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Archana Saxena

Inspirational

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Archana Saxena

Inspirational

2021 का सफर

2021 का सफर

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हर वर्ष की भाँति 2021 की भी विदाई हो गई। जब वर्ष प्रारंभ हुआ था तो उसका स्वागत भी धूमधाम से ही किया था, मन में विश्वास भी था कि यह वर्ष 2020 से अलग ही होगा, इस बार दुखों की बदली छँट जायेगी फिर से हँसी खुशी की धूप हर आँगन में उतरेगी। प्रारंभ अच्छा हुआ भी। विदेश से मेरे बच्चों का आना, इतने दिनों की कैद के बाद अपने नजदीकी लोगों से मेलमिलाप, सब कुछ कितना भा रहा था, परंतु मार्च आते आते महामारी का पुनः जो प्रकोप बढ़ा उसने सौ सौ आँसू रुलाया।

सारी दुनिया में ही जैसे हाहाकार मच गया था वह भी पिछली लहर से भी कहीं अधिक। इस महामारी ने तो जैसे दुनिया का स्वरूप ही बदल कर रख दिया था। परन्तु वह कहते हैं न कि सब दिन एक समान नहीं होते, बुरे दिन आते हैं तो अच्छे भी उसका पीछा करते हुए पहुँच ही जाते हैं। अब यह हमारे ऊपर है कि हम क्या अधिक याद रखें, दुखद यादें या छोटी छोटी खुशियाँ। 

किसी का भी जीवन न तो कभी रुका है और न ही किसी भी परिस्थिति में रुकने वाला है, तो बस जीवन तो 2021 में भी चलता ही रहा। उसी के साथ जो एक और चीज चलती रही वह थी मेरी लेखनी। कैसे कह दूँ कि पिछले वर्ष ने दुख के सिवा कुछ नहीं दिया। इसने तो अनेक सुखों से भी दामन को भरा ही था। कितने ही ऐसे स्वप्न जिन्हें देखने में ही आँखें सकुचा जाती थीं उन्हें तो इस वर्ष ने साकार करके मेरी झोली में डाल दिया। मेरे कहानी संग्रह का प्रकाशित होना, उसे पाठकों का प्यार मिलना, ऐसा ही था जैसे सिर्फ एक टुकड़ा बादल नहीं, पूरा का पूरा आसमान मेरा आँचल बन के लहराने लगा हो।

कितना कुछ सिखाया हमें गत वर्ष ने। आसपास बिखरी जीवंत कहानियों में से कुछ लम्हे चुरा कर कलमबद्ध करने की कला 2021 ने ही तो सिखाई। किसी अपने की असमय मृत्यु झेल कर अवसादग्रस्त हुए परिवार के लोग भी किसी तरह जीना सीख ही जाते हैं इसका गवाह 2021 से बढ़कर कोई दूजा क्या होगा भला?

आँखों में कामयाबी के सपने संजोए हुए छोटी छोटी सीढियाँ चढ़ती मैं चलती जा रही हूँ एक ऐसी जीवन यात्रा पर जहाँ 2021 तो केवल एक छोटा सा पड़ाव था। ऐसे ऐसे न जाने कितने ही पड़ाव आएँगे मेरी इस जीवनयात्रा में जहाँ सफलता स्वयं पलकें बिछाकर मेरा रास्ता देख रही है, और मैं बढ़ते बढ़ते एक और पड़ाव अर्थात 2022 को जरा सा ठहर कर निहारते हुए अपने जीवन के लिए अन्य संभावनाएँ तलाश रही हूँ जो मुझे ऊँचाइयों तक पहुँचा सकें, लेकिन हाँ यह अवश्य चाहती हूँ कि मेरे पाँव जमीन पर टिके हों और मुठ्ठी में आकाश हो।


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