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Sonam Kewat

Abstract

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Sonam Kewat

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ये उन दिनों की बात हैं

ये उन दिनों की बात हैं

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यह उन दिनों की बात है जब मुझे

एक तरफा प्यार हुआ था तुझसे

अब तो और शरारती से ख्वाब आतें है

जब तुझे भी प्यार हुआ है मुझसे


हद तो तब होती है जब नहाते समय भी 

मुझे सिर्फ तेरा ही एहसास होता है 

पानी का छूना तेरा स्पर्श लगता है

तेरी बाहों का आना महसूस होता है


बस ऐसे भी कुछ ख्वाब आतें है और

मुझे हल्के से सताकर चले जाते हैं


यह तो उन दिनों की बात है 

जब मुझे नींद आया करतीं थीं

पर अब तो नींदे भी उड़ जाती हैं 

और तुम बताओ मेरी नींदें उड़ा कर 


तुम्हें भला नींद कैसे आती है 

मेरे प्यार की हद कुछ ऐसी भी है 

तेरे ख्वाबों में सो जाती हूं 

सपना तेरा ही आता है और 


आँखे बीच में ही खुल जाती है

पर तेरे सपनों को देखने के लिए

मैं फिर से सो जातीं हूँ 


 यह उन दिनों की बात है 

जब जुदाई कुछ ज्यादा सताती थी 

तेरे कुछ पल दूर जाने से ही


बेचैनियाँ आंखों को रुलाती थी

तू मेरा है तो डर लगता नहीं है 

अगर तेरा साथ नहीं होता है तो 


ये वक्त भी कभी कटता नहीं है 

तो चलो अब तुम बताओ 

मुझमें तुम्हें खोने का डर जगा कर 


तुम यूँ साथ निडर चलते हो कैसे

मैं तो प्यार जताती रहती हूं पर 

तुम प्यार दिखाएं बिना रहते हो कैसे।


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