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SHAKTI RAO MANI

Abstract

3.4  

SHAKTI RAO MANI

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यह सिर्फ सवाल उठते है

यह सिर्फ सवाल उठते है

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जिंदगी से जवाब न मांग यहाँ सिर्फ सवाल उठते हैं

काबे मे झोली न फैला मंदिरों में भी बवाल उठते हैं।

जिनके सवाल जवाब इंसानों से नहीं होते

वहीं अक्सर तजुर्बा लिए कमाल उठते हैं।

मज़ा तो तब आता है जब ख्यलों में ख्याल उठते हैं

जनाब यकिन मानिये वो लोग बे-मिशाल उठते हैं।

जब ऐसे लोग जिंदगी की परिभाषा देते हैं

तो मौत लिए यमराज भी बेहाल उठते हैं।

नवाबों का शोक भी नवाबों सा रखतें हैं

कटे परो से उड़ान भरते है कई पंक्षी संभाल उठते है।


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