ये
ये
ये कविताएँ, ये लेख, ये कहानियाँ
बया नहीं कर सकते
एक बेटी के दर्द को
ये तो बस न्याय और
इंसाफ की मांग है करते
उसमे से भी सिर्फ सुरक्षा
ही दे दो तुम इनको।
ये आवाजें, ये आसूँ, ये चीखे
बया नहीं कर सकते
एक स्त्री के जख्मों को
ये तो बस नियम और
कानून की मांग है करते
उसमे से भी सिर्फ सम्मान
ही दे दो तुम इनको।
ये गुजंते शोर,
ये जलती मोमबत्तियाँ,
ये कागज़ पर लिखी कुछ पंक्तियाँ
बया नहीं कर सकते
एक नारी के सहे कष्ट को
ये तो बस चाहते है उनका
अभिमान और स्वभिमान नष्ट नहो
उसमे से भी सिर्फ इनका
अस्तित्व लौटा दो तुम इनको।
ये दर्द भरा मन, ये चुप्पी, ये अकेलापन
बया नहीं कर सकते
एक माँ के आँचल के सुनेपन को
ये तो बस ईश्वर से गुहार लगाए बैठी है
की उगंली न उठे उसके संसकारों पर
बुरी न समझे कोई उसकी नियत को।