योग है ,जीवन का आधार
योग है ,जीवन का आधार
,
स्वास्थ्य और संतोष का अद्वितीय गणित योग है,
निभायी क्रमबद्धता इसकी ,वह तन रहता निरोग है।
राज योग में ,यम,नियम,आसन,मुद्राए,प्राणायाम,
प्रत्याहार, ध्यान और समाधि आधार स्तंभ इसके,
सांसों की गति पर जागृत होते चक्र बिंदु जिसके।
कर्म योग, वर्तमान में जीने का हुनर सिखाता है,
आज के सत्कर्म के प्रताप से ,एक उज्जवल भविष्य का यथार्थ ज्ञान सिखाता है।
भक्ति योग, सद्भावना, सहिष्णुता के पथ पर चलकर,
परमात्मा सद्रश संसार को देखकर, सकारात्मक जीवन का पाठ पढाता है।
अगर भक्ति योग है मन का नियंत्रण तो ,ज्ञान योग,बुध्दि को नियंत्रित करना सिखाता है,
ग्रंथो, वेदों और पुस्तकों के अध्ययन से ,मस्तिष्क के पोषण का मार्ग सिखाता है।
आदिकाल से प्रत्येक युग ने इसकी महिमा को जाना है,
शरीर और मन को स्वस्थ रखने की दिव्य औषधी इसे माना है।
स्वस्थ तन में होते शुध्द विचार,योग है इनका आधार,
आत्मसात कर लो अगर इस मंत्र को,तो जीवन नहीं जायेगा निराधार।