यज्ञ कुंड विचारों का होता है
यज्ञ कुंड विचारों का होता है
तुम ढूंढते हो भगवान,
व्यंग्य से पूछते हो,
देखा है उसे ?
अपनी नास्तिकता सिद्ध करते हो !
अब कोई क्या कहे ?
वैसे सच तो यही है
कि जो ज़िन्दगी हमें मिलती है,
वही ब्रह्मा, विष्णु, महेश है,
उसी में है दुर्गा के नौ रूप,
हरि का मुख
और ब्रह्मांड।
स्वभाव पर निर्भर है
कि हम अपनी ज़िन्दगी को पूजते हैं
या आसुरी शक्ति बन,
खुद उसे स्वाहा करते हैं।
यज्ञ कुंड विचारों का होता है,
जैसे विचार
जैसा समर्पण,
वैसा प्राप्य।
देख पाओ या नहीं देख पाओ,
देता भगवान ही है।