ज़िंदगी क्या है.......
ज़िंदगी क्या है.......
कभी काटों भरी चुभती वादियाँ
कभी फूलों सी महकती हुई बगिया
कभी चाँदनी का दिलकश़ साया
कभी कुछ खोया कुछ खोकर पाया
कभी बेहिसाब हसरतों ने तडपाया
कभी दर्द-ए-बेकरारी के आलम़ को अपनाया
कभी अश्कों की बेश़ुमार बारिश ने भिगोया
कभी राज़-ए-मुस्कान ने जी भर के हंसाया
बदलतें रिश्तों ने कई बार रूलाया
भीगी हुई पलकों ने बडे प्यार से सुलाया।