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Meena Mallavarapu

Inspirational

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Meena Mallavarapu

Inspirational

यह क्या

यह क्या

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 सुंदर थी नींव उस रिश्ते की

 प्यार बेशुमार दोनों में..

 ज़िंदगी गुज़रेगी यूहीं हंसी खुशी

 था विश्वास,थी आस मन में..

 मगर ज़िंदगी ठहरी धोखेबाज़

अचानक गिरी बिजली 

खोला जब पति ने एक राज़

करना माफ़ मुझे,अब राहें हमारी

होने को हैं जुदा-कौन ग़लत,कौन सही

नहीं अब इन सवालों में होशियारी

दुखी कर रहा हूं ख़ुद को भी,तुम्हें ही नहीं

मिला जवाब पत्नी का, कोई बात नहीं

अपना दुख संभालो तुम,

मेरे हाल से सरोकार अब रखना नहीं

मैं इतनी लाच

ार नहीं- जो मेरा है ही नहीं

उस पर जान छिड़कने में

नहीं कोई तुक दिखती मुझे,होशियारी नहीं

क्या रखा है बिलखने,सिसकने में

बंधन तभी सुहाता जब दोनों हो राज़ी

वह ज़माना अब नहीं रहा

मैं अबला नहीं,है प्यारी मुझे भी आज़ादी

 क्यों हो मंजूर मुझे कोई ऐसा रिश्ता

 जिसमें आदर सम्मान नहीं

 जिसमें वजूद सिर्फ़ तुम्हारा दिखता

मेरे वजूद का नामो निशान नहीं!

पति अचंभित..यह कैसा हुआ फेर बदल

कहां सिसकती छटपटाती नारी

कैसे अबला नारी का रूप यूं गया बदल!

  



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