STORYMIRROR

Dr Lakshman Jha "Parimal"Author of the Year 2021

Inspirational

4  

Dr Lakshman Jha "Parimal"Author of the Year 2021

Inspirational

“मौन नहीं कविता रहती है”

“मौन नहीं कविता रहती है”

1 min
13



मुझे कहाँ पता कि मेरी बातों

को लोग अपने हृदय

में उतार लेते हैं ?

कैसे कहूँ लोग इसको

यदा- कदा पढ़ते भी हैं ?

कभी- कभी लेखनी मेरी

मौन हो जाती है

पंख शिथिल पड़ जाते हैं

पर शुद्ध अंतःकरण कभी -कभी 

झकझोरने लगता है

फिर हृदय की आवाज

निकाल आती है

कविता अपना घूँघट

उठाने लगती है

व्यथित कविताओं के सुर

बदल जाते हैं

मानव विध्वंसों की लीलायें

भला इसको कैसे भायेगी ?

बच्चे , माताएँ ,बड़े और बूढ़े

सबके क्रंदन

को कैसे सुन पाएगी ?

पर्यावरण के उपहासों को

वह देख रहीं हैं 

वृक्ष ,पर्वत ,जंगल और नदियाँ

अब बिलख रहीं हैं 

दूषित कर रहा जन जीवन

कार्बन उत्सर्सन को

कोई ना रोक सका

विकसित देशों को आगे बढ़कर

कोई ना टोक सका

हम चुप रहते हैं .....सब सहते हैं

पर कविता मेरी नहीं

कुछ सह सकती है

स्वयं मुखर सब खुल के

कह सकती है !!



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational