ज़िन्दगी
ज़िन्दगी
ऐ ज़िन्दगी जब सुख और दुःख
दोनों ही है तेरे साथी
तो सुख से है क्यों इतना इतराती,
दुःख के साथ ही सारा समय बिताती
वैसे तो तू हर मंदिर मस्जिद में
सुख मांगने जाती
फिर भी तुम दुःख को ही अपनाती
और घंटों समय उसके संग बिताती
ये ज़िन्दगी, क्यों सुख लाख कोशिशों के बाद भी
पल भर से ज्यादा असर नहीं कर पाती
और दुःख पल भर में तुम्हें
हमेशा के लिए अपना बना लेती ..
