यह दुनिया कब तक साथ चलेगी
यह दुनिया कब तक साथ चलेगी


इस घोर भरे सन्नाटे में कब तक रात चलेगीl
मंथन होगा विचारों का जब तक सांस चलेगीl
यह वक्त क्या है कुछ भी नहीं यूं ही गुजर जाएगाl
आखिर कब तक यह परेशानियां
मेरे साथ चलेंगी।
यह दुनिया क्या है कुछ भी नहीं कब तक यह दुनिया मेरे साथ चलेगी।
जितना रगड़ोगे हीरे को उतनी ही उसकी मांग बढ़ेगी।
प्रार्थना मेरी बेकार नहीं जाएगी आस्था मेरी फिर से कोई चाल चलेगी।
जाओगे परमात्मा से जब मेरी मुलाकात चलेगी l
छोटी-छोटी बातों को मत पकड़ो वरना बात बढ़ेगी।
होना सकेगा हल अतीत का अफसोस किए बिना
वर्तमान का अंतस्
थ अंतर्मन से जब सामना होगा
अंतर्द्वंद्व का तब तो आने वाली मौत भी कुछ पल ठहर कर चलेगी।
हो ना सकेगा हाल इस दुनिया में इस दौलत को आखिर
यह दौलत कब तक मेरे साथ चलेगी मौत सब कुछ समझा जाती है
सब अपने हैं कहने को पर जन्म देने वाली मां भी दो घर पार चलेगी।
इस दुनिया में कोई नहीं अपना पराया पर यह दुनिया कब तक मेरे साथ चलेगी ।
मैं हैरान हूँ कि जो बीत गई सो बात गई अब तेरी मेरी क्या बात चलेगीl
तुम भी देखने आओगे परमात्मा से जब मेरी मुलाकात चलेगी।l
मैं हर रिश्ता निभाऊंगी लेकिन आश्चर्य की बात है यह दुनिया कब तक मेरे साथ चलेगीl