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jaidev Attri

Inspirational

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jaidev Attri

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राखी

राखी

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 बंद लिफाफे में बहना ने ,राखी भेजी भाई को ,

भारत माँ के पूत लाडले ,अपने वीर सिपाही को।

 राखी है यह उस बहना की ,जिसने भाई खोया है,

 मात भारती धरा अंक में ,तान तिरंगा सोया है ।


कतरा- कतरा शोणित तन का, देश धर्म हित वार दिया,

माँ जननी से ज्यादा जिसने, मातृृ-भूमि से प्यार किया ।

भारत मां की रक्षा खातिर ,जो राखी को भूल गए ,

देश बसा कर सबके दिल में ,खुद फांसी पर झूल गए।

  

धीर, वीर ,रणबीर वतन के, सारे उसके भाई हैं ,

सीमाओं पर अटल, अडिग जो, राखी हीन कलाई हैं।

रेशम की यह डोर पावनी ,ताकत है उन वीरों की,

पल -पल जो रक्षा हैं करते ,माँ बहनों के चीरों की ।


विश्वासों का तार रेशमी, रक्षा कवच कलाई का ,

चिर -आयु की मनोकामना, सुदृढ़ संकल्प भाई का।

अटूट प्रीती बंधन राखी, इतिहासों का लेखा है ,

भगिनी रक्षा हित भाई ,को कुर्बां होते देखा है ।


पाक पर्व यह सतत सनातन ,संसार पिरोये धागे में, दुनिया के भाई -बहनों का, प्यार पिरोये धागे में।

जब तक दमके दिव्य दिवाकर,रहे सलामत यह राखी,

भाई के कर में बहना की ,रहे अमानत यह राखी ।         


       



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