आ बैल मुझे मार
आ बैल मुझे मार
आ बैल मुझे मार
“अब कैसे कहे,की आ बैल मुझे मार” अब तो समय ही बताएगा अजय को की करना क्या था और करने क्या लगा।
अजय अभी हाईस्कूल में पढ़ रहा है और उसको तो जैसे कुछ समझ मे नही आ रहा है कि आखिर करना क्या है मुझे ? फिर भी अभी तो हाईस्कूल में ही पड़ता है।
“यार... रोहित सोचता हूँ, इंटर करने के बाद तैयारी कर लूं”।
“बात तो सही कर रहा है और आगे तो हमको नौकरी ही तो करनी है”। ( सर खुजलाते )
लेकिन..... एक बात नही समझ मे आ रहा है। हम करेंगे किसकी तैयारी । ( रोहित का मुंह देखते)..
“बात तो ठीक कह रहा है, चल देखते है अभी तो बहुत समय है”।
कुछ समय बाद तो एग्जाम भी आ गया और खत्म भी हो गया दोनों के दोनों ठीक ठाक नंबर से पास हो गए।फिर इंटर में भी वही कहानी.... इस तरह दोनों पास हो कर उस कॉलेज से विदाई ले लेते है। अब दोनों को करना क्या है अभी तो ये नही पता ।
फिर भी दोनों अपने अपने पिता जी दुकान पर बैठ गए। और पूरा दिन बस यही सोचते रहते की हमे करना क्या है।
ऐसे ही कुछ दिन और बीत गए। और फिर...अजय ।
“पिता जी... मैं सोच रहा हूँ कि बाहर जा कर तैयारी कर लूँ।”
अच्छा !.... जरा मैं भी तो जान लूँ की मेरा बेटा किस की तैयारी करेगा” ( आँख दिखाते)...
“वो क्या है ना पिता जी सोच रहा हूँ, की बैंक का कर लूँ।उसमे बहुत स्कोप है और आराम की नौकरी है”।
“ऐसा है ना मेरे ख्याली पुलाव, तुम अच्छे से अपनी दुकान ही संभाल लो वो तो और अच्छा है। (सर पर उसके हाथ मारऔर इधर रोहित.....
“ पापा मैं आगे और पढ़ना चाहता हूँ।”
“कैसी पढ़ाई?,”।
“बी.टेक”.....
“लेकिन तुम्हरी पढ़ाई भी तो बहुत अच्छी नही हो,वो भी किसी तरह पास हो गए वो ही बड़ी बात है।” (काम करते बात)
“इतना भी खराब पढ़ाई नही है, राधे का लड़का विपिन पढ़ने में कितना अच्छा है लेकिन बीटेक कर रहा है। और मुझे बोलते हो आप की नही कर पाओगे”।
“कितनी बार बोला हूँ, वो सब बड़े लोग है उनके अगर 2,4 लाख बर्बाद भी हो गए तो कोई फर्क नही पड़ेगा”।
“अगर पढ़ाना ही है तो I.T.I कर लो। उसमे पैसे कम लगते है और ऊपर से नौकरी के लिए इतना इसमें मारा मारी नही है।”
और अगर बड़ी पढ़ाई करोगे तो पता लगा ना इधर के न उधर के रह जाओगे।”
लेकिन दोनों अपने अपने पिता जी की बात नही माने और निकल गए पटना । वही दोनों पहले तैयारी करने के लिए कोचिंग जॉइन कर लेते है। और ऐसे ही कोचिंग में 6 महीने चलता रहता है।
फिर एक दिन.....
दोनों की कोचिंग ख़त्म हो गयी और फिर अजय रोहित से बोलता है कि....
