Gulafshan Neyaz

Tragedy

4.5  

Gulafshan Neyaz

Tragedy

आई ऍम मुस्लिम

आई ऍम मुस्लिम

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मुझे ये कहते हुए कोई शर्म महसूस नहीं होती है की मैं मुस्लिम हूँ। जैसे हर जात धर्म के लोगो को अपने धर्म और अपने संस्कृति पर फ़क्र होता है। उसी तरह मुझे भी अपने इस्लाम पर फ़क्र है। और एक मुसलमान होने के साथ साथ मैं एक हिंदुस्तानी हूँ। मुझे इस बात पर भी गर्व है। हिंदुस्तान एक धर्म निरपेक्ष देश है। जिसमे कई धर्मो के लोग एक साथ मिलजुल कर रहते है। उन्हें अपने धर्म और आस्था को मानने की पूरी आज़ादी है। यहां के लोग एकता के मिसाल होवा करते थे।

पर कुछ सालों से हिंदुस्तान की हवा ने अपना रुख बदल लिया अब यहां के लोग हर बात पर हिन्दू मुस्लिम करने लगे। एक दूसरे को नीचा दिखाने की कोशिश करने लगे। वो भूल गए की वो हिन्दू मुसलमान बाद मे है पहले वो एक इंसान है। और हिन्द के देशवासी है। उनका इंसानियत और देश के प्रति भी कुछ कर्तव्य है।

जिस तरह चाइना इटली अमेरिका मे कोरोना पहला और देखते ही देखते महामारी का रूप ले लिया। हज़ारों लोगो की जान चली गई। पर वहां के लोग एक दूसरे के प्रति एकजुट रहे वहां कोई हिन्दू मुस्लिम या बुद्ध क्रिसचन नहीं हुआ ।।

धीरे धीरे कोरोना इंडिया आया। जो विदेशी लोगो के द्वारा इंडिया आया। इसको देखते हुए हमारे माननीय प्रधानमंत्री जी ने लॉकडाउन की घोषणा कर जो जहाँ था वो वही फंस गया।

मैं प्रधानमंत्री की बुराई नहीं कर रही उन्होंने जो किया वो देश हित में क्या।

जो मज़दूर फंसे कुछ राही मुसाफ़िर लोगो ने मिलजुल कर मदद के लिए कदम बढ़ाया, ये नहीं देखा की कौन हिन्दू और कौन मुस्लिम लोगो की मानसिकता फिर पहले जैसी हो गई लोग का जो रिश्ता था। वो जात पात से नहीं इंसानियत से होने लगा। जो मज़दूर शहरों में फँसे थे काम धंधा बंद होने पर वो पैदल ही गाँव का रुख करने लगे। तो कुछ लोग लॉक डाउन की धज्जियाँ उड़ाने में जुट गए

कोरोना का कहर यहां भी धीरे धीरे बढ़ने लगा। लोग सहम गए। अचानक हल्ला होना शुरु हुआ की निजामुद्दीन मरकज़ में विदेशी छुपे है। धीरे धीरे और सारी बातें फैली। मिडिया ने खूब मसाला मिर्च लगाया और बात को इतना बढ़ा चढ़ा दिया। की लोगो के दिलो मैं मुस्लिम समाज के लिए हद से ज्यादा नफरत फैला दी। मैं मरकज़ के मौलाना या बाकी को निर्दोष नहीं कहती अगर उन्होंने जान बुझ कर ये सब किया तो उन्होंने मानवता नहीं खुद के धर्म का ही अपमान किया है क्योंकि कुरान या हदीस में कहीं नहीं लिखा है की किसी निर्दोष की हत्या करो। या अपने वतन से गद्दारी करो मुसलमान का मतलब पक्का ईमान है। जो मर्ज़ इंसानों में छूने से फैले उस से अल्लाह ने भी दूर रहने के लिए कहा। पर जो विदेशी आये थे। वो तो बजाब्ते वीसा और पासपोर्ट के साथ आये थे। फिर सरकार से इतनी बड़ी चूक कैसे हो गई।

वो कोई छोटे से गाँव या शहर से नहीं आये थे की जो छुप कर आ गए। और दूसरी बात जो शहर से झुंड के झुंड मज़दूर पैदल आ रहे है। उनका क्या। मिडिया के हिसाब से तो ऐसा लगता है की जैसे सारे इंडिया में कोरोना मरकज वाले ने ही फैलाया हो। यहां तो कोरोना का धर्म हो गया। और उन को नाम भी मिल गया कोरोना जिहाद। आज मैंने यूट्यूब पर न्यूज़ सुना नीचे कमेंट देखा जिसपर लोगो ने ऐसे ऐसे कमैंट्स किये थे। मार दो सारे मुसलमान को जला दो ये करो वो करो आप कुछ मुसलमानओ के ग़लती के साथ सब को जज नहीं कर सकते। जो मुसलमानों के खिलाफ ऐसी सोच रखते है उसे क्या कहे।

मीडिया वाले ऐसी शब्दो के जाल फेकते है की लोग उलझ जाते है। गुरद्वारे मैं लोग फसे है हॉस्टलों मे छात्र फसे है। रास्ते मे मजदूर फसे है। पर मस्जिद और मदरसों मे जो जो है सब छुपे है। ये कैसी राजनीति है। जब देश इतने भयानक दौर से गुज़र रहा है। फिर भी लोग हिन्दू मुसलमान कर रहे है। इस वक़्त तो कम से कम हिन्दू मुस्लिम ना करे देश की हालत को समझें

एक लड़की का कमैंट्स मैंने पढ़ा उसने लिखा था की। मैं शर्मिंदा हूँ की मैं मुस्लिम हूँ। पर मैं शर्मिंदा नहीं हो की मैं मुस्लिम हूँ इस्लाम शांति का सन्देश देता है भाईचारे का और जो लोग इस्लाम के मतलब को नहीं समझते वो मुसलमान नहीं। मुझे गर्व है की मैं मुसलमान हूँ।


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