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Akshat Garhwal

Abstract

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Akshat Garhwal

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यह धरती ही परिवार है।

यह धरती ही परिवार है।

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हम सब जीवन की डोर से जुड़ें

जुड़े हुए आधार है

सब जीवो की समरसता का ही

यह प्यारा संसार है।


बिन मांगे अर्पण करती ममता

मां प्रकृति का आभार है

बने हुए सब एक कोख से

यह धरती ही परिवार है।


अदृश्य बने से इस रिश्ते को

अब क्या कोई नाम दे

हम सब प्रकृति की संताने

एक दूजे को सम्मान दें ।


हरे-भरे सब आंगन है

और यहीं घर बार है

बने हुए सब एक कोख से

यह धरती ही परिवार है।


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