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Indu Tiwarii

Abstract

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Indu Tiwarii

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ज़िन्दगी

ज़िन्दगी

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संवारा था

सजाया था

जिसे बड़े शौक से हमने


अरे ये क्या हुआ

वो तो बड़ी बेहया निकली...


टूटे सपनों के महल

काली रात आ गयी


अरी पूर्णिमा 

तू तो अमावस निकली

ज़िन्दगी तू तो बेवफ़ा निकली..



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