राखी
राखी
बंद लिफाफे में बहना ने ,राखी भेजी भाई को ,
भारत माँ के पूत लाडले ,अपने वीर सिपाही को।
राखी है यह उस बहना की ,जिसने भाई खोया है,
मात भारती धरा अंक में ,तान तिरंगा सोया है ।
कतरा- कतरा शोणित तन का, देश धर्म हित वार दिया,
माँ जननी से ज्यादा जिसने, मातृृ-भूमि से प्यार किया ।
भारत मां की रक्षा खातिर ,जो राखी को भूल गए ,
देश बसा कर सबके दिल में ,खुद फांसी पर झूल गए।
धीर, वीर ,रणबीर वतन के, सारे उसके भाई हैं ,
सीमाओं पर अटल, अडिग जो, राखी हीन कलाई हैं।
रेशम की यह डोर पावनी ,ताकत है उन वीरों की,
पल -पल जो रक्षा हैं करते ,माँ बहनों के चीरों की ।
विश्वासों का तार रेशमी, रक्षा कवच कलाई का ,
चिर -आयु की मनोकामना, सुदृढ़ संकल्प भाई का।
अटूट प्रीती बंधन राखी, इतिहासों का लेखा है ,
भगिनी रक्षा हित भाई ,को कुर्बां होते देखा है ।
पाक पर्व यह सतत सनातन ,संसार पिरोये धागे में, दुनिया के भाई -बहनों का, प्यार पिरोये धागे में।
जब तक दमके दिव्य दिवाकर,रहे सलामत यह राखी,
भाई के कर में बहना की ,रहे अमानत यह राखी ।