“यार रोहित एक बात नही समझ मे आ रहा है। कि हम क्यो ना बीटेक की पढ़ाई छोड़ कर कुछ और कर लेते है। क्यो की उसको 5 साल करने के बाद नौकरी करेंगे ”।
“नही यार...अभी तो मैं बीटेक कर लेते है फिर देखते है।”
फिर किसी कारण अजय के पिता जी की तबियत खराब होने लगी तो उसको अपने घर आना पढ़ गया।जिसकी वजह से रोहित भी अपने घर चला आया ।
“अजय का एक छोटा भाई भी है वो एक नई दुकान खोल कर बैठा था। लेकिन किसी कारण से उसको पिता जी के साथ रहना पड़ा। क्यो की अजय के पिता को पता था कि अगर ये यही कुछ करने लगेगा तो फिर पटना नही जाएगा।
“अजय तुम ऐसा करो जब तक मेरी तबियत ठीक नही हो जाती है तब तक तुम उस दुकान पर कोई काम करो फिर बाद में चले जाना”।
“लेकिन कुछ दिन बाद में पटना चऔर इधर रोहित ......
“सुन रोहित.... जब तक तुम्हरा दोस्त अपना दुकान देख रहा है,तब तक तू भी देख ”।
उसको कुछ समझ मे नही आ रहा था कि क्या बोलू।लेकिन फिर भी हाँ बोल देता है।
लेकिन कुछ ही दिन में दोनों ने अपने अपने तरीके से दुकान को और आगे बढ़ाते गए । और देखते ही देखते दोनों अच्छा पैसे कमाने लगे ।
“देखा... तुम को बोल रहा था न अपना काम करेगा तो उस नौकरी से अच्छा और ज्यादा पैसा कमाएंगे।”
लेकिन अजय कुछ बोला नही बस मुँह बना कर रह गया।
रोहित का मन भी नही लग रहा था। उसको लगता था कि मैं पढ़ लिख कर कुछ बड़ा काम करूँगा। लेकिन इन दोनों को कैसे कोई समझाएँ की पढ़ाई में इतने कमजोर हो और पास नही कर पाओगे फिर भी उन दोनों का मन उस जगह पर ही लगकभी कभी कहते है ना मुसीबत बिन बुलाया मेहमान होता है... आज की पीढ़ी आ बैल मुझे मार वाली कहावत पर ही चलते है।
क्यो की अगर आप को पता है कि मैं बिज़नेस में बहुत अच्छा हूँ तो क्यो किसी और का देखा देखी करने लगते है। और जब असफल हो जाते है तो समझ मे आता है कि यार ये वही हाल है ।
कुछ दिन बाद एक दिन वो दोनों फिर अपने पिता जी से जबरदस्ती ही पटना जाने को कहते है।
पटना में.....
एक दिन एक एग्जाम के लिए एक कॉलेज में जाते है। और परीक्षा हॉल में बैठे बैठे लिख रहे थे। लेकिन कुछ समझ मे नही आ रहा था कि क्या लिखे । फिर क्या करते दोनों नकल करने के चक्कर मे पकड़े जाते है।
अगले दिन न्यूज़ पेपर में बैंक के एग्जाम में 22 लोग।
जेल में....
“यार रोहित हम दोनो की मत मारी गयी थी जो इतने अच्छे दुकान के काम को छोड़ कर ऐसे काम के पीछे भाग रहे थे जिसको हम कभी कर ही नही सकते थे”।
हाँ....मैं भी वही कर गया। अब तो किसी तरह घर पहुँच जाए वही बहुत है। हम ने तो बिन बुलाए मुसीबत को बुला लिया”।
इधर जब दोनों के पिता को पता चला तो जान कर उन दोनों को छुड़ाने नही गए।
“अब कुछ दिन वही रहने दो,इतना समझने के बाद भी नही समझे तो अब कुछ दिन जब जेल की हवा खायेंगे तो खुद समझ जायेंगे ।” (अजय के पिता गुस्से से )।
“बहुत अच्छा हुआ, बोलता था कि बहुत स्कोप है ले बेटा सच बोला जेल में कुछ दिन रहेगा तो समझ मे आ जायेगा कि कितना स्कोप है।” ( रोहित के पिता भी गुस्से से)।
जेल में...
“इतना समझने के बाद भी हम दोनों नही माने”।
यार....अजय ये तो वही बात हुई कि “ आ बैल मार” वाली हाल हुई है। ना ऐसा हम करते ना ऐसी मुसीबत को बुलाते।
उन दोनों को नकल के जुर्म में 6 महीने की सजा हो जाती है।......
गएथा।
के हाँ करते है)।
।ड़े है”। ( पिता जी उसर) पकाला जाऊँगा”।
“ठीक क
