ज़िन्दगी
ज़िन्दगी
संवारा था
सजाया था
जिसे बड़े शौक से हमने
अरे ये क्या हुआ
वो तो बड़ी बेहया निकली...
टूटे सपनों के महल
काली रात आ गयी
अरी पूर्णिमा
तू तो अमावस निकली
ज़िन्दगी तू तो बेवफ़ा निकली..
संवारा था
सजाया था
जिसे बड़े शौक से हमने
अरे ये क्या हुआ
वो तो बड़ी बेहया निकली...
टूटे सपनों के महल
काली रात आ गयी
अरी पूर्णिमा
तू तो अमावस निकली
ज़िन्दगी तू तो बेवफ़ा निकली..