ये वक्त निकल रहा है
ये वक्त निकल रहा है
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ये वक़्त निकल रहा है
ये वक़्त पिघल रहा है
कब समझेगा तू,पुतले,
जिस्म अब ढल रहा है
ये वक्त बिना रुके,
लगातार चल रहा है
आसमान झुक गया है
तू है, आंखें मल रहा है
ये समय निकल रहा है
उम्र रिस रही,बूंद-बूंद,
घड़े से जल छलक रहा है
ये जग तुझे सता रहा है,
तेरे रास्ते आड़े आ रहा है,
घबरामत,डटकर खड़ा हो,
फिर देख साखी,
ये ज़माना बदल रहा है
ये काल कहीं डस न ले,
तेरा सांस कहीं छल न ले,
उठ जाग जा मुसाफ़िर,
ये जिस्म यूँ ही जल रहा है
ये समय निकल रहा है
पर वक्त जाने से पहले,
आंसू आने से पहले,
खुद को संभाल ले,
ये आईना रुप बदल रहा है।