Neeraj Agarwal

Tragedy Inspirational

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Neeraj Agarwal

Tragedy Inspirational

बुरा न मानो होली है

बुरा न मानो होली है

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        बुरा ना मानो होली है बुरा न मानो होली है हमारे हिंदू धर्म में होली एक ऐसा त्यौहार है जहां दुश्मन भी गले लग जाते है। परंतु मेरा भाग्य और कुदरत के रंग एक सच और सटीक सभी मानव समाज का दर्पण होता हैं। हम सभी रंगों के त्योहार पर धर्म की जय और अधर्म का विनाश होता है आज आधुनिक परिवेश में हम सभी का अपना मेरा भाग्य और कुदरत के रंग ही एक सच होता हैं। इसी के आधार पर आज हम दो सहेलियों की कहानी लेते हैं कहानी की सहेलियां है कल्पना और संजना जो की बचपन की बहुत घनिष्ठ मित्र थी और मित्रता के साथ-साथ एक दूसरे को बहुत चाहती थी परंतु हम किसी का भाग्य और किसी के कर्म नहीं बदल सकते हैं। 

         कल्पना और संजना दोनों एक दूसरे की बहुत अच्छी सहेली थी और दोनों ही एक दूसरे के पड़ोस में रहती थी दोनों ही संग साथ पढ़ लिखकर जवां और खूबसूरत बनी थी। और और कल्पना और संजना जिस कॉलेज में पढ़ती थी। उसी कॉलेज में पंकज नाम का लड़का पढ़ता था जो कि पढ़ने में होशियार था और वह काफी सुंदर और खूबसूरत भी था और वह आजकल कल्पना और संजना के शहर में ही सरकारी अधिकारी बन चुका था जिसमें कल्पना से उसकी दोस्ती अच्छी थी और आधुनिक युग के साथ-साथ कल्पना का तीज तोहार पर उसके साथ मिलना जुलना भी काफी अच्छा था परंतु कल्पना एक मध्यम परिवार की लड़की थी और पंकज कल्पना का एक अच्छा दोस्त था और वह उसे एक अच्छे दोस्त के अलावा और कुछ नहीं मानता था परंतु कल्पना मन मन ही पंकज को पसंद करती थी। पंकज की मन भावों में कुछ ऐसा ना था। 

         होली का त्यौहार था पंकज कल्पना के घर आया था इस त्यौहार के मौके पर संजना भी कल्पना के घर थी किसी ने सच कहा है कि अगर हम किसी से किसी की दोस्ती करा देते हैं तो जो दोस्ती कराता है उसकी दोस्ती दूर हो जाती है और वह जिस व्यक्ति से दोस्ती कराते हैं वह उसका हमदर्द बन जाता हैं। ऐसा ही कुछ कल्पना के साथ हुआ कल्पना ने पंकज की दोस्ती संजना के साथ करा दी थी। और पंकज को संजना बहुत पसंद आई और मैं बातों बातों में संजना के घर का पता संजना से पूछता है और संजना को भी अपनी पद प्रतिष्ठा और घर का एड्रेस घर का पता देता है। कल्पना और संजना की दोनों की उम्र विवाह की योग्य और कल्पना और संजना एक दूसरे की सहेली तो थी लेकिन मेरा भाग्य और कुदरत के रंग एक सच जीवन एक स्वार्थ पूर्ण पहेली है।

        होली के मौके पर कल्पना संजना का पंकज तीनों खूब होली खेलते हैं। संजना कल्पना होली के रंग के साथ-साथ अपने-अपने ख्याल पंकज के साथ विवाह के देखने लगती है दोनों परंतु पंकज संजना के गालों पर रंग और संजना से छेड़छाड़ ज्यादा करता है परंतु कल्पना इस बात से बेखबर थी वह सोचती थी पंकज बचपन से मेरा दोस्त है और वह मुझसे ही इश्क मोहब्बत और चाहत रखता है। और होली के छेड़छाड़ में पंकज संजना को अपने गले लगा लेता है। इस तरह की छेड़छाड़ कल्पना को समझ न आती है। और होली का त्यौहार है जब पंकज कल्पना को कुछ उदासी देखा है तो पंकज कल्पना से कहता है बुरा न मानो होली है ऐसा कहते हुए कल्पना को भी अपने गले से लगा लेता है क्योंकि पंकज समझ चुका होता है कि वह समय कल्पना घर है और कल्पना को शायद बुरा लग गया है। 

