत शरीफ और सज्जन था और तरह तरह के वादे करे थे। और अच्छे परिवार से कुंदन रजनी के घर काफी आना जाना था और रजनी भी अच्छी कद काठी की समझदार लड़की थी। और कुंदन का मुझे शहर ले जाकर घूमना और फिल्म दिखाना मेरे हर शौक को एक आवाज में पूरा करना बस समय ही तो है मेरा भाग्य और कुदरत के रंग एक सच कल मेरा कितना अच्छा था और आज मेरे साथ कितना बड़ा है और वह अपनी जन ली हुई बेटी को देखती हैं।
रजनी की आंखों में आंसू आ जाते हैं और वह सोचती है कुंदन कितना झूठ और मक्कार था मुझे खेतों में घसीट घसीट कर अपनी हवस को बुझाता था। और न जाने कितने वादे मुझे कर जाता था और मैं भी कितनी दीवानी थी उसके शरीर की मुझे पता ही नहीं चला कि कब मेरा पेट पड़ी सच मेरा भाग्य और कुदरत के रंग एक सच होता है क्या अगर सच यही है तब तक न्याय और सच की जीत होगी ऐसा सोचते हुए रजनी की आंखें बंद हो जाती है सपने में देखती है की वह अपने पहचान वाले कुंदन के साथ फिर गांव की मेड़ो पर गले में हाथ डालकर घूमते फिरते और फिल्मों का भी मौका भी मिलता था और है बातों बातों में कब मुझे अपने करीब ले आया कि मुझे ना अपने शरीर और ना अपनी जीवन की सोच रही बस मेरा शरीर जब भारी हो गया और मैं कुंदन से बात करनी चाहिए तब मुझे मालूम चला कुंदन तो कई महीनो से शहर गया और लौट कर ही नहीं आया मैं भी बहुत इंतजार कर बस आज बच्ची को जन्म दिया है और अब इंतजार कर रही हूं कुंदन आकर मुझसे कहे ए हम दोनों की बेटी हम पलते हैं और परवरिश करते हैं और एक घर बनाते हैं।
अस्पताल के वार्ड में आहट होती है और नर्स नीलम आती है पूछती है और बेटी के पिता कब आ रहे हैं कब तुम्हें यहां से ले जाएंगे सपना टूट जाता है और रजनी चौक जाती है। रजनी हलवाकर नर्स नीलम से कहती है बस एक-दो दिन में आते ही होंगे नीलम बच्ची का और रजनी का चेकअप कर कर लौट जाती है रजनी मन ही मन बहुत डर जाती है पता नहीं अब क्या होगा माता-पिता तो मुझे अस्पताल में छोड़कर मेरा मुंह ना देखने की कसम खाकर चले गए हैं पता नहीं मेरी बेटी और मेरा क्या होगा ऐसा सोचते सोचते रजनी की आंख में जाती है और वह सो जाती है और रात को जब नर्स खाना लेकर आती है उसके साथ-साथ रजनी को बिल दे जाती है रजनी बिल देखकर सहम जाती है परंतु जीवन तो जीवन मेरा भाग और कुदरत के रंग एक सच ऐसे मोड़ पर रजनी खड़ी हो जाती है कि अपने से ज्यादा पैदा हुई दूध मूही बच्ची का मोह
तोड़ नहीं पा रही होती है। और सोचते सोचते अपनी बेटी के साथ सो जाती है।
सुबह जब रजनी की आंख खुलती है तब रजनी को नर्स बताती है तुम्हारा बिल जमा हो चुका है और तुम अपनी बच्ची को लेकर घर जा सकती है रजनी उदास मन से कह देती है ठीक है क्या क्या मैं और कुछ दिन नहीं यहां रुक सकती। नहीं अब आपकी तबीयत बिल्कुल ठीक है और अपनी बेटी को लेकर अपने घर जा सकती है नीलम नर्स ने फिर वह वही बात दोहराई और रजनी अब समझ चुकी होती है कुंदन का कुछ पता नहीं है और उसे भी अस्पताल से जाना ही होगा परंतु अस्पताल का बिल किसने भरा यह उसकी एक सोच अभी पूरी नहीं होती है और वह अपने बेड के पास लगी घंटी बजा देती है। नीलम नर्स दौड़कर रजनी के पास आ जाती है।
नील नर्स पूछती है बताओ क्या हुआ रजनी नीलम रास्ते रहती है कि मुझे एक ऑटो रिक्शा मंगवा दीजिए और मैं अब अपने घर जाना चाहती हूं नीलम नर्स रहने के लिए ऑटो रिक्शा मंगवा देती है। नेहा अपनी बेटी गोद में लेकर ऑटो वाले भैया से कहती है। मुझे शहर की कोई ऐसी पार्क के पास छोड़ दो जहां मैं अपनी बेटी को कुछ देर घुमा सकूं और ऑटो रिक्शा वाला लड़खड़ाते कदमों से चलती हुई रजनी को देखकर ऑटो रिक्शा वाला अजनबी कहता है बहन लगता है तुम्हारी तबीयत अभी सही नहीं है और मुझे ऐसा एहसास हो रहा है कि आप अस्पताल की दिल से घबरा कर जल्दी छुट्टी लेकर घर जा रही है रजनी हिम्मत साहस बटोर कर कहती है नहीं ऐसा कुछ नहीं है तुम मुझे पास के किसी पार्क में छोड़ दो और अपनी नीचे वाले कोदे देती हैपर्स में से कुछ पैसे निकाल कर दे देती।
मेरा भाग्य और कुदरत का रंग एक सच होता है जीवन में सभी तरह के समय आते हैं और उसे समय को अच्छा या बुरा कह सकते हैं क्योंकि हम सब मानव अच्छे काम में हम खुद हैं और बुरे काम के लिए भगवान को दोषी मानते है। बस समय के साथ समझ लेती है और रजनी अपने बच्चों को लेकर एक आश्रम में पहुंच जाती है वहां में बच्ची को पालन पोषण के लिए सहयोग मांगती है और खुद अपनी आपबीती सच-सच क्या सुनती है आश्रम वाले बहुत खुश रहते हैं और रंजीत को खाना बनाने का काम मिल जाता है।
और रजनी और राजनीति की बेटी के नए जीवन की शुरुआत हो जाती है बस रजनी कुंदन को सोचते सोचते बूढी हो जाती है। रजनी की बेटी राजो एक अच्छी होनहार लड़की बन जाती है और एक समय अपनी होनहार बेटी राजोै का विवाह कर देती है। मेरा भाग्य और जीवन के रंग एक सच बस यही जीवन और जिंदगी के किरदार हैं।
सच तो यह कहानी है और हम कहानी पढ़ते हुए जीवन की राह को समझते हैं और जागरूकता के साथ अपने जीवन को सोचते हैं।