Neeraj Agarwal

Romance Action Inspirational

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Neeraj Agarwal

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मेरा भाग्य और कुदरत के रंग

मेरा भाग्य और कुदरत के रंग

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 जीवन में हर पल सच और सही होता है बस हम सभी अपने-अपने मतलब से अपनी-अपनी राह बना लेते है। हम सभी को जीवन में मालूम है हमारे देश और संस्कार की संस्कृति और हमारे वेद पुराण ग्रंथ और गीता रामायण हम सभी जानते हैं फिर भी हम सब संत महात्माओं से उपदेश लेते हैं । मेरा भाग्य और कुदरत के रंग एक सच है फिर भी हम सब अपने ईश्वर को खोजने में लगे रहते हैं। सच तो हम सभी जानते हैं परंतु हम अपने डावांडोल मन और समझ को खोजने में लगे रहते हैं जबकि मेरा भाग्य और कुदरत के रंग एक सच है।

राजन अपने दादा दादी के पास आता है और दादा और दादी जी से कहता है कि मैं आज आपके पास सोऊंगा और मुझे आप बताइए की ईश्वर और कुदरत क्या है एक छोटे से बच्चे की मुंह से ऐसी बात सुनकर दादाजी और दादी चौक जाते हैं पूछते हैं बेटा तुमने यह कहां से सुना तो राजन कहता है दादाजी दादी जी मैं आज स्कूल में गया था। तब आज स्कूल में प्रेयर प्रार्थना में बताया गया कि ईश्वर और कुदरत ही हमारे जीवन की रक्षा करते हैं और हम उसकी बनाएं हुए जीवन को जीते हैं। हां बेटा राजा तुम्हारे स्कूल में सही पढ़ाया गया है हम सभी ईश्वर और कुदरत के साथ ही जीवन जीते और तुम भी यही सच को समझना है। राजन के दादा दादी राजन को बताते है। परंतु तुम उससे पहले अपनी मम्मी और पापा जी के किया हो कि आज मैं दादा-दादी जी के साथ सो रहा हूं। 

राजन भाग कर अपने मम्मी पापा की कमरे में जाता है और जब वह कमरे में पहुंचता है तो मम्मी रो रही होती है और पापा भी पास में बैठे होते हैं। नादान राजन जाकर मम्मी की गोद में बैठ जाता है और मम्मी से पूछता है मम्मी मम्मी आप क्यों रो रही है मम्मी कहती बेटा कुछ नहीं मेरी आंख में कोई तिनका चला गया था। इसलिए मेरी आंखों से पानी निकल रहा है अच्छा तुम बताओ तुम कैसे आए हो राजन कहता है मम्मी आज मैं दादा दादी जी के कमरे में सोऊंगा। और ऐसा कहकर राजन चला जाता हैं। 

 राजन दादा दादी जी कमरा पहुंच जाता है और देखा है दादाजी दादी जी के साथ डांस कर रहे हैं राजन पहुंच जाता है तब दादा जी और दादी जी कहते हैं कि राजन हम भगवान प्रभु श्री कृष्णा के भजन हरे कृष्णा हरे राम पर नाच रहे हैं इसे भगवान को प्रसन्न करने का एक तरीका भी कहते हैं और प्रभु के नाम जपने से और नृत्य मुद्रा में जपने से प्रभु ईश्वर प्रसन्न होते हैं। और हम सभी का भाग्य कुदरत के रंग एक सच होती है जो की जीवन में हर इंसान को मालूम होते हैं फिर भी हम सब संसार की मोह माया के साथ एक दूसरी के साथ धोखा करते रहते है।

राजन तुम्हारा प्रश्न तो यही था ना कि तुम्हारे स्कूल में ईश्वर और कुदरत को सहयोग दिया है तो बेटा यह सच और सही है। दादा दादी जी बताते हैं राजन जब तुम कमरे में आए थे तब हम और तुम्हारी दादी डांस कर रहे थे नृत्य कर रहे थे और दोनों हाथ ऊपर की ओर करके हरे कृष्ण हरे राम हरे कृष्ण हरे राम इस तरह से नाम ले रहे थे प्रभु का नाम और जप कर रहें थे। राजन बेटा इससे शरीर की कसरत भी होती है और कूदने से हमारे तलवों की खून की नसों पर प्रभाव पड़ता है जिससे हमें रात को नींद अच्छी आती है और जो जाप करते हैं उसे हमारे अंतर मन में प्रभु की कृपा मिलती है यह सभी चीज हमारे कुदरत से जुड़ी होती है और कुदरत और ईश्वर एक ही चीज है क्योंकि हम सभी मानवता के साथ जीवन जीते हैं वह सभी को समान भाव से ही सबको दिया है। जीवन में धन संपत्ति पैसे और रूप रंग से अलग हो सकते हैं परंतु जो ईश्वर कुदरत ने हम सबको दिया है विरासत में वह सब समान है एक समानता के साथ ईश्वर और कुदरत सभी को देती है जैसे वायु हमें सांस देती है धरती हमें सोने के लिए जगह देती है आकाश हम सभी को एक ही शीतलता देता है अग्नि तो तुम जानते ही हो रोज तुम्हारी मम्मी तुम्हें नाश्ता बना कर देती है वह अग्नि ही हमें भोजन बनाने का साधन देती है। और जल तो तुम जानते ही हो जल के बिना तो हम सभी नहीं जीवन जी सकते हैं।

राजन इन सभी बातों को सुनते-सुनते सो रहा होता है दादाजी दादी जी भी राजन को चद्दर उड़ा देते हैं नींद में खो जाता है दादाजी दादी जी से कहते हैं चलो अब हम भी अपने भजन कीर्तन को पूरा करके है विश्राम करते हैं। दादा दादी जी आपस में एक दूसरे से कहते हैं। आजकल के बच्चों को स्कूल में कुछ बताते नहीं है बस घर पर जाकर पूछ लेना ऐसा ही आजकल आधुनिक समय की महिमा है दादी जी के जब हमारा तुम्हारा जमाना था तब हम किताबों में ही बहुत कुछ पढ़ लिया करते थे आजकल के बच्चे को तो न भागवद गीता और रामायण का ज्ञान भी नहीं है।

 राजन दादा दादी की आवाज सुनकर फिर जग जाता है और फिर दादाजी दादी से कहता है हां दादा दादी जी फिर क्या हुआ तब दादा दादी कहते हैं राजन अब तुम सो जाओ क्योंकि कुदरत और ईश्वर तुम जान चुके हो। और हम सभी कुदरत के रंग एक सच पांच तत्व को भी पहचानते हैं और हम सभी का जीवन अपने-अपने भाग्य और कुदरत के रंग से एक सच कहता है और वह सच हमारे मां भागों में ईश्वर की निस्वार्थ उपासना का भाव है राजन अभी तुम बहुत छोटे हो और थोड़े बड़े होंगे तब तुम्हें सब समझ में आएगा राजन दादा दादी को शुभ रात्रि कहकर सो जाता है और दादी जी दादा जी भी राजन को आसपास लेकर सो जाते हैं। और दादाजी दादी से कहते हैं सच तो मेरा भाग्य और कुदरत के रंग एक सच जीवन का यही है क्योंकि हम सभी अपने भाग्य और कुदरत के रंग के साथ जीवन जीते हैं बस हम सभी दिखावे में ईश्वर आपको भूल जाते हैं।


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