      पंकज कल्पना और संजना से और उनके परिवार वालों से विदा लेता है और होली का त्यौहार मनाने के बाद संजना के घर पंकज पहुंच जाता है और संजना तो पहले से पंकज के साथ गले लग चुकी थी और पंकज और संजना एक दूसरे को चाहत के बाद ही भी कर चुके थे कल्पना इस बात से बेखबर थी और संजना के माता-पिता से पंकज संजना का हाथ मांग लेता है इस बात पर संजना के माता-पिता पंकज का रोका कर देते हैं। पंडित से शुभ मुहूर्त निकलवा कर संजना और पंकज की सगाई की रस्म कर देते हैं। काम इतनी जल्दबाजी में होते हैं कि संजना कल्पना को बताना और बुलाना भूल जाती है परंतु एक दिन कल्पना बाजार में खरीदारी कर रही होती है तब कल्पना संजना और पंकज को एक दूसरे के हाथ में हाथ डालकर घूमते हुए कॉफी शॉप में कॉफी पीते हुए देखती हैं। कल्पना को इस बात का बहुत बुरा लगता है और उसका दिल टूट जाता है और वह मन ही मन एक निश्चय करती है और सीधी अपने घर आ जाती है। एक दिन कल्पना संजना को अपने घर बुलाती है और उसे पंकज और संजना के रिश्ते की बात मालूम है ऐसा एहसास भी नहीं होने देती है। संजना जब कल्पना के घर आती है कल्पना उसकी बहुत खातिर करती है और कहती है कि पंकज उसके साथ हम बिस्तर हो चुका है। और तू तो मेरी सहेली है मैं तुझे दिल की बात बताती हूंँ पंकज के बच्चे का में एक बार अबॉर्शन भी कर चुकी हूंँ। पंकज एक अय्याश और नई-नई लड़कियों के साथ अय्याशी करता है ऐसी बातें पंकज के विषय में कल्पना संजना के मन में भर देती है ।

      संजना सभी बातें सुनकर भरे मन से अपने घर पहुंचती है और अपने पिता से कहती है कि मैं एक दोस्त की जिंदगी को बर्बाद होते नहीं देख सकतीं अपने पिता से कल्पना की कही बातें बता देती है ऐसी बात सुनकर संजना के पिता भी कहते है तुम दोनों मेरी बेटियों के बराबर हो। और मैं पर पंकज से बात करूंगा । और इधर कल्पना पंकज के घर पहुंच जाती है अचानक पंकज कल्पना को अपने घर देखकर हैरान हो जाता है और कल्पना पंकज से गले लग जाती है पंकज पूछता है कल्पना सब ठीक तो है तब कल्पना रहती है संजना में ऐसा क्या है जो मुझ में नहीं है पंकज कहता है तुम मेरी दोस्त हो और मेरी दोस्त हमेशा रहोगी मैं कभी तुम्हें एक दोस्त के अलावा किसी और रूप में नहीं देखा तब कल्पना कहती है मेरा हुस्न मेरा बदन और मेरी भरी जवानी केवल तुम्हारी है। परंतु पंकज कहता है तुम दोस्त हो। और तुम्हें मालूम हो कि मैं संजना से बहुत जल्द शादी करने वाला हूँ। कल्पना संजना के बारे में रहती है मैं बचपन की सहेली हूं संजना की परंतु संजना हो तुम नहीं जानते हो संजना बचपन से ही दिल फेक है और वह सभी लड़कों के इश्क में न जाने कितनी बार अबॉर्शन कर चुकी है और वह एक अमीर घर आने की बिगड़ी हुई लड़की है ऐसी बातों से पंकज के दिल में वह जहर घोल देती है। 

    पंकज जब इस तरह की बात सुनता है तो वह कल्पना की बातों पर विश्वास कर लेता है और कल्पना को अपने गले लगा लेता है जब पंकज का दिल टूट जाता है तो कल्पना को संजना के रूप में देखता है। और दोनों जवानी की आवेश में उसे दिन हम बिस्तर हो जाते हैं एक नहीं दो नहीं पूरी रात भर दोनों साथ रहते हैं अब पंकज को कल्पना ही कल्पना चमकती है और कल्पना उसे रात से पंकज की बच्चे की मां बन जाती है। इधर संजना के पिता उसे दिन पंकज को मिलने आती है और वह पंकज के घर कल्पना को देखकर सच समझ जाते है।

        परंतु सच तो यह है मेरा भाग्य और कुदरत के रंग एक सच होता है जीवन में जो होना होता है वही होता है। तो आप दोनों सहेली एक अच्छे मित्र होने के साथ-साथ प्रेम और चाहत के लिए कल्पना अपने दोस्ती को भूल जाती है और अपना प्यार हासिल कर लेती है सच तो यही था होना भी यही चाहिए था परंतु तरीका कुछ गलत था। कहते हैं ना प्रेम और जंग में सब कुछ जायज है इसी तरह मेरा भाग्य और कुदरत के रंग एक सच होता है।

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