आ बैल मुझे मार
आ बैल मुझे मार
मौजीराम जी को समाज सेवा बहुत भाती है । कभी-कभी तो उनके इस कार्य के कारण परिवार वाले भी परेशानी में पड़ जाते हैं और कभी वो खुद ।
अभी कुछ दिन पहले ही एक ऐसा वाक्या हुआ । मौजीरामजी एक शादी समारोह में गए थे, खाना पीना चल रहा था । थोड़ी दूर पर डीजे की तेज धुन पर कुछ लोग नाच- गाना भी कर रहे थे पर मौजीराम जी तो चारों तरफ ढूंढ रहे थे कि कुछ ऐसा मिल जाए जिससे वह अपनी समाज सेवा शुरू कर सके ।
सौभाग्य से थोड़ी देर में ही उनको यह अवसर प्राप्त हो गया । डीजे पर कुछ लोग एक महिला से जबरदस्ती डांस करने के लिए कह रहे थे पर महिला बार-बार मना कर रही थी । एक महिला के साथ जबरदस्ती..! मौजीराम जी की भौहें तन गई, दिल में जोश हिलोरे मारने लगा । उनके कदम डांस फ्लोर की ओर ऐसे चले जा रहे थे मानो कोई सूरमा हो और कुश्ती जीतने जा रहे हों।
उन्होंने पहुंचते ही उस व्यक्ति का कॉलर पकड़ते हुए कहा, "लानत है आप पर.. एक महिला से इस तरह बर्ताव ..वो नहीं चाहती तो क्यों पीछे कर पड़े हैं "।
उनकी इस हरकत से वहां खड़े सभी लोग और वो महिला स्तब्ध हो गयी ।
मौजीराम जी की उम्र और उनकी शख्सियत को देख कर लोग बोले, "भाई साहब आप गलत समझ रहे हैं"।
मौजीराम जी तो और तैश में आ गए, "अरे हमें ना समझाओ ,हम सब समझते हैं ,शादी ब्याह में तुम जैसे लोग यही करने आते हो और आप सब (उन्होंने बाकी खड़े लोगों की तरफ इशारा करते हुए कहा ) जो चुपचाप खड़े हो एक दिन तुम्हारी भी" .....उनका कहना था कि सभी एक साथ चिल्ला उठे ..."आगे मत बोलना" ...।
तभी उनकी धर्मपत्नी उनका हाथ पकड़कर वहां से खींचकर बाहर ले गयीं और सब से माफ़ी मांगी ।
मौजीराम जी भड़क उठे " एक स्त्री होकर तुम ऐसा कठोर कलेजा रखती हो ? हम किसी से डरते नहीं है । खून बहे तब भी ....".
"अरेरे... उसी की पत्नी है और कोई उसके साथ जबरदस्ती नहीं कर रहा ।सब उसी के परिवार वाले हैं, तुम क्यों आफत मोल लेते हो ? अब चलो यहां से ..
मौजीराम जी का मुँह उतर गया, आंखों देखा गलत हो गया ,समाज सेवा का मौका भी छूट गया पर शुक्र है धर्मपत्नी की वजह से इज्जत गई वरना......