15 साल बाद
15 साल बाद
कविता की शादी को 15 साल हो गए थे। उसे हर किसी की पसंद ना पसंद के बारे मे सब पता होता, सुई से लेकर कोई भी बड़ी चीज हो कहां है ,उसको सब पता था। मां जी को कब चाय चाहिए ,बाबूजी को कब अखबार चाहिए, पति का सारा सामान, कौन सी फाइल कहां रखी है, बच्चों को क्या, कब ,कैसे, कहां उसने ध्यान रखा ,लेकिन कभी उससे किसी ने उसकी चाहत नहीं पूछी कि उसको क्या पसंद है क्या नहीं पसंद।
एक बार प्रफुल्ल के स्कूल में वार्षिक महोत्सव के दिन माता पिता व दादा दादी दोनों की प्रतियोगिता हुई, जिसमें माता-पिता को दादा दादी की पसंद- नापसंद बताना था और दादा दादी को माता-पिता की।
जब कविता का नंबर आया न तो मोहन, ना उसके मां बाप किसी को भी कविता की पसंद के बारे में कुछ पता था।
जब कविता से सब के बारे में पूछा गया तो उसने चींटी से लेकर पहाड़ तक की बातें बता डाली।
प्रतियोगिता में कविता का परिवार हार गया क्योंकि उसके परिवार वालों को उसकी पसंद ना पसंद के बारे पता ही नहीं था।
प्रफुल्ल ने घर पहुंच कर जब दादा दादी और पापा से यह बात पूछी कि मेरी मां को आप सब के के बारे में सब कुछ पता है, मगर आपको मेरी मां के बारे में इतना भी नहीं पता।
दादी ने शर्म के मारे कविता से पूछा बहू बता आज क्या खाएगी तेरी पसंद का बनाऊंगी कविता ने बोला मांजी अरहर की दाल चावल बनाते हैं। दादी ने कहा उसको कौन खाएगा? मोहन चल तेरी पसंद की शिमला मिर्च बना देती हूं।
मोहन ने रसोई घर मे जाते हुए कहा" बनेगा तो कविता की पसंद का। मां आप अभी भी भूल कर रही हो। कविता ने बोला न कि अरहर की दाल चावल, बस आज वही बनेगा और मैं बनाऊंगा। कविता की आंखों में अश्रु धारा बह रही थी 15 साल बाद ही सही किसी ने उसकी पसंद तो पूछी।